जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने नाबालिग का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म करने के मामले में सजा काट रहे युवक को अपना वंश बढ़ाने के लिए पन्द्रह दिन के पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने यह आदेश अभियुक्त राहुल की ओर से अपनी पत्नी के जरिए दायर पैरोल याचिका को स्वीकार करते हुए दिए। अदालत ने कहा कि प्रकरण में अभियुक्त की जवान पत्नी निसंतान है और उसे लंबे समय तक अपने पति के बिना रहना पडेगा। उसने अपने वंश को आगे बढ़ाने के लिए पैरोल मांगी है। ऐसे में अभियुक्त को पन्द्रह दिन के लिए पैरोल पर रिहा करना उचित होगा। अदालत ने अभियुक्त को कहा है कि वह जेल अधीक्षक के समक्ष दो लाख रुपये का स्वयं का मुचलका और एक-एक लाख रुपये की दो जमानती पेश करें इसके अलावा जेल अधीक्षक पैरोल अवधि के बाद अभियुक्त की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए अपने स्तर पर शर्त लगा सकता है।
याचिका में अधिवक्ता विश्राम प्रजापति ने अदालत को बताया कि वह 22 वर्षीय युवक है और पॉक्सो अधिनियम के अपराध में पिछले करीब दो साल से जेल में बंद है। उसकी पत्नी वंश बढ़ाने के लिए गर्भवती होना चाहती है। ऐसे में उसे पैरोल पर रिहा किया जाए। जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील ने कहा कि अभियुक्त नाबालिग का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म करने के गंभीर मामले में बीस साल की सजा भुगत रहा है। इसके अलावा पैरोल नियमों में वंश बढ़ाने के लिए रिहा करने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए याचिका को खारिज किया जाए। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अभियुक्त को वंश बढ़ाने के लिए पन्द्रह दिन के पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। गौरतलब है कि नाबालिग का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म करने के मामले अलवर की पॉक्सो कोर्ट ने अभियुक्त राहुल को गत 13 जून को बीस साल की सजा सुनाई थी।
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