कोलंबो। राष्ट्रपति सहित पूरी सरकार बदलने के बाद श्रीलंका में थमता नजर आ रहा जनांदोलन एक बार फिर भड़क उठा है। अब आंदोलनकारी राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे से इस्तीफा मांग रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक श्रीलंका में रानिल विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति चुने जाने और फिर उनके नेतृत्व में नई सरकार बनने के बाद लगने लगा था कि श्रीलंका शांति की राह पर चल निकला है, किन्तु ऐसा हो नहीं पा रहा है।
श्रीलंका में राजनीतिक टकराव एक बार फिर उग्र रूप ले रहा है। आंदोलनकारियों के खिलाफ सरकार की सख्ती से देश भर में गुस्सा भड़क रहा है।
श्रीलंका के चर्चित मजदूर नेता जोसेफ स्टालिन और अन्य आंदोलनकारियों की गिरफ्तारी के विरोध में मजदूर संगठनों ने देश भर में विरोध प्रदर्शन कर गिरफ्तार लोगों की रिहाई और राष्ट्रपति विक्रमसिंघे के इस्तीफे तक विरोध जारी रखने का ऐलान किया है।
श्रीलंका में गोटा गो गामा विरोध का एक बड़ा केंद्र बन गया है। कोलंबो पुलिस ने गोटा गो गामा स्थल पर जमे प्रदर्शनकारियों से तत्काल यह स्थान खाली करने को कहा है।
इसके लिए नोटिस भी जारी किये गए हैं किन्तु प्रदर्शनकारी जगह खाली करने को तैयार नहीं हैं। इन प्रदर्शनकारियों को विपक्ष का समर्थन भी मिल रहा है।
श्रीलंकाई संसद में विपक्ष के नेता हर्षा डि सिल्वा ने गोटा गो गामा जाने की कोशिश की तो पुलिस ने उन्हें रोक दिया। डि सिल्वा ने ट्वीट कर कहा कि लगातार पांचवें दिन उन्हें गोटा गो गामा जाने से रोका गया है।
उन्होंने इसे सांसद के रूप में अपने अधिकारों का उल्लंघन करार दिया। उन्होंने कहा कि वे उन आंदोलनकारियों से मिलना चाहते थे, जिन्हें पुलिस गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है।
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