
सागर सूरज @बीएनएम
मोतिहारी:भारत-नेपाल के बीच लिपुलेख, कालापानी मुद्दे पर जारी तल्खी का असर बिहार-नेपाल के सरहद पर भी देखा जा रहा है। गेटवे-ऑफ इंडिया(Gateway of india) के नाम से प्रसिद्ध रक्सौल-बीरगंज सीमा (Raxaul-Birgunj border) सहित चंपारण एवं चंपारण से लगे जिलों के ‘नेपाल सीमा’ पर इन दिनों दोनों देशों के लोगों के बीच लगातार खटास बढ़ती जा रही है। हाल के कुछ घटनाओं पर अगर नजर डालें तो इस खटास के पीछे सीमा पर तैनात नेपाल के सुरक्षा एजेंसियों की भारतीय लोगों को उकसाने वाली लगातार कार्रवाईयां महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है। नेपाल के राजशाही व्यवस्था के द्वारा स्थापित ‘बेटी-रोटी की संबंधों’ एवं ‘सांस्कृतिक एकरूपता’ जैसी अलंकारों की दुहाई दे- दे कर सैकड़ों वर्षों से साथ-साथ जीने वाले दोनों देशों के लोगों के ऊपर नेपाल के ओली सरकार के महत्वकांक्षाओं का ग्रहण लग चूका है। भारत-नेपाल के 1751 किलोमीटर सरहद पर तैनात एसएसबी के जवानों की प्रशंसा करनी होगी जो नेपाल आर्म्ड फ़ोर्स के जवानों के ‘अति-प्रक्रियात्मक’ कार्रवाईयों को भी शांतिपूर्ण ढंग से समाधान करने का लगातार प्रयास कर रही है, अब तक इस इलाकें में भारत का बिहार के पश्चिमी चंपारण के सुस्ता इलाकों सहित कई जगहों पर नेपाल से भूमि विवाद है। कालापानी एवं लिपुलेख आदी भारतीय इलाकें को अपने क्षेत्र में शामिल करने सम्बंधित एक विधयेक नेपाल के निचले सदन से पास हो चूका है।
नेपाल में भारत विरोधी हवाएं तेज़ी से बढ़ रही है और उसी का प्रतिविम्ब भारतीय सीमाओं पर भी दिख रहा है। बिहार के सीतामढ़ी(Sitamarhi firing) के नारायणपुर लामबंदी सीमा पर दो दिन पूर्व नेपाल के एक गोरखा पुलिस द्वारा भारतीय ग्रामीणों पर फायरिंग की घटना तो महज एक बानगी मात्र है। इस घटना में एक भारतीय की मौत हो चुकी है वही दो घायलों का इलाज सीतामढ़ी के एक अस्पताल में चल रहा है। इसी मामले में नेपाल पुलिस ने एक भारतीय को गिरफ्तार करने के बाद उसे जबरदस्त प्रताड़ना दे कर घटना के 48 घन्टे बाद छोड़ तो दिया लेकिन इसके साथ ही इस घटना ने दोनों देशों के सीमाई क्षेत्रों के ग्रामीणों के बीच के आपसी संबंधों में पलीता लगाने का कार्य किया। नेपाल पुलिस का दावा था कि भारतीय लोग नेपाल में प्रवेश कर लॉक डाउन का उल्लंघन करते हुये उनके साथ दुर्व्यवहार भी कर रहे थे। 13 जून को पूर्वी चंपारण के कुंडवा चैनपुर के बलुआ गाँव के पास स्थित नेपाल बॉर्डर के पास भी कुछ ऐसी ही घटना घटी। यह घटना सीतामढ़ी वाली घटना से मिलती जुलती है। इस बार एसएसबी जवानों ने नेपाल से आ रहे लोगों को भारतीय क्षेत्रों में लॉक डाउन को लेकर प्रवेश करने से मना किया तो नेपाल के तरफ से सैकड़ों लोग जमा होकर एसएसबी जवानों के साथ कथित रूप से दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया। फिर क्या था भारतीय ग्रामीण भी बड़ी संख्या में जमा हो गए। लेकिन एसएसबी के अधिकारियों ने सूझ-बुझ का परिचय दिया ना की ग्रामीणों पर गोलियां चलायी। इस घटना के एक दिन पूर्व यानि 12 जून को रक्सौल स्थित मैत्री पूल के पास नेपाल पुलिस ने करोना से मरे कुछ शव को जमीन के गड्डे में दफना रहे थे जिसका विरोध एसएसबी के जवानों ने किया, लेकिन फिर भी शवों को वही दफ़न कर दी गयी। नतीजतन स्थानीय लोगों में आक्रोश है और एसएसबी अधिकारी मामले को तुल नहीं देना चाहते है। बिहार के इन सीमाओं पर नेपाल पुलिस द्वारा हो रहे उकसावे की छोटी-छोटी घटनाओं को नजरंदाज़ करना ही श्रेस्कर कर है वर्ना नेपाल जिस तरह चीन के गोद में अति-उत्साह में खेल रहा है। हम अपने प्रतिक्रिया से चीन को दूसरा तिब्बत बनाने में मदद ही करेंगे।
(लेखक अंग्रेजी और हिंदी समाचार पत्रों में सीमाई क्षेत्रों से लिखते रहे है

Related Posts
Post Comment
राशिफल
Live Cricket
Recent News

Epaper
YouTube Channel
मौसम

Comments