रि सुपरविजन ( भाग 2) : बीच सड़क पर दरोगा से रिश्वत का रूपया वसूलते विडियो वायरल

रि सुपरविजन ( भाग 2) : बीच सड़क पर दरोगा से रिश्वत का रूपया वसूलते विडियो वायरल

फॉल्टी पुलिस इन्वेस्टिगेशन बना अभियुक्त के रिहाई का कारण

Reported By SAGAR SURAJ
Updated By RAKESH KUMAR
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वायरल विडियो के बाद राहुल सिंह को मिल रही मुक़दमे में फंसने की धमकी


सागर सूरज

मोतिहारी। छतौनी थाना क्षेत्र का एक विडियो वायरल हो रहा है, जिसमे राहुल सिंह नामक एक व्यक्ति दवारा एक दरोगा शाहरुख़ खान को सारे आम रोक कर न्याय देने के नाम पर लिए गए घुस की राशी को वापस करने की बात कही जा रही है और दरोगा साहब द्वारा उन आरोपों का जवाब नहीं देकर कल्टी मारने का प्रयास किया जा रहा है।
वायरल विडियो की तहकीकात के क्रम में पूर्व एसपी नवीन चंद्रा झा एवं उनके काल में फौल्टी अनुसंधान और निर्दोषों को बेवजह जेल भेजने की एक और गन्दी कहानी का पर्दाफाश प्रॉसिक्यूशन, डायरी में उपलब्ध फिजिकल साक्ष्यों और पुलिस और वादी के विरोधिभाषी ब्यान के साथ –साथ पुलिस विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की परत-दर खुलती चली गयी।

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मामले में सबसे पहले विडियो के बारे में जब थानाध्यक्ष सह पुलिस निरीक्षक विजय कुमार चौधरी से बात की गयी तो उन्होंने विडियो में लगे आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि एक व्यक्ति द्वारा रेप के एक अभियुक्त को बचाने का प्रयास किया जा रहा था, उसी ने गलत ठंग से विडियो को शूट किया है, लेकिन जब विडियो में दिख रहे व्यक्ति राहुल सिंह से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि दरोगा शाहरूख खान ने पार्क रेस्टोरेंट में एक गैंग रेप के मामले में गलत ठंग से फंसाए गए लक्की नामक व्यक्ति को न्याय देने के नाम पर रुपया लिए, लेकिन बाद में लक्की को उक्त मामले में भी रिमांड कर दिया गया। रेस्टोरेंट में मनोज पटेल, सोनू पटेल एवं अन्य भी थे जब मुझसे बगल के कार्यालय में ले जाकर रुपया लिया गया।
तहकीकात में बात सामने आयी कि राहुल सिंह ने लक्की को डायरी में मदद करने को लेकर शाहरुख़ को रूपये दिए थे, लेकिन वरीय पदाधिकारी के दबाब के सामने शाहरूख को झुकना पड़ा। रुपया लेने का आरोप कोर्ट में भी साक्षियों ने लगाया लेकिन वो रिकॉर्ड में नहीं आ सका।

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घटना 2009 की है जब थाने में दर्ज प्राथमिकी में दिल्ली की रहने वाली एक लड़की ने विष्णु, मनीष पर गैंग रेप का आरोप लगायी और लक्की नामक व्यक्ति के बारे में लिखी उसने रेप नहीं किया ओर वहाँ से भाग गया। न्यायलय में दिए गवाही में लड़की ने कहा कि उसका रेप नहीं हुआ है और नहीं उसके साथ कोई मारपीट हुई है। वह अभय नामक लड़के के बुलावे पर मोतिहारी में आई थी और यहाँ आने पर मालूम चला कि वह दिल्ली चला गया है। वह स्टेशन पर ठहरी थी, एक होटल में खाना खा रही थी तभी विष्णु और मनीष आकर कही ले जाने की बात कही। उसके इनकार करने पर पुनः शाम को मनीष और विष्णु उसे विष्णु के घर ले गए और गलत व्यवहार किए। तत्कालीन आरक्षी उपाधीक्षक विनित कुमार ने विष्णु और मनीष के विरुद्ध मुक़दमे को सत्य किया और लक्की की अभियुक्तिकरण के लिए जाँच की बात कही।

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पुलिस डायरी में एक राजू नामक व्यक्ति और महेश नामक व्यक्ति की चर्चा की गयी, लेकिन किसी भी गवाही में महेश का नाम नहीं आया और पीड़िता ने भी स्पष्ट रूप से कोर्ट के अपने गवाही में बताई कि वो लक्की नामक व्यक्ति और राजू को नहीं जानती। पीड़िता अपने व्यान में कही की अभय से प्रेम करती थी, लेकिन उसको नहीं पहचानती, उसका मोबाइल नंबर नहीं है। कभी घटना के समय अभय दिल्ली में था तो कभी वो अभय के साथ मोतिहारी में कुछ दिनों से रहती थी और उसके लिए खाना भी बनती थी, कभी मनीष, लक्की, विष्णु, राजू ने रेप किया तो कभी उसके साथ कोई रेप नहीं हुआ ऐसे में पुलिस डायरी में कई तरह की विसंगतियाँ देखी गयी।

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चिकित्सक को पीड़िता द्वारा दिया गया बयान पूरी तरह से अलग है। चिकित्सक ने अपने रिपोर्ट में भी मारपीट या रेप की पुष्टि नहीं की। मेन आरोप पत्र में विष्णु को प्रथम दृष्टया 376 डी, 120 बी और पोस्को एक्ट में सत्य किया गया। बाद में एसपी ने 164 को आधार बनाते हुए लक्की, विष्णु, मनीष और अभय के विरुद्ध सत्य करार दिया गया।
न्यायलय ने 14 महीने के बाद विष्णु को बाइज्जत बरी कर दिया, वही मनीष और लक्की जेल के सलाखों के पीछे है, अगर प्रॉसिक्यूशन की माने तो पुलिस के द्वारा इस मामले में अनुसंधान की ही नहीं गयी, बल्कि सिर्फ कोरम पूरा किया गया। इसके सभी अभियुक्त बच के निकल जाएंगे।

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शुरूआती दौर में इस केस के अनुसंधानकर्ता प्रेमलता थी, लेकिन डायरी किसी अन्य दरोगा के हस्ताक्षर में लिखा गया प्रतीत होता है। बाद में दुसरे अनुसंधानकर्ता राम दत्त प्रसाद थे और तीसरा शाहरुख़ खान। प्राथमिकी में पीड़िता का बयान है कि आवेदन वे खुद लिख रही है जबकि आवेदन किसी दरोगा द्वारा लिखा गया बताया जा रहा है।

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डायरी के सभी तथ्य विरोधाभासी है, साथ ही अभय अगर घटना के वक्त दिल्ली में था तो उसके विरुद्ध भी मुकदमा क्यों सत्य किया गया पूरी घटना क्रम को देखा जाए तो पूरी घटना ही संध्यास्पद और बनावटी प्रतीत होता है अगर पुलिस को अनुसंधान करना होता तो अभय अन्य का मोबाइल लोकेशन जरूर देखती, वही दरोगा शाहरुख़ खान और राहुल के संबंधों पर नजर डाली जाए तो ऐसा प्रतीत होता है कि दरोगा साहब भ्रष्टाचार में लिफ्ट रहे है, जिसका प्रमाण है राहुल और शाहरुख के बीच के 28 कॉल के बातचीत साथ ही घंटों बातचीत का रिकॉर्डिंग। इधर राहुल ने शाहरुख द्वारा किसी मुक़दमे में फंसाए जाने की धमकी का जिक्र भी वरीय अधिकारियों से किया है। (खबर अभियोजन, वादी पक्षों के व्यान डायरी और चार्जशीट पर आधारित)

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