गोरखा रेजिमेंट्स से कम नहीं बिहार रेजिमेंट, बिना हथियार के 60 से अधिक चीनियों को धोया

गोरखा रेजिमेंट्स से कम नहीं बिहार रेजिमेंट, बिना हथियार के 60 से अधिक चीनियों को धोया

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सागर सूरज मोतिहारी: भारत और चीन दोनों ही देशों की सेना गलवान घाटी में आमने-सामने है। चीन के धोखा के बाद भारत ने चाइना के साथ बॉर्डर के कुछ इलाकों में बिना हथियार के गस्त करने वाली समझौते को ख़त्म करते हुये अपनी सेना को परिस्थितियों के हिसाब से सीमा पर चाइना का जवाब देने […]

सागर सूरज

मोतिहारी: भारत और चीन दोनों ही देशों की सेना गलवान घाटी में आमने-सामने है। चीन के धोखा के बाद भारत ने चाइना के साथ बॉर्डर के कुछ इलाकों में बिना हथियार के गस्त करने वाली समझौते को ख़त्म करते हुये अपनी सेना को परिस्थितियों के हिसाब से सीमा पर चाइना का जवाब देने का आदेश दे दिया गया है साथ ही लेह को एयर डिफेन्स सिस्टम से लैश कर दिया गया है ताकि ड्रैगन के किसी हिमाकत को भारतीय सेना बेहतर जवाब दे सके।

इधर 16 जून को गलवान में बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों की मौत और चीन सरकार द्वारा अपने मृत्य एवं घायलों की संख्या बताने से लगातार टल्ली देने के कारण चीन में घमासान मचा हुआ है। चीनी समाचार पत्रों के अनुसार भारत अपने सैनिकों को राष्ट्रीय सम्मान दे रही है वही चीनी सरकार अपने शहीदों के घर सिर्फ अस्थि कलश भेज कर अपनी जिम्मेवारियों की इतिश्री कर ले रही है। चीनी ट्विटर हैण्डलेर्स बिहार रेजिमेंट की गुणगान कर रहे है वही चीनी सरकार को अगाह कर रही है कि वो भारतीय सेना से ना लाडे। सवालों के जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि वे सेना सम्बंधित कोई डाटा नहीं दे सकते। ब्रिटिश मीडिया ने तो भारतीय सेना को स्लाउटर तक कहते हुये बताया कि 40 से ऊपर चीनी सेना को बिहार रेजिमेंट के जवानों ने गर्दन मरोड-मरोड़ कर मार डाला।

सामाजिक एवं आर्थिक मामलों के जानकार हैरी चेन ने अपने हैरी चेन पीएचडी नामक ट्विटर एकाउंट पर लिखा है कि सरकार में उनके सूत्रों ने 63 चीनी सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि की है, जबकि एक फ़ोलोवर ने कहा है कि यह संख्या 150 से ज्यादा है।

चीन सरकार सिर्फ ये कह रहा है कि उनके भी सैनिक हताहत है, लेकिन भारत से ज्यादा डेथ बताने में उसे शर्म आ रही है। उसे अपनी किरकिरी का भय है। चीनियों ने कहा कि चीन की थल सेना भारतीय सेना के सामने बहुत की कमजोर है।
घटना के तुरंत बाद से चीन के विदेश मंत्री मामले को बैठ कर सुलझाने के लगातार बयान देने लगे क्योकि बॉर्डर पर भारतीय तैयारियों से चीन दहशत में है। एजेंसी की खबरों को अगर माने तो चीनियों ने एक ऑफिसर सहित निहत्ते तीन भारतीय जवानों को शहीद कर दिया जबकि बाकि 17 जवान पहाड़ों से नदी में गिर कर ठण्ड से शहीद हुये थे ।

https://twitter.com/PhdParody/status/1273091980617269256?s=20
चीन सरकार का मुख्य पत्र ग्लोबल टाइम्स तो अपने हताहत लोगों पर बात ही नहीं कर रहा, जबकि चीनी मीडिया धीरे-धीरे चीनी सैनिकों के मारे जाने के मामले में सामने आ रही है। उनमे से वे कुछ चीन के 5 सैनिकों के मरने और 11 के घायल होने का भी आकड़ा पेश कर रहे है।

चीन के समाचार पत्रों ने लिखा हम भारत से यूद्ध हार गये। एक चीनी नागरिक वांग चुंग अपने फेस बुक पोस्ट पर लिखा है, हमें मालूम नहीं इंडिया में बिहार कहा है परन्तु बिहारी आर्मी ने हमारे 30 से अधिक सेना को मार दिया है। पूछा, “भारत की सेना इतनी बहादुर क्यों है। चीनियों ने कहा हम अब युद्ध नहीं चाहते।

गलवान में चीनियों से भयानक बदला, पाकिस्तान एवं नेपाल के लिय भी बड़ी सबक

बिहार के मोतिहारी के रहने वाले डिफेंस विशेषज्ञ अम्बर कुमार ने कहा कि गोरखा सेना का शौर्य 1990 के कारगिल युद्ध में देखने को मिला था, इसके अलावा एंग्लो-सिख वार, 1971 का पाकिस्तान-भारत का युद्ध एवं अफगान वार में गोरखा रेजिमेंट्स ने अपने शौर्य का परिचय दिया, लेकिन 16 बिहार रेजिमेंट्स ने बिना हथियार के चीनी सैनिकों को जो सबक सिखाया है उसे इतिहास याद रखेगा। ख़ास बात ये थी कि गलवान घाटी में परंपरागत हथियारों से लैश चीनी सैनिक निहत्थे भारतीय सेना पर हमला कर एक कमांडर सहित अन्य भारतीय सैनिकों के मौत के कारण बने। बदले की कार्रवाई में बिहार रेजिमेंट ने बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों के गर्दन अलग कर डाले एवं पत्थरों पर पटक-पटक कर मार डाले गए।

रोहित ने कहा चीनी सैनिकों की छोटी उचाई एवं भारतीय सेना की तुलना में चीन की शारीरिक अक्षमता चीन की इस लड़ाई में दुर्गति का कारण बना, साथ ही इस झड़प ने बिहार रेजिमेंट के शौर्य को गोरखा रेजिमेंट के समक्ष ला कर खड़ा कर दिया। अम्बर ने चुटकी लेते हुये कहा कि वैसे भी बिहार में कुश्ती यहाँ के गांवों का महत्वपूर्ण खेल है। बिहारी जवानों को गलवान में यह खेल खेलने का पुरा मौका मिला।

अम्बर ने कहा कि चीन को गलवान घाटी में दी गयी सबक नेपाल एवं पाकिस्तान के उन तत्वों के लिये भी एक बड़ा सबक है जो भारत के शांति से रहने के सिद्धांतों का पुरा फ़ायदा उठा रहे है।

नेपाल के ऐसे तत्वों को समझना चाहिय कि इस आधुनिक दौर में खुकुरी जैसे हथियारों की बात करना हास्यास्पद है। लड़ाई लड़ने के लिए भारतीय जवानों वाली लम्बाई और ताकत के साथ ही राफेल एवं जैगुआर जैसे खतरनाक आधुनिक हथियारों की भी जरुरत है। वैसे नेपाल को भारत अपना अब तक दोस्त ही समझता है।     

इधर जून 22 को एजेंसी के खबरों के अनुसार भारत ने 26 चीनी सैनिकों के शव को  चीन को सौपा जिसमे एक चीनी सेना के अधिकारी भी थे ।

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