
जिला भाजपा के संरक्षण में संचालित होता है अवैध सब्जी मंडी, जिलाधिकारी करेंगे कारवाई
छतौनी चौक स्थित अवैध रूप से संचालित सब्जी बाजार होगा बंद, जांच कर कार्रवाई की जाएगी -जिलाधिकारी

सागर सूरज
मोतिहारी : भाजपा संरक्षित छतौनी चौक स्थित अवैध रूप से संचालित सब्जी बाजार इन दिनों पुनः सुर्खियों मे है | सवाल है आखिर ऐसा क्या है जो नगर निगम के मर्जी के विरुद्ध इस बाजार को वर्षों से संचालित करते हुए सरकार के लाखों रुपये के राजस्व का चूना लगाया जा रहा है और प्रशासन मूकदर्शक बनी हुई है |
जिला प्रशासन ने छतौनी चौक पर ट्रैफिक जाम और अवैध गतिविधियों का महत्वपूर्ण कारण बने इस बाजार को मनरेगा के पास स्थानांतरित करने के लिए वहाँ बजाप्ता एक बाजार का निर्माण करवा दिया, लेकिन लाखों रुपये खर्च से बने वह बाजार आज भी वीरान पडा हुआ है |
हालांकि जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल ने “बीएनएम” से बात करते हुए कहा कि अगर ऐसा है तो अवैध रूप से संचालित इस मंडी को इसके लिए बनाए गए जगह पर शिफ्ट किया जाएगा एवं इसके अब तक के संचालन मामले मे भी जांच की जाएगी और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी |
जिला प्रशासन और अनुमंडल पदाधिकारी के सहयोग से इस अवैध बाजार को मानरेगा वाले नवनिर्मित बाजार के पास शिफ्ट करने के कई बार कवायद शुरू किए गए लेकिन बाजार के संचालनकर्ताओं के प्रभाव के सामने प्रशासन को घुटने टेकने पड़े |
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय उच्च पथ के किनारे स्थित खाता 2 ,खेसरा 51, 52 और 53 की यह भूमि बेतिया राज से संबंधित | मंडी चलाने का कोई लाइसेंस आज तक जारी नहीं हुआ ,यही नहीं वहाँ लाखों रुपये के व्यवसाय करने वाले व्यापारी ऐसे है जिससे कोई भी ट्रैड लाइसेंस नहीं लिया है | जिले भर से आने वाले ग्राहक, किसान, मालवाहक वाहनों से लगने वाले आए दिन के जाम से लोग हलकान रहते है |
आरोप है कि सब्जी का यह मंडी मुख्य रूप से सुबह लगता है, जिले भर के व्यापारी यहाँ आते है | लेकिन दोपहर मे यहाँ ताश और जुए का खेल शुरू हो जाता है और रात मे कथित रूप से देह व्यापार का धंधा | मोटर साइकल चोरी की घटना तो जैसे यहाँ आम बात है |
बता दें कि यहाँ से प्रतिदिन दो से तीन टेलर कचरा निकलता है, जिसे मंडी चलाने वाले व्यक्ति द्वारा कोई निपटान नही किया जाता, इस कचरे का निपटान नगर निगम को करना पड़ता है, जिसमे नगर निगम को प्रतिदिन 10 हज़ार रुपये खर्च करने पड़ते हैं, यानि महीने के 3 लाख और साल मे 36 लाख और बदले में नगर निगम को कोई राजस्व प्राप्त नही होता।
यही नहीं थोक सब्ज़ी मंडी के लिए जिला परिषद द्वारा नरेगा पार्क के पास करोड़ो की लागत से मंडी बनाई गई है, जो आज तक चालू नही हो पाई है। इस सब्ज़ी मंडी को वही शिफ्ट करना चाहिए था |
संचालक तो इस मंडी से लाखों रुपये कमाते है लेकिन सरकार और नगर निगम के खाते मे एक रुपया नहीं आता है जो जांच का विषय है | मंडी के जरिये तकरीबन एक लाख वर्गफीट सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किया गया , लेकिन भाजपा नेताओ का संरक्षण इस अवैध मंडी को हटाने में बाधक बना हुआ है। खुद मण्डी संचालक भी बड़े भाजपा का नेता है।
नगर निगम वेंडिंग ज़ोन और पार्किंग बनाने के लिए जगह खोज रही है। इस सरकारी जमीन को इस काम मे लेकर इसकी बंदोबस्ति करके राजस्व प्राप्ति की जा सकती थी ।
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