
सरकार ने किसी के फोन टेप नहीं करवाए, न करवाएगी: गहलोत
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जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार ने अपने किसी भी विधायक का फोन टेप नहीं करवाया है और न करवाएगी। यह संविधान के विरूद्ध है। भारतीय जनता पार्टी सरकार को अस्थिर करने के षडय़ंत्र में विधायकों के टेलीफोन टेप करवाने की अफवाह उड़ा रही है। सरकार ऐसा काम कभी नहीं करेगी। हम […]
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार ने अपने किसी भी विधायक का फोन टेप नहीं करवाया है और न करवाएगी। यह संविधान के विरूद्ध है। भारतीय जनता पार्टी सरकार को अस्थिर करने के षडय़ंत्र में विधायकों के टेलीफोन टेप करवाने की अफवाह उड़ा रही है। सरकार ऐसा काम कभी नहीं करेगी। हम व्यक्तिगत रूप से भी इसके खिलाफ है।
मुख्यमंत्री गहलोत रविवार सवेरे जयपुर से जैसलमेर पहुंचने के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भाजपा के लोग देश के लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं। यह राजस्थान और यहां के निवासी बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने दावा किया कि राजस्थान की सरकार सुरक्षित है और पूरे पांच साल निकालेगी। गहलोत ने कहा कि भाजपा के विधायक बाड़ाबंदी में जा रहे है। उनमें फूट पड़ गई है। 3-4 जगह विधायकों की चुन-चुनकर बाड़ाबंदी कर रहे है। उन्हें चिंता है कि हमारा घर टूट जाएगा। राजस्थान की ऐसी परंपरा नहीं रही है। भाजपा के नेता बड़े-बड़े दावे कर रहे थे, हमारी सरकार पर आरोप लगा रहे थे, लेकिन शनिवार को विधायकों की बाड़ाबंदी के बाद उनकी पोल खुल गई। चार्टर प्लेन से विधायकों को भेजा गया। यह लोकतंत्र को तोडऩे का षडय़ंत्र है। भाजपा ने सरकार गिराने का कुत्सित षडय़ंत्र रचा। विजय हमारी होगी, जनता हमारे साथ है।
उन्होंने कहा कि पूरे देश में कोरोना जैसी महामारी के बीच इन्होंने राजस्थान की सरकार गिराने का षडय़ंत्र रचा। देश का दुर्भाग्य है कि अमित शाह, पीयूष गोयल, धर्मेन्द्र प्रधान जैसे लोग इस षडय़ंत्र में शामिल है और ऐसे लोग ही सत्ता में बैठे है। ये सात-आठ राज्यों में सरकारें गिरा चुके हैं। हमारी लड़ाई लोकतंत्र को बचाने की है और यह लड़ाई 14 अगस्त के बाद भी जारी रहेगी। चाहे कोई भी पक्ष में हो या विपक्ष में हो, सरकारें अस्थिर करने का खेल नहीं होना चाहिए। हर इंसान को अपनी अंर्तआत्मा की आवाज सुननी चाहिए।
गहलोत ने कहा कि सचिन पायलट और समर्थक 19 विधायक बंधक है और वे आना चाहते है, लेकिन उन्हें आने नहीं दिया जा रहा है। एसओजी उनके बयान लेने गई तो बयान नहीं लेने दिए गए। बयान देने के लिए साधारण नोटिस दिए गए, लेकिन उन्हें ऐसा माना गया मानो राजद्रोह का केस दर्ज हो गया। कानून अपना काम कर रहा है। हम उसमें हस्तक्षेप नहीं करते।
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