भाग-3: पूर्वी चम्पारण का स्वास्थ्य विभाग जहां छुआ वही मवाद

भाग-3: पूर्वी चम्पारण का स्वास्थ्य विभाग जहां छुआ वही मवाद

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सागर सूरज मोतिहारी। ज़िले मे पदस्थापित चिकित्सकों की करस्तानियों पर अगर नजर डाले तो पूरा का पूरा सिस्टम ही सवालों के घेरे मे आता दिखता है। डॉ. श्रवण पासवान (Dr. Shrwan Paswan) की तो विवादों से चोली-दामन का रिश्ता रहा है फिर भी यह नाम यहाँ के स्वास्थ्य विभाग मे व्याप्त भ्रष्टाचार के ऊपर एक […]

सागर सूरज

मोतिहारी। ज़िले मे पदस्थापित चिकित्सकों की करस्तानियों पर अगर नजर डाले तो पूरा का पूरा सिस्टम ही सवालों के घेरे मे आता दिखता है। डॉ. श्रवण पासवान (Dr. Shrwan Paswan) की तो विवादों से चोली-दामन का रिश्ता रहा है फिर भी यह नाम यहाँ के स्वास्थ्य विभाग मे व्याप्त भ्रष्टाचार के ऊपर एक महज बानगी ही है। जितनी नाम उतनी कहानियाँ एवं उतने ही घिनौने आरोप। आरोप है कि डॉ. सुनील कुमार (Dr. Sunil Kumar) की नियुक्ति ही अवैध है। इन्होने अपने नियुक्ति के वक्त मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया का क्लियरेंस प्रस्तुत नहीं किया, जबकि वे रूस से मेडिकल की डिग्री लिए हुये है। रूस से मेडिकल पास चिकित्सकों मे रवि रंजन और सुरेश कुमार भी है। वर्तमान मे दोनों ही ज़िले से बाहर है। डॉ. सुनील कुमार वर्तमान मे मोतिहारी सदर अस्पताल (Motihari Sadar Hospital) मे आरटीपीसीआर (RTPCR) इंचार्ज़ है। स्वास्थ्य विभाग को भेजे गए एक आवेदन मे आरोप लगाया गया कि डॉ. सुनील कुमार पर कोविड किट को फेंकने, उसे बाज़ार मे बेचवाने साथ ही चार एम्बुलेंस को चलवाने एवं तीन के पैसे को गबन करने जैसे गंभीर आरोपों के सघन जांच की मांग की गयी है। दूसरा महत्वपूर्ण नाम है डॉ. रणजीत राय का। डॉ. रणजीत राय  (Dr. Ranjit Rai) ज़िला यक्ष्मा पदाधिकारी है। उनपर आरोप है कि वे गया मे पदस्थपना के दौरान पाँच साल तक गायब रहे थे। विभाग को उनके बारे मे कोई सूचना नहीं थी की वे कहा है, फिर भी वे ज़िले के पहाड़पुर (Paharpur) के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मे बिना रिलीजिंग और बिना चार्ज रिपोर्ट के जॉइन कर लिए, साथ ही आरोप है कि फ़रारी का भी पूरा पैसे का उठाव कर सर्विस को रेगुलर भी कर लिए। इतना ही नहीं आवेदन मे आरोप लगाया गया है कि मोतिहारी के सिविल सर्जन से इनके गहरे तालुक्कात है। इतने गहरे कि वे सिविल सर्जन के सरकारी आवास मे ही रहते है और आवास मद मे मिलने वाले पैसे को एंजॉय करते है और इस सब मे सिविल सर्जन का सहयोग बना रहता है। हालांकि डॉ. रंजीत राय इन आरोपों से सीधा इंकार करते है एवं कहते है कि वे 2002 मे गया मे जॉइन किए और लिखित अवकश कर चले गए। फिर गया से 2009 मे विरमित हुये और पहाड़पुर मे तत्कालीन सिविल सर्जन के आदेशानुसार जॉइन भी कर लिए क्योकि अवकाश पीरियड का पे-स्लिप विभाग नहीं बनाया, इसलिए वे उक्त काल का सैलरी नहीं ले सके, जिसके लिए वे एक मुकदमा भी विभाग से लड़ रहे है। उन्होने कहा कि सभी आरोप झूठे और बेबुनियाद है। इधर डॉ. सुनील कुमार से उनके मोबाइल नंबर पर कई बार संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उनके द्वारा फोन रिसीव नहीं किया गया।

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