भारतीय सर्वभाषा रचना संघ के तत्वाधान में मनाया गया विश्व हिन्दी दिवस

भारतीय सर्वभाषा रचना संघ के तत्वाधान में मनाया गया विश्व हिन्दी दिवस

Reported By BORDER NEWS MIRROR
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सहरसा। भारतीय सर्वभाषा रचनाकार संघ के तत्वावधान में विश्व हिन्दी दिवस अध्यक्ष मुक्तेश्वर सिंह मुकेश की अध्यक्षता में कोसी कॉलोनी स्थित साहित्य सदन में सोमवार को मनाया गया। इस मौके पर वक्ता प्रो. राजाराम सिंह ने कहा कि क्या हमारी हिन्दी इतनी सक्षम नहीं कि दूसरी भाषा का सहारा लिया जाय। हां क्लिष्ट शब्दों के बदले […]
सहरसा। भारतीय सर्वभाषा रचनाकार संघ के तत्वावधान में विश्व हिन्दी दिवस अध्यक्ष मुक्तेश्वर सिंह मुकेश की अध्यक्षता में कोसी कॉलोनी स्थित साहित्य सदन में सोमवार को मनाया गया।
इस मौके पर वक्ता प्रो. राजाराम सिंह ने कहा कि क्या हमारी हिन्दी इतनी सक्षम नहीं कि दूसरी भाषा का सहारा लिया जाय। हां क्लिष्ट शब्दों के बदले सुगम शब्दों के प्रयोग पर ध्यान देना चाहिए। सुमन शेखर ने कहा कि हिन्दी को अभी भी सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं में दूसरी श्रेणी की भाषा मानी जाती है। वहां भी हिन्दी को अपनाये जाने की आज जरूरत है। उनकी पंक्तियां ये कैसी लाचारी ,ये कैसी मजबूरी है। हर कोई है क्यों विवश,चल हर उलझन तोड़ मनायें विश्व हिन्दी दिवस।
वरिष्ठ हिन्दी लेखक मुक्तेश्वर सिंह मुकेश ने अपने संबोधन में कहा आज यह गौरव की बात है हम विश्व हिन्दी दिवस मना रहे हैं। भारत सहित 137 विदेशी विश्वविद्यालयों में, मारीशस, सूरीनाम, फीजी,त्रिनिदाद, संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व हिन्दी दिवस पर कार्यक्रम वही आयोजित किए गए हैं। जापान, आस्ट्रेलिया, जर्मनी, ब्रिटेन व अमेरिका जैसे देशों में हिन्दी सिखाने के कोचिंग संस्थान खुले हैं। 230 करोड़ की आबादी में हिन्दी फैली हुई है। पर सोशल मीडिया हिन्दी की दुश्मन बन गयी है।हिन्दी की देवनागरी लिपि रोमन लिपि बन गयी है।
उन्होंने कहा कि हिन्दी शब्दों को अंग्रेजी अक्षरों में लिखा जा रहा है अथवा हिन्दी अंग्रेजी मिलाकर संवाद भेजा जा रहा है।उनहोंने कहा आज के दिन “हैप्पी हिन्दी दिवस “लिख शुभकामनायें भेज रहे हैं। हिन्दी दिवस पर अंग्रेजी का “हैप्पी “क्यों ? जूम एप से दिल्ली से जुड़ी कवयित्री-लेखिका सुश्री कंचन पाठक ने अपनी कविता की इन पंक्तियों में हिन्दी की दशा पर चोट की-नाम हिन्द बस कहने भर को,अंग्रेजी का बासा है।अपने ही आंगन में उपेक्षित, हिन्दी बनी तमाशा है।
मुम्बई से जुड़ी डा.पूर्णिमा सिंह ने कहा-हिन्दी ना सिर्फ एक भाषा है बल्कि भारत की आत्मा है।किन्तु आज हिन्दी वर्णसंकर से पीड़ित है। हमें शुद्ध हिन्दी बोलने और लिखने के लोगों को प्रेरित करना चाहिए। सहरसा नया बाजार से जूम एप से डा.रूबी कुमारी अपने काव्य से बताया-संस्कृत भाषा से उपजी, कभी पाली,कभी प्राकृत, कभी खड़ी बोली रही मेरी हिन्दी। दिन प्रतिदिन आगे ही आगे बढी, विश्व पटल पर चमकी मेरी हिन्दी। अंत में अध्यक्ष द्वारा हिन्दी को हर घर तक प्रचारित करने का संकल्प लिया गया। तत्पश्चात कार्यक्रम का समापन हुआ। 

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