अवैध सब्जी बाजार मामले में नगर निगम आयुक्त सवालों के घेरे में, जिलाधिकारी की संदेहास्पद चुप्पी से आक्रोश  

अवैध सब्जी बाजार मामले में नगर निगम आयुक्त सवालों के घेरे में, जिलाधिकारी की संदेहास्पद चुप्पी से आक्रोश  

Reported By SAGAR SURAJ
Updated By SAGAR SURAJ
On
नगर आयुक्त ने पूछे जाने पर बताया कि उन्हे इसकी कोई जानकारी नहीं है, क्योंकि वे स्वतंत्र प्रभार देकर अलग अलग हो गए थे। मामले में पत्रकार पर हमला और इसको लेकर धरना प्रदर्शन तक हुए, फिर भी इसकी जानकारी नगर आयुक्त साहब को नहीं है, जो हास्यास्पद तो है ही साथ ही नगर आयुक्त और संचालकों के बीच के अवैध गठबंधन की ओर भी इंगित करता है।
 
सागर सूरज 
 
मोतिहारी। छतौनी चौक स्थित अवैध रूप से संचालित सब्जी बाजार से संबंधित फ़ाइलों पर नगर निगम कुंडली मार कर बैठी गई है। नगर निगम ने खबरें प्रकाशन के बाद दो –दो नोटिस अतिक्रमणकारियों एवं संचालकों के नाम जारी किया, फिर भी वर्तमान नगर आयुक्त बताते है इनको इसकी कोई जानकारी नहीं है।
 
IMG-20230615-WA0177
 
यही नहीं इस मामले में जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल की संदेहास्पद चुप्पी भी सवालों में है। खबरों में जिलाधिकारी का बयान आना यानि मामले का संज्ञान में होना समझ जाता है, ऐसे में उक्त अवैध सब्जी बाजार का बदस्तूर संचालन और सरकारी टेक्स के वारा-न्यारा के आरोपों को अब अधिकारियों को भी साझा करना पड़े तो कोई अतिशयोक्ति नहीं मानी जानी चाहिए।
 
हालांकि, जोर देने पर नगर आयुक्त मामले को फिर से देखने की बात कह कर निकाल लिए, लेकिन शहर वासियों को इसको लेकर आक्रोश बरकरार है। इधर खबर है कि तिरहुत कमिश्नर गोपाल मीना इस मामले में हस्तक्षेप कर चुके है। श्री मीना को भी खबरों से अवगत करवाया गया था। 
 
उल्लेखनीय है कि छतौनी चौक स्थित अवैध रूप से संचालित सब्जी बाजार को लेकर नगर आयुक्त ने अपने पत्रांक 1114 दिनांक 6 मई , 2023 के माध्यम से संचालक निक्कू कुमार, पिता स्वर्गीय प्रेम चंद्र प्रसाद, आर्य समाज चौक, मोतीहारी सहित कई लोगों को आदेश दिया था कि सब्जी बाजार का अवैध रूप से संचालन किया जा रहा है, जिसको लेकर शहर में जाम की स्थिति है। जिला प्रशासन द्वारा अतिक्रमण के विरुद्ध अभियान चलाया जा रहा है, ऐसे में संचालित 8 मई तक संबंधित कागजात के साथ कार्यालय में उपस्थित हो।
नगर आयुक्त प्रवीण कुमार ने अपने पत्र के माध्यम से इस मामले में कड़ी कार्रवाई के संकेत दिए थे। पत्र के बाद संचालकों में हड़कंप था, लेकिन प्रवीण कुमार के प्रभार से मुक्ति के बाद ही मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अगर आरोपों पर भरोसा करें तो इस मामले में बड़ी राशि का खेल- खेला गया है।
 
बॉर्डर न्यूज मिरर ने इस अवैध रूप से संचालित सब्जी मंडी एवं इससे होने वाली जाम की समस्या को लेकर जिला प्रशासन को अवगत करवा था।
 
 बताया गया कि नगर निगम के मर्जी के विरुद्ध इस बाजार को वर्षों से संचालित करते हुए सरकार के लाखों रुपये के राजस्व का चूना लगाया जा रहा है और प्रशासन मूकदर्शक बनी हुई है। 
जिला प्रशासन ने छतौनी चौक पर ट्रैफिक जाम और अवैध गतिविधियों का महत्वपूर्ण कारण बने इस बाजार को मनरेगा के पास  स्थानांतरित करने के लिए वहाँ बजाप्ता एक बाजार का निर्माण करवा दिया, लेकिन लाखों रुपये खर्च से बने वह बाजार आज भी वीरान पडा हुआ है। 
 
पूर्व में जिला प्रशासन और अनुमंडल पदाधिकारी के सहयोग से इस अवैध बाजार को मनरेगा वाले नवनिर्मित बाजार के पास शिफ्ट करने के कई बार कवायद शुरू किए गए लेकिन बाजार के संचालनकर्ताओं के प्रभाव के सामने प्रशासन को घुटने टेकने पड़े। 
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय उच्च पथ के किनारे स्थित खाता 2, खेसरा 51, 52 और 53 की  यह भूमि बेतिया राज से संबंधित। मंडी चलाने का कोई लाइसेंस आज तक जारी नहीं हुआ, यही नहीं वहाँ लाखों रुपये के व्यवसाय करने वाले  व्यापारी ऐसे है जिससे कोई भी ट्रैड लाइसेंस नहीं लिया है। जिले भर से आने वाले ग्राहक, किसान, मालवाहक वाहनों से लगने वाले आए दिन के जाम से लोग हलकान रहते है।  
 आरोप है कि सब्जी का यह मंडी मुख्य रूप से सुबह लगता है, जिले भर के व्यापारी यहाँ आते है। लेकिन दोपहर में यहाँ ताश और जुए का खेल शुरू हो जाता है और रात में कथित रूप से देह व्यापार का धंधा। मोटर साइकल चोरी की घटना तो जैसे यहाँ आम बात है। 
बता दें कि यहाँ से प्रतिदिन दो से तीन टेलर कचरा निकलता है, जिसे मंडी चलाने वाले व्यक्ति द्वारा कोई निपटान नही किया जाता, इस कचरे का निपटान नगर निगम को करना पड़ता है, जिसमें नगर निगम को प्रतिदिन 10 हज़ार रुपये खर्च करने पड़ते हैं, यानि महीने के 3 लाख और साल में 36 लाख और बदले में नगर निगम को कोई राजस्व प्राप्त नही होता। जबकि एक अनुमान के अनुसार संचालक प्रतिदिन करीब एक लाख व्यवसियों से वसूलने का कार्य भी करते है।
 
यही नहीं थोक सब्ज़ी मंडी के लिए जिला परिषद द्वारा नरेगा पार्क के पास करोड़ो की लागत से मंडी बनाई गई है, जो आज तक चालू नही हो पाई है। इस सब्ज़ी मंडी को वही शिफ्ट करना चाहिए था। 
 
संचालक तो इस मंडी से लाखों रुपये कमाते है लेकिन सरकार और नगर निगम के खाते में एक रुपया नहीं आता है जो जांच का विषय है। मंडी के जरिये तकरीबन एक लाख वर्गफीट सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किया गया, लेकिन भाजपा नेताओ का संरक्षण इस अवैध मंडी को हटाने में बाधक बना हुआ है। खुद मण्डी संचालक भी बड़े भाजपा का नेता है। 
नगर निगम वेंडिंग ज़ोन और पार्किंग बनाने के लिए जगह खोज रही है। इस सरकारी जमीन को इस काम में लेकर इसकी बंदोबस्ति करके राजस्व प्राप्ति की जा सकती थी।
 

Post Comment

Comments

16 Jun 2023 08:33:56
to apne yaha ek fruits aur aalu pyaj mandi hia. jo sarkari hai. waha kon si safai ya road ya ukt bate jo likhi gyi mandi k vishay me wo waha samsya nhi hai.

राशिफल

Live Cricket

Epaper

मौसम