विक्रांत ने लिया ‘पुनर्जन्म’, समंदर में उतारा गया

विक्रांत ने लिया ‘पुनर्जन्म’, समंदर में उतारा गया

Reported By BORDER NEWS MIRROR
Updated By BORDER NEWS MIRROR
On
नई दिल्ली। भारतीय नौसेना से रिटायर हुए महान योद्धा ‘विक्रांत’ ने पुनर्जन्म लेकर पिछले माह अगस्त में हार्बर ट्रायल पूरा कर लिया है। अब स्वदेशी अत्याधुनिक आईएनएस विक्रांत को परीक्षणों के लिए समंदर में उतारा गया है। 2020 के अंत तक समुद्री परीक्षण पूरे होने के बाद 2021 तक विक्रांत नौसेना के परिवार का हिस्सा बन जायेगा। इसे एयरक्राफ्ट कैरियर आईएसी-1 […]
नई दिल्ली। भारतीय नौसेना से रिटायर हुए महान योद्धा ‘विक्रांत’ ने पुनर्जन्म लेकर पिछले माह अगस्त में हार्बर ट्रायल पूरा कर लिया है। अब स्वदेशी अत्याधुनिक आईएनएस विक्रांत को परीक्षणों के लिए समंदर में उतारा गया है। 2020 के अंत तक समुद्री परीक्षण पूरे होने के बाद 2021 तक विक्रांत नौसेना के परिवार का हिस्सा बन जायेगा। इसे एयरक्राफ्ट कैरियर आईएसी-1 के रूप में भी जाना जाता है। भारत में ही तैयार यह जहाज नौसेना को पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता प्रदान करेगा। 
 
दरअसल भारत ने 1989 में अपने पुराने ब्रिटिश विमान वाहक आईएनएस विक्रांत को रिटायर करने की घोषणा की। इसे 1957 में ब्रिटेन से खरीदा गया था। तब तक इसे एचएमएस हर्क्युलिस के नाम से जाना जाता था। 1961 में इसे भारतीय नौसेना शामिल किया गया तथा 31 जनवरी, 1997 को सेवानिवृत्त कर दिया गया। विक्रांत को जहाज संग्रहालय में रखा गया लेकिन 2012 में उसे हटा दिया गया। इसके बाद अप्रैल 2014 में सरकार ने इस पोत को कबाड़ में बेचने का निर्णय लिया। इस पोत ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) की नौसैनिक घेराबंदी करने में भूमिका निभाई थी। इसलिए तत्कालीन नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने इस ऐतिहासिक युद्धपोत को कबाड़ में बेचने के बजाय युद्ध संग्रहालय में बदलने की वकालत की ताकि आम भारतीय इसके जरिए भारत के गौरवशाली युद्ध इतिहास को जान सकें। इसके बावजूद एक नीलामी के जरिए 60 करोड़ रुपये में इस ‘महान योद्धा’ को प्राइवेट कंपनी आईबी कमर्शल प्राइवेट लिमिटेड के हाथों बेच दिया गया।
आईएनएस विक्रांत का नाम जिन्दा रखने के लिए इसी नाम से दूसरा युद्धपोत स्वदेशी तौर पर बनाने का फैसला लिया गया। एयर डिफेंस शिप (एडीएस) का निर्माण 1993 से कोचीन शिपयार्ड में शुरू होना था लेकिन 1991 के आर्थिक संकट के बाद जहाजों के निर्माण की योजनाओं को अनिश्चित काल के लिए रोक दिया गया। 1999 में तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस ने परियोजना को पुनर्जीवित करके 71 एडीएस के निर्माण की मंजूरी दी। इसके बाद नए विक्रांत जहाज की डिजाइन पर काम शुरू हुआ और आखिरकार जनवरी 2003 में औपचारिक सरकारी स्वीकृति मिल गई। इस बीच अगस्त 2006 में नौसेना स्टाफ के तत्कालीन प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने पोत का पदनाम एयर डिफेंस शिप (एडीएस) से बदलकर स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर (आईएसी) कर दिया। 
इसके बाद 28 फरवरी 2009 से स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर (आईएसी) आईएनएस विक्रांत का निर्माण कोच्चि के कोचीन शिपयार्ड में निर्माण शुरू किया गया। दो साल में निर्माण पूरा होने के बाद विक्रांत को 12 अगस्त, 2013 को लॉन्च कर दिया गया। संरचनात्मक कार्य के पूरा होने के बाद 10 जून, 2015 को इसे समुद्र में उतार दिया गया। इसके बाद शुरू हुआ बंदरगाह परीक्षण का दौर, जो पिछले माह पूरा हुआ है। 2020 के अंत तक समुद्री परीक्षण चलेंगे और इसके बाद 2021 तक आईएनएस विक्रांत को नौसेना के बेड़े में शामिल किये जाने की योजना है। यह भारत में निर्मित होने वाला पहला विमानवाहक पोत है। विक्रांत नाम का अर्थ ‘साहसी’ है। जहाज का आदर्श वाक्य है, जिसका मतलब है कि “मैं उन लोगों को हरा सकता हूं जो मेरे खिलाफ लड़ते हैं”।
इस आधुनिक विमान वाहक पोत के निर्माण के दौरान डिजाइन बदलकर वजन 37 हजार 500 टन से बढ़ाकर 40 हजार टन से अधिक कर दिया गया। इसी तरह जहाज की लंबाई 252 मीटर (827 फीट) से बढ़कर 260 मीटर (850 फीट) हो गई। यह 60 मीटर (200 फीट) चौड़ा है।इसे मिग-29 और अन्य हल्के लड़ाकू विमानों के संचालन के लिए डिजाइन किया गया है। इस पर लगभग तीस विमान एक साथ ले जाए जा सकते हैं, जिसमें लगभग 25 ‘फिक्स्ड-विंग’ लड़ाकू विमान शामिल होंगे। इसमें लगा कामोव का-31 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग भूमिका को पूरा करेगा और पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता प्रदान करेगा।

Related Posts

Post Comment

Comments

राशिफल

Live Cricket

Epaper

मौसम