सागर सूरज || बीएनएम
मोतिहारी। विवेक ठाकुर हत्याकांड को लेकर एक तरफ जहां लोगों मे आक्रोश खत्म होने का नाम नहीं ले रहा, वही सबकी नजरे पुलिस अनुसंधान पर टिकी है। मामले मे हरसिद्धि के मुरारपुर गाँव के रहने वाले हत्यारे झुना सिंह उर्फ मोहित सिंह और उसके बाइक चालक रामानंद ठाकुर को मोतिहारी जेल भेज दिया गया है। वही मामले मे गठित एसआईटी के साथ –साथ मोतिहारी एसपी स्वर्ण प्रभात खुद से मामले के एक- एक कड़ी को जोड़ कर घटना से जुड़े अन्य चेहरे को बेनकाब करने को आतुर दिख रहे है।
वैसे मोतिहारी जेल में हुए तीन घंटे के पूछ-ताछ मे हत्यारा झुना सिंह ने स्वीकार किया की कर्जे के वजह से उसी ने विवेक ठाकुर की हत्या की। उसने कुछ बड़े भू- माफियाओं और सफेदपोशों सहित एक आर्म्स सप्लायर के बारे मे भी पुलिस को बताया। पुलिस इनलोगों को लेकर साक्ष्य इकट्ठा करने की बात कहते हुए, मामले से अभी पर्दा उठाने से इनकार कर रही है। इधर विवेक ठाकुर के समर्थकों एवं शहर के समाजिक कार्यकर्ता घटना के षड्यंत्रकारियों को लेकर हो रहे अनुसंधान को लेकर काफी उत्सुक और बेचैन दिख रहे है।
बुधवार को विवेक ठाकुर को लेकर शहर के नर्सिंग बाबा मठ पर आयोजित न्याय सह शांति मार्च मे भाग ले रहे हजारों लोगों के बीच यही सवाल था कि यदि विवेक की हत्या झुना सिंह के ऊपर के कर्ज ही कारण थे, तो करोड़ों रुपये के झुना के अकाउंट मे हुए ट्रांजेक्शन और उसके नाम पर चल रहे कोरियर कंपनी से आ रहे लाखों रुपये कहा जा रहे थे। ऐसा कौन सा कर्ज था, जिसकी भरपाई विवेक की हत्या से होने वाली थी।
अगर हत्यारे के कर्जे वाली कहानी को मान भी ली जाए तो फिर बड़े- बड़े भू- माफियाओं की क्या कहानी है। कौन सी जमीन की विवाद थी और कौन से भू माफिया या सफेदपोश इस खेल मे शामिल थे। इन सफेदपोशों या भू- माफियाओं को विवेक से क्या दुश्मनी थी और विवेक के कौन से कार्य इन सफेद पोशों या भू माफियाओ को नागवार गुजरी थी। ये सारे सवाल अभी भी अनुत्तरित है, जिसकी जवाब पुलिस तलाशने मे लगी है।
वैसे मोतिहारी एसपी ने घटना के साथ ही अपने कड़े रुख का इजहार करते हुए अपराधी पर 25,000 रुपये के इनाम की घोषणा कर दी थी और दबिश भी बनानी शुरू कर दी थी, नतीजतन हत्यारे को कोर्ट मे आत्म समर्पण करना पड़ा था। लेकिन अंदेशाओ और चर्चाओ को इसलिए भी बल मिल रहा है कि बड़े भू-माफिया और सफेदपोश अगर घटना के षड्यंत्रकारी है, तो फिर कही अनुसंधान को प्रभावित नहीं कर दे। लेकिन अपराधियों के प्रति मोतिहारी एसपी के नजरिए से ऐसा प्रतीत होता नहीं दिखता।
केस डायरी और चार्ज शीट मे अगर किसी अपराधी की स्वीकारोक्ति बयान मे किसी का नाम अगर आ जाए तो भी अनुसंधान को कम्प्लीट माना जाता रहा है, लेकिन अच्छी बात है कि अगर अन्य फिज़िकल और परिस्थिति जन्य साक्ष्यों के सामंजस्य स्थापित हो जाए तो कोर्ट के लिए और अच्छा होता है।
बहरहाल, देखना ये होगा कि इस हाई- प्रोफाइल मामले मे फिजाओं मे तैर रहे अंदेशाओं मे कितनी सच्चाई और पुलिस कितनी गहराई तक इस मामले को देख रही है।
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