मोतिहारी। यूं तो चंपारण गांधी की कर्मभूमि के रूप में जाना जाता है, लेकिन हाल के दिनों में गांधी प्रतिमा को तोड़ने व उनके मूर्ति पर शराब की केन की माला पहनाए जाने को लेकर काफी विवाद हुआ। विवाद इतना बढ़ा कि जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को रात्रि गश्ती पर निकलना पड़ा। गांधी चंपारण के कण- कण में बसे हुए हैं। सत्याग्रह की शुरुआत चम्पारण से ही 1917 में शुरू हुई। हाल ही में चम्पारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह मनाया गया।
जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद तक चंपारण आए थे। इस कार्यक्रम के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाया गया था लेकिन नतीजा क्या निकला, ढाक के तीन पात वाली रहीं। सफ़ाई व स्वच्छता के नाम पर केवल और केवल खाना पूर्ति ही की गयीं। भारत सरकार के द्वारा स्वच्छ भारत अभियान चलाया जा रहा है, बावजूद इसके मोतिहारी सबसे प्रदूषित शहरों में हाल ही में शामिल हुआ। हाल ही में स्वच्छता सर्वेक्षण के नाम पर मोतिहारी नगर- निगम के द्वारा जगह- जगह बड़े- बड़े गुब्बारें लगायें गए थे। जिस पर पैसा पानी की तरह बहाया गया था लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती हैं।
चारों तरफ गंदगी ही गंदगी है। गांधी को अपमानित करने में मोतिहारी के एकमात्र मॉडल मैट्रिक परीक्षा केंद्र मंगल सेमिनरी के केन्द्राधीक्षक नजीबुल्लाह खान ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। उन्होंने एक शिक्षाविद होते हुए गांधी का अपमान किया। मॉडल परीक्षा केंद्र पर परीक्षार्थियों के स्वागत में गुब्बारे व तोरन द्वार लगाए गए और फ्लेक्स लगाकर गांधीजी के चेहरे को ढकते हुए फ्लेक्स लगा दिया। इस प्रकार का कुकृत्य एक हाई स्कूल के प्राचार्य को शोभा नहीं देता। उन्होंने न सिर्फ गांधी का अपमान किया बल्कि पूरे देशवासियों का भी अपमान किया इसके लिए उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
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