संजय जायसवाल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं;  जांच अभी जारी

संजय जायसवाल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं;  जांच अभी जारी

Reported By BORDER NEWS MIRROR
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मोतिहारी: पुलिस ने लोकसभा चुनाव में भाजपा के मुख्य सचेतक के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट और बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल के खिलाफ किसी भी गिरफ्तारी के आदेश एवम वारंट से इनकार कर दिया है| मामला लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव के दिन शेखौना गांव के बूथों पर साम्प्रदायिक झड़प की  हैं,  जहां […]
मोतिहारी: पुलिस ने लोकसभा चुनाव में भाजपा के मुख्य सचेतक के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट और बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल के खिलाफ किसी भी गिरफ्तारी के आदेश एवम वारंट से इनकार कर दिया है| मामला लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव के दिन शेखौना गांव के बूथों पर साम्प्रदायिक झड़प की  हैं,  जहां पश्चिमी चम्पारण लोकसभा क्षेत्र के प्रत्याशी संजय जायसवाल व ग्रामीणों के बीच मारपीट की घटना हुई थी।पूर्वी चंपारण के एसपी उपेंद्र शर्मा ने सोशल मीडिया एवम न्यूज़ चैनल  पर वायरल एक खबर के बारे में बताया कि मोतीहारी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) शैशव यादव ने जायसवाल को गिरफ्तार करने के लिए मामले के जांच अधिकारी को निर्देश देने की खबरे आ रही  है।  एसपी ने कहा, “सोशल मीडिया और न्यूज चैनलों पर वायरल हुई खबरें बेबुनियाद है और इसमें कोई सच्चाई नहीं है क्योंकि संजय जायसवाल के खिलाफ दर्ज मामला अभी जांच के अधीन में है।
       इस घटना का विवरण देते हुए, शर्मा ने बताया कि 2019 के संसदीय चुनाव में, दो पार्टियों के समर्थकों  के बीच मारपीट से जुड़ा है। घटना स्थल पश्चिमी चंपारण संसदीय सीट के पूर्वी चंपारण जिले के नरकटिया विधानसभा क्षेत्र की है। घटना के समय पुलिस ने चार अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं।  पहला मामला प्रशासन द्वारा दर्ज किया गया था और दूसरा मुस्लिम समुदायों के बयान पर दर्ज किया गया था, जबकि तीसरा मामला जायसवाल की तरफ से दायर किया गया था।
 पिछले जुलाई में, मामले की पर्यवेक्षण पदाधिकारी ने सीआरपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मुस्लिम समुदायों के मामले के साथ-साथ जायसवाल और आठ अन्य के खिलाफ मामले को सत्य करार दिया था।  चूंकि मामले में कोई मजबूत सबूत और जख्म नहीं है, इसलिए यह गैर-संज्ञेय अपराध और जमानती अपराध की धारा के तहत था।  पुलिस ने जायसवाल पर फायरिंग के आरोप को सही पाया लेकिन जांच के दौरान यह स्पष्ट हो गया कि जायसवाल के बॉडी गार्ड ने आत्मरक्षा में हवा में गोलियां चलाईं।
 एसपी ने कहा कि बाद में  (डीआईजी) के निर्देश पर, पुलिस ने  मामले में सघन जांच शुरू कर दी है।  उस समय शेखौना गाँव में दो पक्षो के समर्थक आपस में भिड़ रहे थे, भाजपा के समर्थकों ने जायसवाल को गाँव में बूथ लूट का आरोप लगाते हुए फोन किया।  गांव में घटनास्थल पर पहुंचने से पहले जयसवाल ने सभी शीर्ष पुलिस अधिकारियों को सूचित किया फिर जैसवाल  कैसे विवाद के लिए उकसाने का कार्य और झड़प का हिस्सा बन सकते है। इन बिंदुओं पर भी जांच की जा रही है। पुलिस के द्वारा इन तथ्यों पर भी  जांच और पर्यवेक्षण चल रहा है।  डी एस पी का पर्यवेक्षण  पुलिस की मामला है। कोर्ट में चार्जशीट पेश होने तक कोई भी अधिकारी का कोई भी रिपोर्ट सिर्फ उसका व्यक्ति गत नजरिया माना जाता है। पुलिस के पास किसी के खिलाफ वारंट जारी करने की कोई शक्ति नहीं है । वह दोषियों के खिलाफ वारंट जारी करने के लिए सबूत के आधार पर अदालत में प्रार्थना कर सकती है।
 बताते चले कि जायसवाल ने बिहार के  डीजीपी को 23 जुलाई 2019 को सूचित किया कि 12 मई को वह अपने समर्थकों की सूचना पर शेखौना गांव पहुंचे वहाँ कुछ लोग बूथ नंबर 162 और 163 पर शांतिपूर्ण मतदान में बाधा पैदा कर रहे हैं।  जैसे ही वह स्थल पर पहुंचे उन पर हमला करदिया गया।

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