भारतीय सेना सर्दियों में भी लड़ने में पूरी तरह सक्षम : विंग कमांडर

भारतीय सेना सर्दियों में भी लड़ने में पूरी तरह सक्षम : विंग कमांडर

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प्रयागराज। रक्षा मंत्रालय प्रयागराज के विंग कमांडर एवं मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी शैलेन्द्र पाण्डेय ने कहा कि लद्दाख में ऊंचाई वाले इलाकों में अधिक बर्फबारी होती है जिसके कारण नवंबर के महीने में तापमान शून्य से 30-40 आ जाता है। ठंडी हवा चलने से सैनिकों के लिए हालात और भी बदतर हो जाता है। बर्फ गिरने से सड़कें […]
प्रयागराज। रक्षा मंत्रालय प्रयागराज के विंग कमांडर एवं मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी शैलेन्द्र पाण्डेय ने कहा कि लद्दाख में ऊंचाई वाले इलाकों में अधिक बर्फबारी होती है जिसके कारण नवंबर के महीने में तापमान शून्य से 30-40 आ जाता है। ठंडी हवा चलने से सैनिकों के लिए हालात और भी बदतर हो जाता है। बर्फ गिरने से सड़कें भी बंद हो जाती है लेकिन इन सबके बाबजूद भारतीय सैनिकों को शीतकालीन युद्ध का बहुत अनुभव है और वे अल्प सूचना पर काम करने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहते हैं। 
वह उस चीनी मीडिया रिपोर्ट्स के बारे में प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे जिसमें कहा गया था कि भारत ऑपरेशनल लॉजिस्टिक के लिए पर्याप्त रूप से सक्षम नहीं है और सर्दियों में युद्ध नहीं लड़ पाएगा। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना पूरी तरह से तैयार है और पूर्वी लद्दाख में सर्दियों में भी एक पूर्ण युद्ध लड़ने में सक्षम है। विंग कमांडर पाण्डेय ने कहा कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि सेना के पास सियाचिन का अनुभव है। जहां चीन के साथ सीमाओं की तुलना बहुत अधिक है। परंपरागत रूप से लद्दाख में जाने के लिए दो मार्ग थे, जो जोजिला और रोहतांग दर्रे से होकर जाता है। हाल ही में भारत ने दारचा से लेह तक तीसरी सड़क का निर्माण किया, जो पहले की दूरी के हिसाब से कम है और इसके बंद होने का खतरा भी कम है। रोहतांग मार्ग पर अटल सुरंग के पूरा होने से लॉजिस्टिक कैपेसिटी कई गुना बढ़ गई है। इसके अलावा, हमारे पास बड़ी संख्या में हवाई ठिकाने हैं जिनकी मदद से हम सेना के साथ अच्छी तरह से संपर्क बनाए रख सकते हैं। नवंबर से आगे खुले रखने के लिए इन मार्गों पर आधुनिक हिम समाशोधन उपकरण भी लगाए गए हैं। जिससे हमें सैनिकों के दैनिक रखरखाव के लिए अधिक समय मिल सके।
पाण्डेय ने कहा कि टैंक और बख्तरबंद कर्मियों के वाहक के लिए विशेष ईंधन और स्नेहक भी पर्याप्त रूप से स्टॉक किए गए हैं तथा उनके रखरखाव के लिए पुर्जों को भी शामिल किया गया है। सैनिकों और जानवरों के लिए जगह जगह पर जल बिंदु नलकूप और बैरक भी तैयार किए गए हैं जो आरामदायक और गर्म हैं। छोटे हथियारों, मिसाइलों, टैंक और तोपखाने गोला-बारूद सहित विभिन्न प्रकार के गोला बारूद का भी पर्याप्त स्टॉक किया गया है। किसी भी घटना के लिए चिकित्सा प्रणाली भी स्थापित किया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय सैनिकों की तुलना में चीनी सैनिक शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर हैं। क्योंकि चीनी सैनिक ज्यादातर शहरी क्षेत्रों से आते है। चीन की अवधारणा हमेशा बिना लड़े युद्धों को जीतने की रही है। इसलिए यदि वे युद्ध के लिए स्थितियां बनाते हैं तो उन्हें बेहतर प्रशिक्षित और मानसिक रूप से कठोर भारतीय सैनिकों के बीच मुकाबला करना होगा। 

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