मंत्री पद छोड़ने के बाद केंद्र सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरे हरसिमरत और सुखबीर बादल

मंत्री पद छोड़ने के बाद केंद्र सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरे हरसिमरत और सुखबीर बादल

Reported By BORDER NEWS MIRROR
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चंडीगढ़। केंद्रीय मंंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद एनडीए का सहयोगी अकाली दल अब केंद्र सरकार के विरुद्ध सक्रिय हो गया है। केंद्रीय कृषि विधेयकों के विरोध में अकाली दल के आज चक्का जाम अभियान में पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और उनकी पत्नी एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने ट्रैक्टर चला कर […]
चंडीगढ़। केंद्रीय मंंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद एनडीए का सहयोगी अकाली दल अब केंद्र सरकार के विरुद्ध सक्रिय हो गया है। केंद्रीय कृषि विधेयकों के विरोध में अकाली दल के आज चक्का जाम अभियान में पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और उनकी पत्नी एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने ट्रैक्टर चला कर रोष प्रदर्शन की अगुवाई की। 
शिरोमणी अकाली दल के कार्यकर्ताओं ने किसानों, खेत मजदूरों और आढ़तियों के साथ राज्य के सभी निर्वाचन क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन किया और किसानों को आश्वासन दिया कि पार्टी उनके साथ कोई भेदभाव नही होने देगी। उन्होंने कृषि विधेयकों का विरोध कर रहे सभी दलों और संगठनों को किसानों के साथ एकजुट होने की अपील की ।
बादल गांव से ट्रैक्टर रैली का नेतृत्व करने के बाद लंबी में भारी विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष  सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को तुरंत कैबिनेट की बैठक  बुलानी चाहिए और पूरे राज्य को प्रमुख मंडी यार्ड घोषित करने के लिए अध्यादेश लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके बाद सरकार को अध्यादेश की पुष्टि के लिए राज्य विधानसभा का विशेष सत्र बुलाना चाहिए। सरदार बादल ने कहा कि ‘मैंने दो दिन पहले ही यह प्रस्ताव पेश किया है। बाद में पत्रकारों को संबोधित करते हुए बादल ने कहा कि सरकार को हमारी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को बचाने के लिए इस पर शीघ्र कार्य करना चाहिए।
उन्होंने किसानों के कल्याण के लिए मगरमच्छ के आंसू बहाने के लिए भी मुख्यमंत्री को भी आड़े हाथों लिया।उन्होंने कहा कि यह कैप्टन अमरिंदर सिंह ही थे, जिन्होेने अपनी पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में निजी मंडियों, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग और ई-ट्रेडिंग को बढ़ावा देने के लिए स्टेट एपीएमसी एक्ट में संशोधन किया था। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि कांग्रेस सरकार इस संशोधन को रद्द करने के लिए विशेष सत्र बुलाए। उन्होंने  यह भी घोषणा की कि अगर कांग्रेस सरकार ने यह कदम नहीं उठाए तो राज्य में सत्ता में आने के बाद शिरोमणी अकाली दल ऐसा करेगा।
इस अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री  हरसिमरत कौर बादल ने ‘ इको नारा किसान प्यारा’ के बीच कहा कि उन्होंने पंजाब की बेटी होने का फर्ज निभाया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों की पीठ में छुरा घोंपा है। मुख्यमंत्री को पिछले साल अगस्त से अध्यादेश के बारे में पता था। उनकी सरकार को मिले पत्र के रूप में इसका ठोस सबूत है लेकिन उन्होने किसानों के हितों की रक्षा के कदम का विरोध करने की बजाय चुप रहने का फैसला किया था जबकि मैंने मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया। हरसिमरत ने कहा कि अगर कैप्टन अमरिंदर  किसानों को लेकर सचमुच इतने चिंतित हैं तो उन्हे अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए।
अमृतसर में एक विरोध स्थल पर किसानों को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि अगर किसानों को तबाह कर दिया गया तो पूरा प्रदेश तबाह हो जाएगा। इस दौरान वरिष्ठ नेता बलविंदर सिंह भूंदड़, प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा, जनमेजा सिंह सेखों, सिकंदर सिंह मलूका, गुलजार सिंह रणीके, बीबी जागीर कौर, चरनजीत सिंह अटवाल, महेशइंदर सिंह ग्रेवाल, शरनजीत सिंह ढ़िल्लों, डॉ. दलजीत सिंह चीमा, सुरजीत सिंह रखड़ा तथा यूथ अकाली दल के अध्यक्ष परमबंस सिंह रोमाणा सहित कई नेताओं ने ‘चक्का जाम’ में भाग लिया। इन नेताओं ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल को कृषि विधेयकों पर मौन व्रत साधने और किसान समुदाय के समर्थन में बाहर आने सें इनकार करने की भी आलोचना की।

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