बिगनी मलाहीन: लाशों की ढेर पर कोई घड़ियाली आँशु बहा रहा है,,,,,  

बिगनी मलाहीन: लाशों की ढेर पर कोई घड़ियाली आँशु बहा रहा है,,,,,  

Reported By SAGAR SURAJ
Updated By SAGAR SURAJ
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अपराध वही, भ्रष्टाचार वही, एक भी उद्योग नहीं, एक चीनी मिल था वो भी बंद हो गया | हा- अपहरण उधयोग बंद जरूर हो गए, लेकिन उसकी जगह भू- माफियाओं ले लिया | अपहरण उद्योग से जुड़े कई लोग अब नेता हो गए और नेता जी इनसे चन्दा लेते रहे |  

 

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सागर सूरज

लोकसभा चुनाव की विगुल बजते ही मोतिहारी लोक सभा क्षेत्र मे राजनीतिक सरगर्मियाँ अपने उफान पर है, वही भाजपा के इस गढ़ के लिए प्रत्यासी की घोषणा होनी तो अभी बाकी है, लेकिन वर्तमान सांसद पर बिगनी मलाहीन का हमला लगातार जारी है |

टिकट साहब को फिर से मिल जाए या किसी और को मिले दोनों ही सूरत मे छह बार सांसद रहे साहब से बिगनी मलाहीन का सवाल जारी रहेगा | रहे भी क्यों नहीं 30 वर्षों से ऊपर सांसद रहने के बाद और एक बार केन्द्रीय मंत्री रहने के बाद भी आजादी काल से जो मुख्य समस्यायें थी वो आज भी मुंह बाये खड़ी है |

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बिगनी इस लोक सभा क्षेत्र के शोषित पीड़ित लोगों की प्रतीकात्मक चेहरा है, जो समय -समय पर राजनीतिक चेहरों से सवाल करती रहती है | बिगनी बोली इस बार लोग सांसद महोदय से मुक्ति चाहते है, अगर मुक्ति नहीं मिली फिर भी उनसे पूछा जाता रहेगा कि मेन रोड मे रहमान क्लिनिक के सामने की गली मे स्थित भाजपा के कार्यालय मे अब आपके परिवार के लोग क्यों रहते है |

 जाहीर सी बात है सांसद महोदय का जवाब होगा कि वो कार्यालय उनके निजी जमीन मे था | तो फिर उक्त कार्यालय के निर्माण कार्य मे सांसद निधि का रुपया, कई एमएलसी, विधायकों और शहर के धनाढ्य लोगों का सहयोग क्यों लिया गया | जवाब नहीं है – अब बिगनी बोली वहाँ से कार्यालय गांधी कॉम्प्लेक्स मे शिफ्ट कर दिया गया | इस कॉम्प्लेक्स की कहानी भी अजीब है | गुप्ता जी जब नगर परिषद मे थे तो साहब के पिता के नाम स्थापित एक ट्रस्ट के नाम उक्त कॉम्प्लेक्स को लीज पर लिया गया और भाजपा का पार्टी कार्यालय बनाया गया | इस निर्माण कार्य मे भी करोड़ों रुपये खर्च किये गए | कभी चिकित्सकों की बैठक की गई, तो कभी व्यवासईयों की, तो कभी पेट्रोल पम्प मालिकों और विभिन्न्य डीलरों की और सबके नाम चंदे की राशि का फरमान सुना दिया गया |

इसके अलावा कई सरकारी राशि को भी डायवर्ट किया गया, फिर जाकर गांधी कॉम्प्लेक्स मे शानदार कमरे बने और भाजपा का कार्यालय चला, लेकिन गत वर्षो भाजपा का कार्यालय चंदरहियाँ मे शिफ्ट कर दिया गया और गांधी कॉम्प्लेक्स को भी निजी इस्तेमाल मे ले लिया गया |

बिगनी बोली भाजपा के प्रति समर्पित नेताओं के भावनाओं के साथ खूब खेला गया, फिर भी नेता जी अपने आप को भाजपा का समर्पित कार्यकर्ता कहते नहीं थकते है | बिगनी आगे कहती है, पार्टी के प्रति उनके तथा-कथित समर्पण की कहानी कुछ इस तरह से है |

जिला परिषद अध्यक्ष के चुनाव मे भाजपा विधायक पवन जयसवाल की पत्नी का विरोध करते हुए दूसरों को समर्थन करना और जिले भर मे होर्डिंग के माध्यम से उनको बधाई देते हुए पार्टी की पूरी संरचना का इस्तेमाल करते हुए काँग्रेस नेता के  पत्नी की जीत सुनिश्चित करवाना |

एमएलसी चुनाव मे भाजपा के प्रत्याशी बाबलू गुप्ता का विरोध करना और एक स्वतंत्र प्रत्याशी का समर्थन करना और जीते हुए प्रत्याशी को होर्डिंग्स के माध्यम से बधाई देना, क्या इनके पार्टी समर्पण की कलाई नहीं खोलता ?  |

 बिगनी गुस्से मे बोली जन संघ के संस्थापक सदस्यों मे से एक स्व लक्ष्मण प्रसाद का नगर परिषद अध्यक्ष चुनाव मे खुलेआम विरोध करते हुए, राजद समर्थित उम्मीदवार का समर्थन करना | 1990 मे मधुबन विधान सभा चुनाव मे भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी डॉ रामजी सिंह का विरोध और जनता दल के प्रत्याशी सीताराम सिंह का समर्थन करना | सांसद महोदय अपनी पार्टी के प्रति इस तरह समर्पित थे कि 2015 तक भाजपा का कोई उम्मीदवार तक मधुबन से नहीं लड़ा | 2015 मे सीताराम सिंह के पुत्र राणा रणधीर सिंह को प्रत्याशी बनाया गया और वे जीते भी | पार्टी के नेता तक इतने उपेक्षित की रक्सौल के विधायक प्रमोद कुमार सिंह के पुत्र के श्राद् कर्म, ढाका विधायक पवन जयसवाल के पिता के श्राद् कर्म भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अखिलेश कुमार सिंह के माता जी के श्राद् कर्म मे ना भाग ले सके और ना ही संवेदनाओं के दो बोल ही बोल सके |

प्रभाव का गलत इस्तेमाल इतना कि अपने और अपने पिता के नाम बनवाए गए ट्रस्ट के नाम कई बड़े भू- खंडों को अपने नाम करवाना, पिपरा कोठी स्थित कई एकड़ मे फैले उनके गड्डे वाली जमीन को एक कन्स्ट्रक्शन कंपनी से जबरदस्ती 40 लाख से ऊपर के मिट्टी की भराई करवाना भी चर्चे मे रहा |

 जिले के प्रभावशाली नेताओं जैसे मोहन लाल मोदी, राज कुमार गुप्ता, राय हरिशंकर शर्मा, नारायण अग्रवाल को पार्टी के मुख्य धारा से अलग करना भी सवालों मे रहेगा |  ऐसे मे चरखा पार्क मे आयोजित एक कार्यक्रम मे साहब के आँशु क्या कह रहे है | मौन अपना विभस्य रूप दिखा रहा है, लाशों की ढेर पर कोई घड़ियाली आँशु बहा रहा है |

  

 

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