मोदी @8 : बढ़ गई ट्रेन की स्पीड, आया कवच, अब नहीं बनता है समपार फाटक

मोदी @8 : बढ़ गई ट्रेन की स्पीड, आया कवच, अब नहीं बनता है समपार फाटक

Reported By BORDER NEWS MIRROR
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बेगूसराय । नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद बीते आठ वर्षों में भारत ने विकसित देश के तमाम आयामों पर ऐसा परचम लहराया, जिसकी चर्चा सात समुंदर पार विदेश तक हो रही है। सेवा, समर्पण सरोकार के भाव से काम कर रही केंद्र सरकार ने जब हर क्षेत्र में विकास किए गए तो इन आठ साल में रेलवे को भी नई गति मिली है।

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टक्कर से बचाने के लिए कवच बनाया गया, तो गति बढ़ाने के लिए नई-नई लाइन बिछ गई। अब वैध टिकट लेकर ट्रेन में चलने वाले यात्रियों को परेशानी नहीं होती है। मोदी के डिजिटल इंडिया अभियान ने सुरक्षा पर भी बड़े काम किए हैं, पूरा रेलवे सिस्टम सोशल मीडिया पर लगातार नजर रखते हुए किसी भी समस्या का समाधान करती है। ट्विटर पर लोग शिकायत करते हैं और अगले स्टेशन तक उनकी समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया जा रहा है, यह बहुत बड़ी बात है।

भारतीय रेल ट्रेनों के संरक्षित परिचालन के लिए सदैव तत्पर रहती है, पिछले आठ वर्षों में सभी मानव रहित समपार फाटकों को समाप्त कर दिया गया है। सभी मानव सहित समपार फाटकों को भी समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया हैं। अब जहां भी नई रेल लाईन का निर्माण किया जा रहा है वहां रेल लाईनों के निर्माण के साथ ही समपार फाटक के स्थान पर रेलवे ओवर ब्रिज, रेलवे अंडर ब्रिज एवं लिमिटेड हाइट सबवे का निर्माण किया जा रहा है।

बढ़ते हादसे के मद्देनजर प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद नरेन्द्र मोदी ने रेलवे को हादसों पर काबू पाने का टास्क दिया तथा कवच बनकर तैयार हुआ। ट्रेनों के आमने-सामने की टक्कर को रोकने के लिए ''कवच'' प्रणाली की स्थापना की जा रही है। पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी वीरेन्द्र कुमार ने बताया कि ट्रेनों के समय सुरक्षित परिचालन तथा यात्री सुविधा के लिए रेलवे की टीम हर हमेशा तत्पर रहती है।

अब बन रही नई रेल लाइनों पर समपार फाटक नहीं बनता है, बल्कि ठोस उपाय किए जाते हैं। बिहार में 2014 से 2022 के बीच 319 रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी), रेलवे अंडर ब्रिज (आरयूबी) एवं लिमिटेड हाइट सबवे (एलएचएस) का निर्माण किया गया है। इससे एक ओर जहां ट्रेनों के सुरक्षित परिचालन में मदद मिली है, वहीं दूसरी ओर ट्रेनों की गति में भी काफी सुधार हुआ है। यह प्रयास सुरक्षित एवं निर्बाध सड़क यातायात में भी यह काफी सहायक सिद्ध हुआ है।

संरक्षित परिचालन के दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पूर्व मध्य रेल द्वारा 2018 के अक्टूबर में ही सभी मानव रहित समपार फाटकों को समाप्त कर दिया गया है। इसके साथ ही 2019 से 2022 के बीच 174 मानव सहित समपार फाटकों को बंद किया गया। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के बीते आठ वर्षों में रेलवे द्वारा आधारभूत संरचना नई लाइन, आमान परिवर्तन, दोहरीकरण एवं विद्युतीकरण के क्षेत्र में कार्य तेजी जी पूरे किए गए। आरओबी एवं आरयूबी के निर्माण से कई रेलखंड के सेक्सनल स्पीड में भी बढ़ोत्तरी की गई है जो ट्रेनों के समय पालन में सुधार करने में सहायक सिद्ध हुआ है।

इस आठ वर्ष में बरौनी-कटिहार, बछवाड़ा-शाहपुर पटोरी, हाजीपुर-रामदयालू, नरकटियागंज-रक्सौल, रक्सौल-छौड़ादानों, बैरगनिया-छौड़ादानों, समस्तीपुर-किशनपुर, सकरी-जयनगर, मुजफ्फरपुर-रून्नीसैदपुर, मानसी-महेशखूंट, थलवारा-दरभंगा, सहरसा-सुपौल आदि रेलखंडों की सेक्सनल स्पीड बढ़ाते हुए 100 एवं 110 किलोमीटर प्रतिघंटा किया गया है। जबकि, बरौनी-हाजीपुर, बरौनी-कटिहार, बरौनी-राजेन्द्र पुल एवं परमानंदपुर-पाटलीपुत्र रेलखंड के स्टेशनों पर लूप लाइन की गति सीमा को बढ़ाकर 30 किलोमीटर प्रतिघंटा किया गया है।

झाझा-पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन रेलखंड एवं ग्रैंडकॉर्ड रेलखंड के प्रधानखंटा-पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन रेलखंड पर अब मेल एवं एक्सप्रेस ट्रेनों का परिचालन अधिकतम 130 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से किया जा रहा है। इससे समय पालन में जबरदस्त वृद्धि हुई है, जिसका सीधा लाभ यात्रियों को मिल रहा है। पूर्व मध्य रेल द्वारा ट्रेनों के संरक्षित परिचालन के लिए पहले चरण में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से प्रधानखांटा तक ''कवच'' प्रणाली की स्थापना की जा रही है। इसके साथ ही कवच प्रणाली को पूर्व मध्य रेल के अन्य महत्वपूर्ण रेलखंडों पर भी स्थापित करने की प्रक्रिया पर तेजी से कार्य किया जा रहा है। मोदी सरकार की अच्छी पहल है कि जल्द ही सभी रुट पर कवच प्रणाली एक्टिव होने से ट्रेनों के आमने-सामने टक्कर की संभावना समाप्त हो जाएगी।

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह कहते हैं कि मोदी सरकार का यह आठ साल विश्व गुरु बन रहे भारत का स्वर्णिम काल रहा है। मोदी सरकार एक से एक जन कल्याणकारी योजनाओं का संचालन करने के साथ ही देश की आधारभूत संरचना मजबूत कर रही है। गांव और ग्रामीण विकास के लिए रेलवे की आधारभूत संरचना एक मजबूत कड़ी है और इस दिशा में बेहतर काम करते हुए जब सरकार पूरे देश ही नहीं, पड़ोसी देश नेपाल तक को जोड़ने के लिए रेलवे का उन्नयन कर रही है तो बिहार को भी रेलवे की कई बड़ी परियोजनाओं की सौगात मिली है।

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