
सागर सूरज

मोतिहारी : नेपाल में अपने –अपने प्रभुत्व कायम करने के लिए भारत और चीन के बीच जारी प्रतिस्पर्धाओं के बीच रेलवे परियोजना मामले में भारत के समक्ष चीन लगातार पिछड़ता दिख रहा है | देर से शुरू करने के बाद भी भारत ने फिसिबिलिटी टेस्ट किया पूरा |
भारतीय रेलवे अधिकारियों की माने तो चीनी तकनीकी टीम ने केरुंग-काठमांडू क्रोस बॉर्डर रेलवे के लिए अभी –अभी फिजिबिलिटी अध्ययन शुरू किया है जबकि भारतीय टीम ने रक्सौल-काठमांडू रेलवे परियोजना की विस्तृत फिसिबिलिटी अध्यन लगभग पूरा कर लिया है |
नेपाल में चीन और भारत का रेलवे परियोजना दोनों पडोसी देशों के बीच जारी भू-राजनीतिक प्रतिद्वंदिता को दर्शाने का कार्य कर रही है |
अधिकारी ने बताया कि प्रस्तावित रक्सौल-काठमांडू रेलवे की प्रगति केरुंग-काठमांडू परियोजना की तुलना में अधिक तेजी से हुई है | भारतीय पक्ष रक्सौल और काठमांडू के बीच प्रस्तावित ब्राडगेज लाइन के अंतिम स्थान सर्वेक्षण का फील्ड वर्क पूरा कर लिया है |
भारतीय सर्वेक्षण का कार्य कोंकण रेलवे कोर्पोरेशन लिमिटेड कर रहा है, संभावित रूप से अप्रैल-मई तक फिसिबिलिटी सर्वे रिपोर्ट भी यह कंपनी जमा कर देगी | बताया गया है कि भारत और चीन दोनों ही देश अपने-अपने अनुदान से सीमा पार रेलवे लाइनों के लिए विस्तृत व्यवहार्यता अध्ययन कर रहा है |
चीन रेलवे प्रथम सर्वेक्षण और डिजाईन संस्थान समूह का प्रतिनिधित्व करने वाली छह सदसीय चीनी टीम ने नेपाल में फिसिबिलिटी सर्वेक्षण के लिए आई थी ,लेकिन कोविड के बहाने पुनः चीन लौट गयी परन्तु अब फिर नेपाल में सर्वेक्षण शुरू कर दी है |
जब तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मार्च 2016 में चीन का दौरा किया, तो दोनों देशों ने रेलवे कनेक्टिविटी के लिए सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
ट्रांस-हिमालयन रेलवे कनेक्टिविटी के विचार ने गति पकड़ी थी और दोनों पक्ष सरकारी विभागों के बीच रेलवे सहयोग पर दीर्घकालिक संचार तंत्र का अच्छा उपयोग करने पर सहमत हुए थे। यात्रा के बाद जारी संयुक्त बयान के अनुसार, चीनी पक्ष प्रौद्योगिकी और कर्मियों के प्रशिक्षण के रूप में इस तरह की सहायता प्रदान करने पर सहमत हुआ।
फिर, चीन ने नवंबर 2017 और मई 2018 में प्रस्तावित रेलवे के लिए प्रारंभिक व्यवहार्यता अध्ययन करने के लिए अपनी तकनीकी टीमों को भेजा।
चीनी कनेक्टिविटी परियोजनाओं ने भारत में खतरे की घंटी बजाई है, क्योंकि भारत ने भी रक्सौल-काठमांडू रेलवे परियोजना का प्रस्ताव रखा है। रेलवे विभाग के पूर्व महानिदेशक अनंत आचार्य ने कहा, "चीन द्वारा अपनी सीमा पार रेलवे परियोजना के साथ आगे आने के बाद मैंने रक्सौल-काठमांडू रेलवे नेटवर्क बनाने की उनकी तात्कालिकता को महसूस किया।"
संयुक्त बयान के अनुसार, भारत और नेपाल भारत की वित्तीय सहायता के साथ, भारत के सीमावर्ती शहर रक्सौल को काठमांडू से जोड़ने वाली एक नई विद्युतीकृत रेल लाइन बनाने पर सहमत हुए।
“पहले कदम के रूप में, यह सहमति हुई कि भारत सरकार, नेपाल सरकार के परामर्श से, एक वर्ष के भीतर प्रारंभिक सर्वेक्षण कार्य करेगी, और दोनों पक्ष परियोजना के कार्यान्वयन और वित्त पोषण के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देंगे।
पूर्व-व्यवहार्यता अध्ययन के अनुसार, रेलवे लाइन रक्सौल से शुरू होगी और चोबर, काठमांडू को जोड़ने से पहले जीतपुर, निजगढ़, सिखरपुर, सिसनेरी और साथीखेल से होकर गुजरेगी और इसमें 41 पुल और 40 मोड़ होंगे।
प्रस्तावित केरुंग-काठमांडू रेलवे के मामले में, चाइना रेलवे फर्स्ट सर्वे एंड डिज़ाइन इंस्टीट्यूट ग्रुप ने 2018 में रेलवे लाइन के लिए तकनीकी विवरण तैयार किया था और बाद में पूर्व-व्यवहार्यता अध्ययन किया था।
केरुंग-काठमांडू रेलवे नेपाल-चीन सीमा के पास तिब्बती शहर शिगात्से को केरुंग से जोड़ने वाली 550 किलोमीटर लंबी रेलमार्ग का हिस्सा होगा । पूर्व-व्यवहार्यता अध्ययन के अनुसार, केवल 75 किलोमीटर लंबे, केरुंग-काठमांडू खंड के निर्माण में हिमालयी क्षेत्र सहित कठिन भूगर्भीय इलाकों और अन्य जटिलताओं के कारण चीन और भारत को $3 बिलियन से अधिक की लागत आएगी।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अक्टूबर 2019 की नेपाल यात्रा के दौरान दोनों देश फिलिबिलिटी अध्ययन को लेकर सहमत हुये थे | दूसरी और रक्सौल –काठमांडू रेलवे के विकास पर भारत और नेपाल के बीच अक्टूबर 2021 में समझौता किये गये |
चीनी टीम अब व्यवहार्यता अध्ययन का काम शुरू कर दिया है इसमें अभी भी 42 महीने लग सकते है |
दूसरी तरफ भारतीय पक्ष देर से शुरू करने के बाद भी अंतिम सर्वेक्षण लगभग पूरा कर चूका है | हालाँकि रक्सौल –काठमांडू रेलवे परियोजना को लेकर भारत-नेपाल के बीच वित् पोषण पर कोई समझौता नहीं हुआ है |

दोनों ही लइनों को बनाना काफी कठिन होगा | चीन और भारत को कई सुरंग खोदनी होगी, केरुंग –काठमांडू रेलवे 72 किलोमीटर लम्बा है, जबकि रक्सौल –काठमांडू 141 किलोमीटर लम्बा है |
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