
सागर सूरज, मोतिहारी। जिला रेडक्रॉस सोसाइटी की शासी निकाय का चुनाव 12 जून को संपन्न किए जाने के जिला प्रशासन की घोषणा के साथ कई समूह और दावेदार सभापति, उप सभापति कोषाध्यक्ष आदि पदों पर काबिज होने के लिए मैदान में कूद पड़े है। दावेदारों में समाजसेवी, व्यवसायी, चिकित्सक सहित कई पत्रकार भी अलग–अलग पैनल में अपना भाग्य आजमा रहे हैं, तो वहीं कई बदनाम चेहरे भी कुछ ग्रुप्स को दागदार बना रहें। बावजूद इसके 12 साल बाद संपन्न हो रहे इस चुनाव को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है।

सनद रहे कि पिछले शासी समिति के लोगों पर ब्लड की कालाबाजारी को लेकर कई आरोप लगते रहे हैं। समिति के लोगों पर ब्लड को अपने सगे -संबंधियों के नाम पर लेकर कालाबाजारी का भी आरोप लगता रहा है। लगातार आरोप के बाद जिला प्रशासन ने समिति को भंग कर दिया और फिर से चुनाव करवाने को लेकर तिथि की घोषणा भी कर दी। फिर क्या, शहर के नामचीन चिकित्सकों सहित समाजसेवी, पत्रकार आदि कई चेहरे सभापति पद को लेकर मैदान में ताल ठोकने लगे।
दावेदारों की बात करे तो डॉ. आशुतोष शरण के अलावा, विभूति नारायण सिंह, डॉ. चन्द्र सुभाष, ज्योति झा, बबलू दुबे, नासीर खान, दीपक अग्रवाल, महेश अग्रवाल आदि नाम सुर्खियों में हैं। वहीं चंद ऐसे नाम भी मैदान में हैं, जो जिले में अपने गलत कार्यों के लिए सुर्ख़ियों में रहे हैं। अच्छे और बुरे सभी तरह के लोग इन पदों पर काबिज होने को आतुर हैं। जाहिर है अगर गलत लोगों की फिर से समिति में प्रवेश हो जाती है तो उन काले कारोबार की पुर्नावृति शुरू हो सकती है।
इधर खबर है कि जिले के एक बड़े अधिकारी ने इस रेडक्रॉस में लगातार ब्लड डोनेट करने एवं करवाने वाले युवा को चुनाव नहीं लड़ने की सलाह दी। वहीं एक व्यक्ति को एक खास समूह के साथ जुड़ कर चुनाव लड़ने की सलाह दी। यही कारण है की यह चुनाव कभी रोचक हो गया है।अधिकारियों से लेकर आम लोगों तक इस चुनाव में रूचि ले रहे हैं।
वहीं पूर्व समिति को भंग करने के बाद हुए आम सभा के विपत्र भी खासे चर्चे में है। बताया गया 8 लाख रूपये इस एक बैठक में खर्च हुए। वहीं ब्लड सेपरेटर की खरीददारी के पीछे भी कुछ ऐसा ही खेल खेलने की जुगाड़ में सम्बंधित लोग लगे हैं। ब्लड सेप्रटर ब्लड के पार्टिकल को अलग अलग कर देता है, जिसके कारण एक बोतल ब्लड से कम से कम चार लोगों की जान बचाया जा सकता है। लेकिन आश्चर्य सदर अस्पताल को 300 बेड अस्पताल में परिवर्तित करने के आश्वासन मिलते तो रहे, लेकिन पुरे नहीं हुए। ऐसे में सदर अस्पताल का अपना ब्लड बैक और सेपरेटर की बात कहना बेमानी होगी।
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