
सागर सूरज
भितरघात से डूबी राजद की लुटिया

मोतिहारी। जिले में विधान परिषद् चुनाव (MLC ELECTION) में पूर्व विधायक महेश्वर् सिंह (EX-MLA MAHESHWAR SINGH) तो चुनाव जीत गए परन्तु इस चुनाव से जुड़े कई पहलु है, जिसकी चर्चा चौक चौराहे पर अभी हप्तो तक बाद- विवाद का विषय बनी रहेगी।
लड़ाई में भाजपा (BJP) , राजद (RJD) और निर्दलीय प्रत्याशियों के बीच कांटे का टक्कर रहा और अंत में निर्दलीय प्रत्याशी महेश्वर सिंह राजद के बब्लू देव (BABLOO DEV) को 217 मतों से पराजित करते हुये इस सीट को अपने पाले में कर लिया। कुछ लोग इस जीत को महेश्वर सिंह एवं उनके लड़कों की कड़ी मेहनत का नतीजा बता रहे है, वही कांग्रेस नेता डॉ. अखिलेश सिंह ( DR. AKHILESH SINGH) के समर्थक इस जीत के लिए अपना पीठ खुद से थपथपाते देखे जा रहे है।
तीसरे नंबर पर रहे भाजपा के प्रत्याशी बब्लू गुप्ता (BABLOO GUPTA) की हार तय मानी जा रही थी, क्योकि गुप्ता को अपनी पार्टी का ही कोई सहयोग नहीं था। आरोप है कि खुद पार्टी के तथाकथित ‘किंग मेकर’ सह बड़े नेता साहब भी पार्टी के कई विधायकों के साथ भीतर घात कर रहे थे, वही कुछ लोग जो लगे भी थे, वे सिर्फ ऊपर से थे, फिर भी बब्लू गुप्ता महज़ 5 वोट से दुसरे चरण के मतगणना से बहार हो गए। छोटा मार्जिन भाजपा के वोट बैंक को प्रदर्शित करता है।
उधर राजद के बब्लू देव भी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर भीतरघात का आरोप लगाते है और यह सही भी दिखा। विशेष कर हरसिद्धि के राजद नेता कार्यकर्ता तो लगातार निर्दलीय उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करते और सोशल मीडिया पर वोट मांगते देखे गए। राजद में यह परम्परा पूर्व से ही है। लोग कई बार पार्टी के उम्मीदवारों से इतर जाकर अपना समर्थन खुलेआम करते है। पिछले विधान सभा में राजद ने कई नेताओं पर कार्रवाई भी की गयी लेकिन एक साल के भीतर ही सभी को वापस ले लिया गया, यही उदहारण काफी है भीतरघातियों का मनोबल बढ़ाने के लिए।
महेश्वर सिंह को राजद ने चुनाव पूर्व बाहर कर दिया था, बावजूद इसके राजद का एक बड़ा घड़ा महेश्वर सिंह के पक्ष में था यानि राज्य सभा सदस्य डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह के अलावा एक और दूसरी पार्टी के सांसद महेश्वर सिंह को जितने में लगे थे।
महेश्वर सिंह व उनके पुत्रों की मेहनत ने पलटा पासा
इस तरह एक तरफ भितरघातियों से घिरे राजद के बब्लू देव दूसरी तरफ एक बेहतर व्यक्तित्व के महेश्वर सिंह और उनके दोनों पुत्रों की सफल रणनीति साथ में दो– दो सांसदों की सपोर्ट उसके बाद भी बबलू देव का अंत तक संघर्ष चुनाव को रोचक बनाये रखा था। महेश्वर सिंह के पुत्र डॉ. तरुण के हेल्थ कार्ड भी मतदाताओं को कम आकर्षित नहीं किया। बार –बार पार्टियों को बदलना और सभी पार्टियों के नेताओं को अपने प्रभाव में लाकर निर्दलिय से सीट निकाल लेना भी कम रोचक नहीं रहा। यानि दल बदलना भी एक “डिप्लोमेसी” का पार्ट समझा जा सकता है। यानि “सिद्धांत गया तेल लेने” अब व्यक्तिगत संबंधो से भी आप चुनाव जीत सकते है।
अखिलेश सिंह ने बब्लू देव पर लगाया था गंभीर आरोप
इस चनाव के बाद भले ही बब्लू देव चुनाव हार गए लेकिन वे राजद के एक सर्वमान्य नेता के रूप में उभरे है, वही जिले के भूमिहारों के बीच में अखिलेश प्रसाद सिंह और उनके पुत्र आकाश प्रसाद सिंह का अवसान हुआ है। ख़ास कर अखिलेश प्रसाद सिंह और उनके बेटे के बडबोलेपन से उनका इस जिले का आधार वोट पूरी तरह से खिसक गया है, जिसकी परिणति उन्हें आगामी किसी चुनाव में देखने को मिल सकता है। अखिलेश प्रसाद सिंह ने जहाँ बब्लू देव को अपराधी कहा था वही आकाश ने बब्लू देव को लफंगा कहते हुये उसको तीसरे नंबर पर जाने की बात कही थी।
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