केंद्र और दिल्ली सरकार सरकारी वकीलों को फीस का भुगतान करे

केंद्र और दिल्ली सरकार सरकारी वकीलों को फीस का भुगतान करे

Reported By BORDER NEWS MIRROR
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नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार समेत सभी सरकारी एजेंसियों को निर्देश दिया है कि वो दिल्ली की अदालतों में सरकार की ओर से पैरवी करनेवाले वकीलों को उनकी फीस का भुगतान करें। चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने पिछले 1 फरवरी तक की वकीलों की फीस का भुगतान […]
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार समेत सभी सरकारी एजेंसियों को निर्देश दिया है कि वो दिल्ली की अदालतों में सरकार की ओर से पैरवी करनेवाले वकीलों को उनकी फीस का भुगतान करें। चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने पिछले 1 फरवरी तक की वकीलों की फीस का भुगतान चार हफ्ते  करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वे आज से ही सरकारी वकीलों की फीस का भुगतान शुरु करें। अंतिम सप्ताह का इंतजार मत करें। याचिका में कहा गया है कि फीस का भुगतान नहीं होने से वकील आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं । याचिका वकील पीयुष गुप्ता ने दायर किया है। याचिकाकर्ता की ओऱ से वकील कपिल गोयल ने कहा है कि दिल्ली सरकार से इस बात पर स्टेटस रिपोर्ट मांगा जाए कि सरकारी वकीलों की फीस का लंबे समय से भुगतान क्यों नहीं किया जा रहा है।
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने 3 सितंबर 2015 को आदेश दिया था कि वे वकीलों की फीस का भुगतान करें। लेकिन दिल्ली सरकार इस आदेश का उल्लंघन कर रही है। याचिका में दिल्ली सरकार पर इसके लिए भारी जुर्माना लगाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि सरकारी वकील न्याय व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रशासन को उन वकीलों के जीवन यापन की कोई चिंता नहीं है औऱ वो उनकी फीस का भुगतान लंबे समय से नहीं कर रही है। वकीलों की आमदनी का मुख्य जरिया उनको मिलनेवाली फीस ही होती है।
याचिका में कहा गया है कि 17 मार्च से कोर्ट लगातार बंद है जिसकी वजह से सरकारी वकीलों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी वकील अपना रोजगार खत्म होने की आशंका से अपनी फीस के भुगतान के लिए सरकार के पास नहीं जा रहे हैं। सरकारी वकीलों ने याचिकाकर्ता से संपर्क किया जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ता ने खुद संबंधित विभाग से सरकारी वकीलों की फीस का भुगतान करने की मांग की थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।

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