
आनंद मोहन समर्थकों के निशाने पर आया जेडीयू
Reported By BORDER NEWS MIRROR
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आरा। बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और राज्य की सभी प्रमुख पार्टियों के कार्यालयों में सरगर्मी बढ़ गई है। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए और राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन में बड़े नेताओं के आने – जाने का सिलसिला भी अब तेज हो गया है। दोनों ही गठबंधनों में सीट बंटवारे […]
आरा। बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और राज्य की सभी प्रमुख पार्टियों के कार्यालयों में सरगर्मी बढ़ गई है। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए और राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन में बड़े नेताओं के आने – जाने का सिलसिला भी अब तेज हो गया है। दोनों ही गठबंधनों में सीट बंटवारे को लेकर अंतिम दौर की वार्ता चल रही है तो नए दल को शामिल करने या नहीं करने के फैसलों पर भी अब निर्णायक कदम की तरफ एनडीए और महागठबंधन का शीर्ष नेतृत्व बढ़ चला है।
एनडीए का प्रमुख घटक दल भारतीय जनता पार्टी और लोक जन शक्ति पार्टी सुरक्षित जोन में हैं मगर एनडीए में शामिल नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जनता दल यूनाइटेड पर लगातार संकट के बादल घिरते जा रहे हैं।
पहले से ही लोक जनशक्ति पार्टी और उसके नेता चिराग पासवान के निशाने पर रही जदयू को अब बिहार की राजनीति में मजबूत दखल रखने वाले बिहार पीपुल्स पार्टी के प्रमुख नेता आनंद मोहन के समर्थकों का विरोध भी झेलना पड़ेगा । आनंद मोहन की पत्नी पूर्व सांसद लवली आनंद अब राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गई हैं।उनके साथ उनके पुत्र चेतन आनंद भी राजद में शामिल हुए हैं। करीब डेढ़ वर्षों से जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आनंद मोहन समर्थकों को इस झांसे में रखा था कि वे विधानसभा चुनाव के पहले आनंद मोहन को जेल से रिहा करा देंगे ।
आनंद मोहन की आजीवन कारावास की सजा अब पूरी होने वाली है और लोक सभा चुनाव में नीतीश कुमार ने लवली आनंद से समर्थन भी लिया था। लवली आनंद ने तो खुद चुनाव नहीं लड़ा मगर अपने समर्थकों के वोट जदयू और एनडीए उम्मीदवारों के पक्ष में स्थानांतरित करा दिया और कई सीटों पर एनडीए को जीत दिलवाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस बीच लगातार नीतीश कुमार सार्वजनिक मंचों से आनंद मोहन की चिंता की बात कहते हुए उन्हें रिहा करने का आश्वासन देते रहे। आनंद मोहन समर्थकों को जब नीतीश कुमार की बातों पर संदेह होने लगा तो विगत दो महीने से राज्य के सभी जिलों, जिला मुख्यालयों और प्रमुख शहरों में आनंद मोहन के समर्थक सड़कों पर उतर गए और आंदोलन छेड़ दिया। उनके समर्थकों ने आक्रोश मार्च,मशाल जुलूस और प्रदर्शनों से बिहार की राजनीति में अपनी ताकत का अहसास करा दिया।
सूत्र बताते हैं कि आनंद मोहन समर्थकों की सक्रियता उनके आंदोलन और तेवर को देखते हुए नीतीश कुमार को यह भय सताने लगा कि करीब 14 साल से जेल में बन्द रहने के बावजूद आनंद मोहन के समर्थकों की संख्या में न कमी आई और न ही तेवर ढीले पड़े।अगर आनंद मोहन जेल से निकल गए तो फिर बिहार में उनकी ताकत के सामने जदयू के नेताओं का कद छोटा पड़ जायेगा ।
इस बात का अहसास होते ही नीतीश कुमार ने आनंद मोहन को रिहा कराने के अपने आश्वासन से पलटी मार दी। नीतीश कुमार ने लोक सभा चुनाव में जिससे मदद ली ,कई सीटें जीत लीं मगर अब अपने वादे से मुकर गए। ऐसे में आनंद मोहन समर्थकों ने विधानसभा चुनाव में बिहार में जनतादल यूनाइटेड के सभी उम्मीदवारों को हराने का फैसला ले लिया है। लवली आनंद और चेतन आनंद का राजद में शामिल होना नीतीश कुमार और जदयू के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
आनंद मोहन समर्थको के आक्रोश की आग में जदयू की हार तय मानी जा रही है ऐसा समर्थक लगातार दावा कर रहे हैं। जनतादल यूनाइटेड के लिए बिहार विधानसभा का चुनाव आसान नही रह गया है। जदयू को एनडीए के भीतर भी विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने तो जदयू के सभी उम्मीदवारों के खिलाफ प्रत्याशी उतारने की चेतावनी दे दी है। भोजपुर के सात के सात विधान सभा क्षेत्रों में आनंद मोहन समर्थकों की संख्या निर्णायक है और यहां तीन विधानसभा क्षेत्रों में जदयू के लड़ने की संभावना जताई जा रही है। इन तीनों सीटों पर जदयू के उम्मीदवारों को हराने के लिए आनंद समर्थकों ने कमर कस ली है। यही स्थिति कैमूर,रोहतास और बक्सर जिलों में है जहां आनंद मोहन समर्थकों ने जदयू के प्रत्याशियों को हर हाल में हराने की ठान ली है।
भोजपुर के फ्रेंड्स ऑफ आनंद के प्रमुख नेता ओम प्रकाश सिंह और रोहतास के फ्रेंड्स ऑफ आनंद के प्रमुख नेता पिंटू शर्मा ने कहा है कि धोखेबाज नीतीश कुमार के झूठे आश्वासन,झूठे वादे का चुनाव में करारा जवाब देने को समर्थक तैयार हैं। शाहाबाद सहित पूरे बिहार में आनंद मोहन के समर्थक जनतादल यूनाइटेड के उम्मीदवारों को हराने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। आनंद मोहन की रिहाई नहीं कराने का खामियाजा अब जदयू के उम्मीदवारों को उठाना पड़ेगा।
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