
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को 76वें स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए देश के सामने ‘पंच प्रण’ का जिक्र किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमें आजादी के अमृत काल में बड़े लक्ष्य निर्धारित करने होंगे। हमें बड़े संकल्प जैसे विकसित भारत, गुलामी के एक भी अंश को बचने देना, विरासत पर गर्व, एकता व एकजुटता और नागरिकों के कर्तव्यों इन ‘पंच प्रण’ रूपी शक्ति के संकल्प धारण करने चाहिए।
उन्होंने कहा कि आज विश्व पर्यावरण की समस्या से जो जूझ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की समस्याओं के समाधान का रास्ता हमारे पास है। इसके लिए हमारे पास वो विरासत है, जो हमारे पूर्वजों ने हमें दी है।
उन्होंने कहा कि हम वो लोग हैं, जो जीव में शिव देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नर में नारायण देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नारी को नारायणी कहते हैं, हम वो लोग हैं, जो पौधे में परमात्मा देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नदी को मां मानते हैं, हम वो लोग हैं, जो कंकड़-कंकड़ में शंकर देखते हैं।
मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत, ये हर नागरिक का, हर सरकार का, समाज की हर एक इकाई का दायित्व बन जाता है। आत्मनिर्भर भारत, ये सरकारी एजेंडा या सरकारी कार्यक्रम नहीं है। ये समाज का जनआंदोलन है, जिसे हमें आगे बढ़ाना है।
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