
किशोर न्याय बोर्ड में अफरा –तफरी, न्यायाधीश एवं अधिवक्ता के बीच तू-तू मै-मै
- लगाया एक दूसरे पर भ्रष्टाचार में लिफ्ट रहने का आरोप
- अधिवक्ता को खुले कोर्ट में कहा घूसखोर
- अधिवक्ताओं में आक्रोश, जिला जज से मिलकर किया शिकायत
सागर सूरज
मोतिहारी: मोतिहारी स्थित किशोर न्याय बोर्ड के कोर्ट में बृहस्पतिवार को अचानक अफरा तफरी मच गई जब एक अधिवक्ता सह कोर्ट के रिमांड अधिकारी एवम न्यायाधीश के बीच एक दूसरे पर भ्रष्टाचार में लिफ्त रहने का आरोप लगाते हुए तु- तू मैं- मैं परवान चढ़ने लगी।
घटना के वक्त दो दर्जन से अधिक अधिवक्ता एवं आम लोग कोर्ट में उपस्थित थे, जब मोतिहारी बार के एक अधिवक्ता सह उक्त कोर्ट के रिमांड अधिकारी राजेश पाण्डेय आपने किसी क्लाइंट के पक्ष में पैरवी कर रहे थे। तभी दोनों ही पदाधिकारियों के बीच खुले कोर्ट में तू तू मैं- मैं होने लगी।
इधर दोनों ही पक्षों ने प्रोटोकॉल की सारी हदें पार करते हुए न्यायालय और अधिवक्ता की गरिमा को तार –तार तो किया ही साथ ही इस विवाद ने न्यायालय में कथित रूप से व्याप्त भ्रष्टाचार के गन्दा खेल को भी उजागर करने का काम किया।
पत्रकारों से बात करते हुए अधिवक्ता सह रिमांड अधिकारी राजेश पांडेय ने न्यायाधीश सहित पूरे बोर्ड को कटघरे में खड़े करते हुए जानबूझकर पक्षपात करने एवं खास लोगों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है।
श्री सिंह ने साफ़ तौर पर कहा कि मोतिहारी किशोर न्याय बोर्ड में कई ऐसी घटनाये भी घटी है जब मर्डर के अभियुक्त शाम को आया है और सुबह में छोड़ दिया गया है जबकि बाकि ऐसे किशोरों से तरह तरह के कागजात मांग कर बाद में जमानत को बेवजह नामंजूर भी कर दिया जाता है।
श्री पांडे ने बोर्ड पर गंभीर आरोप लगते हुए कैमरे के सामने कहा कि मुझे ओपन कोर्ट में न्यायाधीश द्वारा दलाल कहा गया जबकि बोर्ड खुद भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा है।
आरोप लगाया कि बोर्ड के सदस्य पीड़ितों के परिजनों को फोन पर बुलाते है और उनको लाभ पहुंचाने का कार्य करते है, न्यायाधीश महोदय ये साबित करे मै कैसे दलाली करता हूँ। मेरी प्रतिनियुक्ति यहाँ रिमांड अधिवक्ता के रूप में हुयी है, जिसका कार्य दिन भर है। आखिर यहाँ के लोगों को हमसे क्या समस्या है।
उन्होंने कहा कि जहां स्वार्थ नही साधता वैसे पार्टी व अधिवक्ता को जानबूझकर बोर्ड एवं न्यायाधीश द्वारा परेशान व हर तरह से ह्रास किया जाता है। कोर्ट अपना निर्णय लेने को स्वतंत्र है। लेकिन एक कोर्ट को किसी अधिवक्ता को बेइज्जत करने एवं उसको रिश्वत खोर, दलाल कहने का अधिकार नहीं है। एक अधिवक्ता भी “ऑफिसर्स ऑफ़ द कोर्ट होता है” ऐसे में न्यायाधीश का मेरे ऊपर लगाया गया आरोप बेबुनियाद एवं निराधार है।
इधर श्री पांडे ने कहा कि वे जिला एवं सत्र न्यायाधीश से मिल कर घटना से अवगत करवा दिए है वही एक आवेदन जिला बार संघ के महासचिव को भी दे दिया है। उन्होंने कहा इंस्पेक्टिंग जज एवं चीफ जस्टिस को भी एक पत्र लिखने की तैयारी की जा रही है ताकि बोर्ड पर नकेल कसी जा सके ।
उल्लेखनीय है कि किशोर न्याय बोर्ड में किशोर अपराधियों एवं आरोपियों को लेकर सुनवाई की जाती है। इधर न्यायाधीश का पक्ष लेने का प्रयास किया गया, लेकिन वे उपलब्ध नहीं हो सके।
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