शिक्षक के “अल्कोहल कांड” पर जिलाधिकारी ने लिया संज्ञान, शिक्षा विभाग में हडकंप
सागर सूरज
मोतिहारी | मद्य निषेध दिवस के दिन ‘बॉर्डर न्यूज़ मिरर’ द्वारा जिला शैक्षणिक कोषांग के प्रभारी अमरेश कुमार की शराब सेवन और गिरफ़्तारी से जुडी प्रकाशित खबर को लेकर जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक ने संज्ञान लेते हुए पियक्कड़ शिक्षक पर कार्रवाई का निर्देश दिया है |
जिला समाहरनालय के विकास शाखा से जारी पत्रांक 1526 दिनांक 07 दिसंबर, 2022 के माध्यम से जिलाधिकारी ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को मामले में कार्रवाई का आदेश देते हुए कहा है कि आरोपों की जाँच कर नियमानुसार कार्रवाई सुनिश्चित करे |
उल्लेखनीय है कि खबर प्रकाशन के तुरंत बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी ने अमरेश कुमार को उनकी प्रतिनियुक्ति को समाप्त करते हुए उनके मूल विद्यालय रा. प्र. विद्यालय छोटा बरियारपुर मोतिहारी में वापस कर दिया था |
खबर के बाद राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित आम लोग भी नियमित शिक्षक अमरेश कुमार के कुकृत्यों को लेकर कार्रवाई की मांग करने लगे थे |
राष्ट्रीय जनता दल के बुद्धिजीवी प्रकोष्ट के प्रदेश महासचिव कैलाश गुप्ता ने सम्बंधित अधिकारियों को एक पत्र के माध्यम से अमरेश कुमार के फर्जीवाड़े एवं सरकार के शराब बंदी का उल्लंघन के प्रमाणित खबर में संज्ञान लेते हुए अविलम्ब बर्खास्तगी की मांग की थी |
खबर में अमरेश कुमार का शराब सेवन, गिरफ़्तारी और गिरफ़्तारी के समय मद्य निषेध विभाग को अलग –अलग नाम बताना एवं पेशा में शिक्षक की जगह व्यवसाय बताना साथ ही मद्य निषेध विभाग के कुछ अधिकारियों को मिला कर ब्रेथ एनालाईजर रिपोर्ट में नाम में टेंपरिंग कर अमरेश की जगर अमृतेश लिखवाना जैसे मामले सुर्ख़ियों में आ गए थे |
हालाँकि, इस तरह के संगीन आरोप की पुष्टि के बाद भी कुछ अधिकारी लगातार अमरेश को बचाने की युगात में लगे थे | इसी बीच जिलाधिकारी का संज्ञान सबके खेल को बिगाड़ कर रख दिया |
अमरेश की गिरफ़्तारी के वक्त मद्य निषेध विभाग के अधिकारियों के ऊपर भी कई तरह के गंभीर आरोप लग रहे थे, लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि बिहार मद्य निषेध और उत्पाद अधिनियम 2016 एवं बिहार सरकारी सेवक आचार नियमावली 1976 के तहत कार्रवाई की दिशा में मद्य निषेध विभाग एवं शिक्षा विभाग की भूमिका अब तक संदिग्ध रही है |
सनद रहे कि अमरेश कुमार गत 15 वर्षों से भी ऊपर से प्रतिनियुक्ति की मलाई तो चाभ ही रहा था, साथ ही आरोप है कि कुछ अधिकारियों के “कलेक्शन एजेंट” की भूमिका भी बड़ा ही बेहतर ढंग से अदा कर रहा था |
सनद रहे कि जिले में पैरवी पुत्र का दबदबा इतना था कि जिला शिक्षा पदाधिकारी कोई भी हो अमरेश कुमार की प्रतिनियुक्ति को कोई नहीं तोड़ सका | अमरेश के बारे में बताया गया कि उनकी नियुक्ति 2002 में अनुकम्पा के आधार पर तुरकौलिया के एक स्कूल में नियमित शिक्षक के रूप में हुई थी |
जिला शिक्षा अधिकारी मामले में बॉर्डर न्यूज़ मिरर को कुछ भी बताने में परहेज़ कर रहे है |
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के कृपा-पात्र अमरेश कुमार दशकों से जिला शिक्षा कार्यालय में प्रतिनियुक्ति पर है और खबर प्रकाशित किये जाने तक जिला शैक्षणिक कोषांग के प्रभारी के रूप में जिले के शिक्षकों को उत्प्रेरित करने का कार्य करते थे |
प्रभाव ऐसा कि अमरेश कुमार एक साथ शिक्षा विभाग के कई पदों की मलाई चखते नजर आ रहे थे | जिला शैक्षणिक कोषांग के साथ- साथ जिलाधिकारी के महत्वकांक्षी खेल सह व्यामशाला भवन के उप-प्रबंधक पद पर भी काबिज थे | जिला शिक्षा पदाधिकारी की विशेष कृपा से अमरेश कुमार जैसे फर्जीवाड़े को भी समय –समय पर सम्मानित होने का सौभाग्य भी प्राप्त होता रहा है |
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