प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना से बिहार बनेगा नए श्वेत क्रांति का नायक

प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना से बिहार बनेगा नए श्वेत क्रांति का नायक

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बेगूसराय। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार बेगूसराय को एक से बढ़कर एक तोहफा दे रही है। प्रधानमंत्री ने पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन विभाग के करीब 294 करोड़ की परियोजनाओं की शुरुआत बिहार में की तो उसमें सबसे बड़ा फायदा बेगूसराय को मिला है। सेक्स सॉरटेड सीमेन के साथ-साथ बिहार में पहली […]

बेगूसराय। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार बेगूसराय को एक से बढ़कर एक तोहफा दे रही है। प्रधानमंत्री ने पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन विभाग के करीब 294 करोड़ की परियोजनाओं की शुरुआत बिहार में की तो उसमें सबसे बड़ा फायदा बेगूसराय को मिला है। सेक्स सॉरटेड सीमेन के साथ-साथ बिहार में पहली बार गोवंश संवर्धन के लिए ईटी एवं आईवीएफ तकनीक का शुभारंभ बेगूसराय के बरौनी डेयरी से किया गया है। यह तकनीक अब तक की सबसे बड़ी श्वेत क्रांति साबित होगी। जिससे दो-तीन साल के अंदर पशुपालकों की आय में कई गुना अधिक वृद्धि हो जाएगी। विभिन्न प्रकार के मवेशियों के नस्ल संवर्धन एवं संरक्षण के लिए शुरू किया गया ईटी एवं आईवीएफ तकनीक आत्मनिर्भर बिहार- आत्मनिर्भर भारत निर्माण की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है।

अत्याधुनिक तकनीक से जुड़ी यह योजना पूरी तरह लागू होने से तीन साल के अंदर दूग्ध उत्पादन में दोगुनी वृद्धि होगी। अभी सिर्फ बेगूसराय में करीब 15 लाख लीटर दूध का उत्पादन प्रतिदिन होता है। दोनों आधुनिक तकनीक को पशुपालक जब अपना लेंगे तो करीब तीन साल में यहां प्रतिदिन 30 लाख लीटर से अधिक दूध का उत्पादन होने लगेगा। बेगूसराय का उत्पादित यह दूध न केवल बिहार और झारखंड के दु्ग्ध आवश्यकता की पूर्ति करेगा बल्कि दिल्ली, पश्चिम बंगाल एवं असम जैसे राज्यों में भी दूध और उसके अन्य उत्पाद भेजे जाएंगे।
एंब्रियो ट्रांसफर तकनीक के माध्यम से प्रदाता (डोनर) गाय के फ्लशिंग से एंब्रियो निकालकर उसी नस्ल के ग्रहणकर्ता मादा के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाएगा। पारंपरिक ईटी विधि में प्रदाता गाय या बहंतु बाछी का निर्दिष्ट हार्मोन उपचार कर (फोलिकल स्टीमूलेटिंग हार्मोन से) सृजित बहुसंख्य फोलिकल से अंडोत्सर्ग कराया जाता है। डोनर का हीट तथा सर्वोत्तम अंडोत्सर्ग के समय कृत्रिम गर्भाधान कराया जाता है। लेकिन इस तकनीक से कृत्रिम गर्भाधान के सात दिनों पर मादा डोनर के गर्भाशय से भ्रूण फ्लशिंग से निकालकर समरूपता अवस्था की ग्रहणकर्ता गाय में ट्रांसफर किया जाएगा।
आईवीएफ तकनीक पारंपरिक एंब्रियो ट्रांसफर फ्लशिंग प्रोग्राम की अपेक्षा थोड़ा जटिल और उन्नत प्रजनन तकनीक है। आईवीएफ तकनीक में प्रशिक्षित पशु चिकित्सक द्वारा अल्ट्रासाऊंड गाइडेड फॉलिक्युलर एस्पिरेशन तकनीक का उपयोग निकाला जाता है तथा अंडे को पेटरी डिश में रखकर ठीक अगले दिन सीमेन से निषेचन कराया जाता है। निषेचित अंडे को इनक्यूबेटर में सात दिन संरक्षण कर भ्रूण निर्मित किया जाता है। जीवंत भ्रूण (एम्ब्रियो) को ग्रहणकर्ता के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है। भ्रूण को हिमकृत करके बाद ट्रांसफर किया जा सकता है।
ईटी एवं आईवीएफ प्रजनन तकनीक डेयरी किसानों के लिए वरदान साबित होगा। इससे रिपीट ब्रीडर हो चुकी उत्तम नस्ल की गाय से भी गर्भधारण सृजित किया जा सकता है। एक गाय अपने पूरे जीवन चक्र में कुछ ही बच्चों को जन्म देती है। लेकिन इस तकनीक से एक साल में उत्तम अनुवांशिक गुण युक्त 25 बच्चे को सृजित किया जा सकता है। उत्तम अनुवांशिक गुणयुक्त मादा की संपूर्ण उत्पादन क्षमता का उपयोग तथा सेक्स सॉरटेड सीमेन का उपयोग कर मादा बछिया पैदा होने का लाभ लिया जा सकता है। पशुपालकों को इसकी जानकारी देने के लिए जेके ट्रस्ट द्वारा एक आधुनिक ऑन व्हील लैब उपलब्ध कराया गया है, जो कि घूम-घूमकर इसका भी प्रसार करेगी।
केंद्रीय पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन मंत्री गिरिराज सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री की कोशिश है कि नीली क्रांति (मछली पालन से जुड़े काम), श्वेत क्रांति (डेयरी से जुड़े काम) तथा मीठी क्रांति (शहद उत्पादन) गांवों को और समृद्ध एवं सशक्त करे। दूग्ध उत्पादन की लागत को कम और किसानों की आय में वृद्धि के लिए नस्ल सुधार बहुत महत्वपूर्ण है। तकनीकी प्रौद्योगिकी से बिहार के डेयरी क्षेत्र का विकास होगा। पहली बार कृत्रिम गर्भाधान में बड़े पैमाने पर सेक्स सोर्टेड सीमेन के उपयोग से 

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