राजस्थान मामले में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की भाजपा की याचिका

राजस्थान मामले में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की भाजपा की याचिका

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के 6 बीएसपी विधायकों के कांग्रेस में विलय के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा विधायक मदन दिलावर की याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इस मामले पर राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला आ गया है इसलिए अब मामले में सुनवाई […]
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के 6 बीएसपी विधायकों के कांग्रेस में विलय के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा विधायक मदन दिलावर की याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इस मामले पर राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला आ गया है इसलिए अब मामले में सुनवाई का कोई मतलब नहीं है।
इस मामले की सुनवाई जैसे ही शुरु हुई राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। उन्होंने कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट ने स्पीकर को बीएसपी विधायकों की अयोग्यता के मामले पर तीन महीने के अंदर फैसला करने का निर्देश दिया है। तब कोर्ट ने कहा कि अब इस याचिका पर सुनवाई का कोई मतलब नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 13 अगस्त को राजस्थान के बीएसपी विधायकों के कांग्रेस में विलय के स्पीकर के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि फिलहाल हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है इसलिए हम इस मामले में दखल नहीं देंगे। सुनवाई के दौरान बीएसपी की ओर से वकील सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा था कि स्पीकर का फैसला अवैधानिक है। अगर विलय को अनुमति दी गई तो जनतांत्रिक प्रक्रियाएं खत्म हो जाएंगी। जस्टिस गवई ने कहा था कि आपको व्हिप जारी करने से किसने रोका है। हाईकोर्ट के समक्ष मामला लंबित है।
कांग्रेस में शामिल हो चुके राजस्थान के 6 बीएसपी विधायकों ने पिछले 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली थी। सुनवाई के दौरान दिलावर सिंह की ओर से वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के फैसले पर रोक लगाने की जरुरत है क्योंकि उससे विधायकों के विलय को मंजूरी मिल जाएगी। बहुजन समाज पार्टी की ओर से कहा गया था कि इन छह विधायकों को विधानसभा सत्र में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं दी जाए। तब कोर्ट ने कहा था कि हमें हाईकोर्ट की सुनवाई पर रोक नहीं लगाना चाहिए।

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