
सागर सूरज
मोतिहारी। केंद्रीय मानव संसाधन विभाग के फटकार के बाद अंततः महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय में 23 दिसंबर को होने वाली एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक को स्थगित कर दी गयी है। बताया गया कि केंद्रीय मानव संसाधन विभाग ने एक पत्र के माध्यम से विश्वविद्यालय प्रशासन को फटकार लगाते हुए आदेश दिया, क्योकिं एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक बहुत ही कम समय पहले घोषित की गयी थी। इसलिए इसको स्थगित कर दी जाय। विश्वविद्यालय के ओएसडी प्रो. राजीव कुमार ने कहा कि बैठक को बीच में ही अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। मामले में ‘बीएनएम’ ने एक खबर प्रकाशित की थी, जिसमें इस बैठक को बुलाने के पीछे की कहानी को विस्तृत रूप से जानकारी दी थी। बता दे की फाइनेंस और पॉलिसी मैटर को लेकर बुलाये गए एग्जीक्यूटिव काउंसिल की किसी भी बैठक को कम से कम दो सप्ताह पूर्व घोषित करनी चाहिए थी, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने गत- 16 दिसम्बर को ही अचानक आनन- फानन में बैठक को 23 दिसंबर को संपन्न करने की घोषणा कर दी। माना जा रहा था कि कुलपति द्वारा पूर्व के अपने नियम विरुद्ध कथित निर्णयों को एग्जीक्यूटिव काउंसिल में अप्रूवल चाहते थे।
जिसका एक लिखित आवेदन भी आलोक राज ने मानव संसाधन को भेजा है, जिसमे कुलपति संजीव कुमार शर्मा पर भ्रष्टाचार सम्बंधित कई तरह के गंभीर आरोप लगाये थे। उन्होंने कहा कि क्योकि कुलपति एक्टिंग रूप में इस पद पर कायम है, इसलिए वे नया ऑर्डिनेंस नहीं ला सकते एवं पूर्व के किसी एजेंडा में सुधार भी नहीं करवा सकते। विभागीय आदेशानुसार जब तक नये कुलपति की बहाली नहीं हो जाती ये कार्यकारी कुलपति के तौर पर ही कार्य करेंगे। इस दरम्यान कुलपति ना तो कोई नया ऑर्डिनेंस ला सकते है, और ना ही पूर्व के किसी ऑर्डिनेंस में सुधार ही कर सकते है। नियमानुसार कुलपति को सिर्फ रूटीन कार्यों का ही संपादन करना है। बताया जाता है कि आगामी 23 दिसम्बर को कुलपति ने एग्जीक्यूटिव कौंसिल की एक बैठक बुलाई थी ताकि सदस्यों को प्रभाव में लेकर एक पूर्व के एजेंडा में सुधार करते हुये अपने द्वारा सम्पादित गैरकानूनी कार्यों को कानून की अमली जामा पहनाया जा सके। आरोप है कि आर्डिनेंस 19, जो नए विभाग एवं केन्द्रों को शुरू करने से सम्बंधित था। लेकिन दों विभाग को छोड दे तो बाकी 14 विभागों को शुरू करने के लिए ना तो कोई आर्डिनेंस लाया गया और ना ही एग्जीक्यूटिव कौंसिल से उसे पास ही करवाया गया। अनुमान लगाया जा रहा था कि आगामी बैठक में नियम विरुद्ध संचालित विभागों को कानूनी रूप दिया जाएगा, वही एक दूसरा एजेंडा है फी और सेल्फ फाइनेंस वाले एडमिशन को लेकर था। यूनिवर्सिटी ने बिना आर्डिनेंस के पहले ही छात्रों का इस कोटे में एडमिशन ले रखा है, वैसे मे बिना आर्डिनेंस और एग्जीक्यूटिव कौंसिल के अनुमति के ही खुद से यूनिवर्सिटी ने नामांकन का ‘केरेटेरिया’ भी तैयार कर लिया। विभागों के डीन की एक बैठक में ये सभी नियम विरुद्ध निर्णय लिए गए है, जो की इस कार्य के लिए या किसी भी पॉलिसी मैटर कही से भी अधिकृत नहीं है। निर्णय में रिज़र्व कोटे का आरक्षण निर्धारित भी नहीं किया गया। यूनिवर्सिटी ने जबरदस्ती सभी विभागों में सेल्फ फाइनेंस वाली केटेगरी में 30 नवम्बर तक नामांकन समाप्त कर ली है, लेकिन इसका अप्रूवल कही से भी नहीं लिया गया। पूछे जाने पर झारखण्ड स्थित केन्द्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व रेजिस्ट्रार हरीश मोहन ने कहा कि महात्मा गाँधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुलपति अभी एक्टिंग कुलपति के रूप में कार्य कर रहे है, क्योकि उनका कार्यकाल ख़त्म हो चूका है और नए कुलपति के पदस्थापना तक वे रुटीन कार्यों का ही संपादन कर सकते है।
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