
सागर सूरज
मोतिहारी। नगर- निगम के आयुक्त सुनील कुमार के नादिरशाही पैगाम के कारण होली के अवसर पर शहरवासी त्राहिमाम हो गए है। टैक्स की वसूली दुग्दुग्गी बजा कर की जा रही है और बकायेदार अपने पर्व को लेकर रखे जमा पूंजी देकर अपनी इज्जत बचा रहे है।

उल्लेखनीय है कि गत 7 मार्च, 2022 को नगर- निगम मोतिहारी में कर वसूली को लेकर एक समीक्षा बैठक की गयी एवं लक्ष्य के अनुरूप कर वसूली का निर्देश दिया गया, जिसमें कहा गया कि कर की वसूली दुग्दुग्गी एवं सिंघा बजाकर वसूली जाए, साथ में यह भी कहा गया कि लक्ष्य की प्राप्ति नहीं करने वाले कर्मचारियों को पदमुक्त करने हेतु एग्जीक्यूटिव कमेटी को लिखा जायेगा।
आदेश के बाद कर से जुड़े सभी कर्मचारी अत्यधिक दबाव में जीने लगे और अंततः उनकी टीम बकायदारों के दरवाजे तक दुग्दुग्गी और सिंघा लेकर घूमते हुये देखा गया। बैंड की टीम बकायेदारों के दरवाजे तक जाती और अपना बेसुरा बैंड शुरू कर बकायेदारों की बैंड बजानी शुरू कर देती फिर होती है कर चुकता करने की बात। इधर नगर- निगम के कर वसूलने के इस तरीके को “नादिरशाही” बताया जा रहा है। जानकारों की अगर मानें तो मोतिहारी नगर- निगम तो हो चुका है, लेकिन शहर वासियों को नगर परिषद की सुविधा भी मयस्सर नहीं होती है। कुछ प्रतिष्ठत लोग इनके द्वारा तय किये गए कर की राशि को समय पर दे देते है, लेकिन कई ऐसे लोग है जो कर की राशि को लेकर उनकी कई तरह की शिकायत रहती है, कुछ अर्थिक हालात के कारण समय पर नहीं दे पाते है। ऐसे में मार्च क्लोजिंग को लेकर नगर- निगम ये भी सुनने को तैयार नहीं की अगले कुछ दिनों बाद होली है अगर लोग अपनी जमा पूंजी इस डुगडुगी रूपी “बेइजती” से बचने को लेकर अगर दे भी देते है, तो वे अपना पर्व कैसे मनायेंगे।
सनद रहे कि नगर आयुक्त पद पर बिहार नगर सेवा से जुड़े सुनील कुमार काबिज है और किसी की जायज समस्या को भी सुनने के लिए उनके पास समय नहीं है। आरोप है कि वे दिन में कार्यालय में बैठते ही नहीं। उनकी कार्यालय शाम से शुरू होती है और अपने चंद सलाकारों से बात करके उनके कार्य समाप्त हो जाते है।
अब नगर निगम से शोषित पीड़ित लोग जाये तो कहा जाये। कर के निर्धारणों में इतनी मनमानी की कर से जुड़े कर्मचारी जो कह दे वही कर मान लेने में ही भलाई है।
नगर आयुक्त सुनील कुमार से उनका पक्ष लेने के लिए कई बार बात करने का प्रयास किया गया लेकिन वे ना तो किसी से मिलने को तैयार हुये और नहीं फोन पर ही उपलब्ध हो सके। मुहल्ले में लगातार बढ़ती सूअरों की तादाद, गन्दगी का अम्बार ऊपर से मनमाना टैक्स अंग्रेजी हुकूमत को याद दिलाती है, वही नगर आयुक्त के अव्यवहारिक निर्णयों से कर्मचारी इस तरह आहत है की कभी भी यहाँ भी मधुबनी नगर निगम के बड़ा बाबु वाली घटना की पुनरावृति हो सकती है। सनद रहे गत दिनों ही बड़ा बाबु का शव उनके ही कार्यालय में छत से झूलता हुआ पाया गया। कहा गया कि दबाव के कारण बड़ा बाबु ने आत्म हत्या कर ली।
खबर ये भी आ रही है कि मुंशी सिंह महाविद्यालय पर बकाये कर की वसूली को लेकर महाविद्यालय का खता भी फ्रीज़ करने का निर्णय लिया गया है। सवाल ये है की अगर अंग्रेजों की तरह वसूली जरूरी है, तो अंग्रेजों की तरह सुविधा भी नगर निगम लोगों को उपलब्ध करवाए।
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