
बीजिंग। भारत-चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर की बात पर चीन ने सहमति जताते हुए साथ चलने की बात कही है।
चीन ने जयशंकर के उस बयान से सहमति जताई जिसमें विदेश मंत्री ने कहा था कि भारत और चीन एक साथ आये बिना 21वीं सदी एशियाई सदी नहीं बन सकती।
इस बयान पर ड्रैगन ने कहा है कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध दूर करने के लिए दोनों देशों के बीच प्रभावी वार्ता जारी है।
थाइलैंड की राजधानी बैंकाक में जयशंकर ने कहा था कि भारत और चीन के संबंध बहुत मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं।
विदेश मंत्री का कहना है कि यह स्थिति चीन के वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति बदलने से बनी है।
अगर भारत और चीन के संबंध तनावपूर्ण बने रहे तो यह सदी 'एशियाई सदी' नहीं बन सकती।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि चीन के एक नेता ने कहा था कि अगर चीन और भारत ने तेज विकास नहीं किया तो 'एशियाई सदी' की परिकल्पना साकार नहीं हो सकेगी।
प्रवक्ता के अनुसार यह बात बिल्कुल सही है कि एशिया महाद्वीप की सदी बनाने के लिए चीन, भारत और अन्य क्षेत्रीय देशों को तेज विकास करना होगा।
चीन और भारत प्राचीन सभ्यताओं वाले देश हैं, उनकी अर्थव्यवस्था उभार पर है और दोनों बड़े देश पड़ोसी हैं। इसलिए उनके साथ आने पर नई संभावना पैदा होती है।
प्रवक्ता ने कहा कि चीन और भारत के बीच के कुछ मतभेदों को छोड़ दिया जाए तो उनके साझा हित ज्यादा हैं।
दोनों पड़ोसियों के पास बौद्धिक संपदा और क्षमताएं हैं, जो एक-दूसरे को लाभ पहुंचाने में काम आ सकती हैं।
इसलिए एक-दूसरे के लिए खतरा पैदा करने वाले कार्यों से बचा जाना चाहिए। आशा है कि दोनों देश एक ही दिशा में मिलकर कार्य करेंगे और विकास की संभावनाओं को साझा करेंगे।
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