
नई दिल्ली। भारत अब स्वदेशी एस्ट्रा एमके–1 बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल की क्षमता 100 किमी. से बढ़ाकर 160 किमी. करने पर कम कर रहा है। मई, 2022 तक दोहरे पल्स रॉकेट मोटर की सहायता से 160 किमी. की विस्तारित सीमा के साथ एस्ट्रा एमके-2 को विकसित किया जाना है। भारतीय वायुसेना और नौसेना पहले […]
नई दिल्ली। भारत अब स्वदेशी एस्ट्रा एमके–1 बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल की क्षमता 100 किमी. से बढ़ाकर 160 किमी. करने पर कम कर रहा है। मई, 2022 तक दोहरे पल्स रॉकेट मोटर की सहायता से 160 किमी. की विस्तारित सीमा के साथ एस्ट्रा एमके-2 को विकसित किया जाना है। भारतीय वायुसेना और नौसेना पहले से एस्ट्रा मिसाइल का इस्तेमाल कर रही हैं लेकिन अब एस्ट्रा एमके-1 मिसाइलों को भारतीय वायु सेना के मिग-29, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट ’तेजस’ और भारतीय नौसेना के मिग-29ए विमानों के साथ लैस किया जा रहा है।
भारतीय वायुसेना और नौसेना पहले से एस्ट्रा मिसाइल का इस्तेमाल कर रही हैं लेकिन लद्दाख सीमा पर तनाव बढ़ने के बाद दोनों सेनाओं के लिए 248 स्वदेशी एस्ट्रा एमके-1 मिसाइल खरीदने का ऑर्डर किया गया था। इसमें 200 मिसाइलें वायुसेना के लिए और 50 नौसेना के लिए थीं। बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर 50 मिसाइलों की पहली खेप भारतीय वायु सेना को अक्टूबर में मिली थी। एस्ट्रा एमके-1 मिसाइल 3.6 मीटर (12 फीट) लंबी है, जिसका व्यास 178 मिमी. (7.0 इंच) और वजन 154 किलोग्राम (340 पाउंड) है। यह मिसाइल इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटरमेशर्स से लैस है, इसलिए दुश्मन के प्रयासों को नाकाम करके अपने ऑपरेशन को अंजाम देती है। एस्ट्रा एमके-1 मिसाइल 4.5 मैक की गति तक अधिकतम 20 किमी. (66 हजार फीट) की ऊंचाई से संचालित हो सकती है। इसकी अधिकतम सीमा हेड-ऑन चेस मोड में 110 किमी. (68 मील) और टेल चेस मोड में 20 किमी. (12 मील) है।
एस्ट्रा एमके-1 पहले से ही भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों के साथ एकीकृत है और इसका उत्पादन भारत डायनेमिक्स लिमिटेड कर रही है। इसका कैरिज ट्रायल सुखोई-30 एमकेआई से 2009 और 2013 में किया गया था। इसके बाद पहला परीक्षण मई, 2014 में और दूसरा 18 मार्च, 2016 को सुखोई-30 एमकेआई से किया गया था। सितम्बर, 2017 में सात परीक्षणों की एक श्रृंखला के दौरान एस्ट्रा का दो बार परीक्षण किया गया था। 2019 में उपयोगकर्ता परीक्षणों के दौरान एस्ट्रा मिसाइल 90 किमी. (56 मील) की दूरी पर एक लक्ष्य को मारने में कामयाब रही। इसी के बाद इसे भारतीय वायुसेना और नौसेना में शामिल किया गया था। अब एस्ट्रा एमके-1 के मौजूदा 110 किलोमीटर संस्करण को भारतीय वायु सेना के मिग-29, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस एमके-1 और भारतीय नौसेना के मिग-29ए के विमानों के साथ एकीकृत किया जा रहा है।
हालांकि 110 किमी. से अधिक की रेंज और अधिकतम 5,500 किमी प्रति घंटे से अधिक गति के साथ एस्ट्रा एमके-1 मिसाइल को गेम चेंजर के रूप में देखा जाता है, जो पाकिस्तान तक हवा से हवा में मुकाबला कर सकती है लेकिन अब भारत ने अब एस्ट्रा एमके-1 मिसाइलों की रेंज 100 किमी. से बढ़ाकर 160 किमी. करने का फैसला लिया है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) मई, 2022 तक 160 किलोमीटर तक की रेंज बढ़ाने के लिए दोहरे पल्स रॉकेट मोटर पर काम कर रहा है, जिसे एस्ट्रा मार्क-2 मिसाइल के नाम से जाना जायेगा। इसके साथ ही मिसाइल पर स्वदेशी के साथ रूसी रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) बदलने के लिए भी काम चल रहा है। भारत के पास अब राफेल के इंडक्शन के साथ यूरोपीय डेवलपर एमबीडीए की उल्कापिंड मिसाइलें भी हैं लेकिन वे एस्ट्रा (7-8 करोड़ रुपये) की तुलना में बहुत अधिक (प्रत्येक 25 करोड़ रुपये) महंगी हैं।
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