#Pragyana Rover on Moon: चांद की सतह पर खजाना ही खजाना, 'प्रज्ञान' ने भेजी जानकारी तो दुनिया भी रह गई हैरान, आप भी जानकर हो जायेंगे भौचक्के

#Pragyana Rover on Moon: चांद की सतह पर खजाना ही खजाना, 'प्रज्ञान' ने भेजी जानकारी तो दुनिया भी रह गई हैरान, आप भी जानकर हो जायेंगे भौचक्के

प्रज्ञान रोवर ने अब तक जिन इलिमेंट्स के बारे में जानकारी दी है वो कई उम्मीदों को जन्म देने वाली है, चांद की सतह पर ऑक्सीजन का मिलना अहम

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चांद के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर अंगद की तरह पांव जमाकर खड़ा है और प्रज्ञान रोवर सतर्कता के साथ चहलकदमी करते हुए एक से बढ़कर एक जानकारी भेज रहा है. प्रज्ञान चांद की सतह से जो जानकारी भेजा है वो बेहद काम की है. चांद के जिस हिस्से में विक्रम और प्रज्ञान हैं वो विशाल खड्डों वाला इलाका है लेकिन उनमें खजाना भरा पड़ा है.

Pragyana Rover on Moon: चांद के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर अंगद की तरह पांव जमाकर खड़ा है और प्रज्ञान रोवर सतर्कता के साथ चहलकदमी करते हुए एक से बढ़कर एक जानकारी भेज रहा है. प्रज्ञान चांद की सतह से जो जानकारी भेजा है वो बेहद काम की है. चांद के जिस हिस्से में विक्रम और प्रज्ञान हैं वो विशाल खड्डों वाला इलाका है लेकिन उनमें खजाना भरा पड़ा है. आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर ऐसी क्या चीज मिली है जिसके बाद इसरो उत्साहित है और इंसानों के लिए भी लाभकारी साबित होने वाला है. सात दिन के सफर में प्रज्ञान रोवर ने बताया कि चांद पर ऑक्सीजन, सल्फर, आयरन और निकिल का बड़ा भंडार हो सकता है. अगर ऐसा है तो निश्चित तौर पर आने वाले दशकों में चांद रिहाइश के लिए विकल्प साबित हो सकता है.

चांद की सतह पर अब तक क्या मिला
- ऑक्सीजन(oxygen)
- सल्फर(sulphur)
- आयरन(iron)
- निकिल(nikhil)
- क्रोमियम(chromium)
- टाइटेनियम(titanium)
- मैग्नीज(manganese)
- सिलिकॉन(silicon)

जानकारों का कहना है कि ऑक्सीजन के मिलने से पानी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. इसके साथ ही आयरन का मिलना इस बात की तरफ इशारा कर रहा है धरती पर जब यह संसाधन पूरी तरह खत्म हो जाएगा तो चांद आगे चलकर इंसानी जरूरतों को पूरी कर सकता है। इसके साथ ही सिलिकॉन, टाइटेनियम की मौजूदगी इंसानों के लिए अच्छी खबर है. मसलन धरती पर जब इन रिसोर्स का दोहन हो चुका होगा तो हमारे पास दूसरे विकल्प भी होंगे.

23 अगस्त को हुई थी सफल लैंडिंग

चांद की सतह पर 23 अगस्त को शाम 6 बजकर चार मिनट विक्रम लैंडर के उतरने के बाद भारत ने इतिहास रच दिया. पहले तो वो उन चार देशों में शामिल हुआ जोकि यह कामयाबी हासिल कर चुके थे लेकिन भारत की कामयाबी इसलिए भी अहम हो गई क्योंकि दक्षिणी ध्रुव पर कोई देश अपने मिशन को पहली बार उतारने में कामयाब हुआ. अब तक जो भी मिशन कामयाब हुए वो या तो भूमध्यरेखा के आसपास या उत्तरी ध्रुव के करीब उतरे थे.

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