
“पैरवी पुत्रों” के भरोसे चलता है जिला कृषि कार्यालय
कृषि विभाग के भ्रष्टाचार से किसान हलकान, सरकार को भेजा पत्र
सागर सूरज
मोतिहारी : ज़िले के कृषि विभाग इन दिनों भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर लगातार सुर्ख़ियों में रहा है | कृषि यन्त्र अनुदान योजना में लूट, यूरिया की कालाबाजारी, कृषि विपणन, बागवानी, सिंचाई, बीज, मशीनरी और प्रौद्योगिकी, पौध संरक्षण जैसी योजनाओं में करोड़ों रूपये किसानों के हकों को मार कर सम्बंधित अधिकारियों के पॉकेट गर्म करने वाले कृषि विभाग के कर्मचारी भी इन दिनों भ्रष्टाचार विरोधी संगठनों के निशाने पर है |

अगर आरोपों पर गौर किया जाए तो कृषि विभाग में भ्रष्टाचार की एपी-सेण्टर अवैध रूप से प्रतिनियुक्त कृषि समन्वयक है, जो अधिकारियों और किसानों के बीच के भ्रष्टाचार के सेतु होते है | जिले में सक्रीय कृषि माफियाओं की पकड़ कृषि विभाग में कुछ इस कदर होता है कि ज्यादातर सब्सिडी और अन्य योजनाओं का लाभ इन माफियाओं के माध्यम से ही होकर गुजरता है |
यही कारण है कि ‘इन कमासुत’ पुत्रों को जिला कृषि पदाधिकारी भी जल्दी पंचायतों के लिए छोड़ना नहीं चाहते है | अब मोतिहारी जिला कृषि कार्यालय को ही देखिए सरकार के मुख्य सचिव के आदेश की अवहेलना करते हुये कृषि समन्वयक दीपक कुमार की प्रतिनियुक्ति को कृषि पदाधिकारी दवारा नहीं हटाया जा रहा है | कर्मचारी नेता भाग्य नारायण चौधरी के दवारा अधिकारियों को भेजे गए पत्रों में लगाये गए आरोपों पर अगर नजर डाली जाए तो काफी विरोध के बाद भी जिला कृषि पदाधिकारी दीपक कुमार को वापस पंचायतों में नहीं भेज रहे है | जिला पदाधिकारी के स्तर से कारण पृच्छा, विभागीय कार्यवाही आदि सख्त आदेश/चेतावनी के बाद उनको शहर के ही एक प्रखंड बंजरिया में पदस्थापित किया गया लेकिन किसी पंचायत में नहीं भेजा गया है, यद्यपि सरकारी आदेश पंचायत में पदस्थापित करने के लिए है। फिर भी वे ज्यादातर समय जिला कृषि कार्यालय में ही नजर आते है |
विदित हो कि दीपक कुमार को 2013 में आर्थिक अपराध इकाई द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप में कारण पृच्छा की मांग की गई थी, जब जिला कृषि पदाधिकारी धर्म वीर पांडेय थे, जिनपर आर्थिक अपराध इकाई में कार्रवाई/कार्यवाही चल रही है | सुचना के अनुसार दीपक कुमार पर 2013 में ही प्रपत्र ‘क’ गठित किया गया फिर भी नतीजा सिफर रहा |
आदेशानुसार इन लोगों को पंचायत भवन में रहना है, लेकिन आरोप है कि किसान किसी भी कार्य के लिए कार्यालय में जाता है, उसे अपने पैरवी पुत्र दीपक से मिलने का आदेश दिया जाता है | और फिर शुरू होता है किसानों के शोषण का सिलसिला | ज्यादातर किसान योजनावों का लाभ लेने से बेहतर वहां से भाग खड़ा होना बेहतर समझते है |
इधर एक अन्य कृषि समन्वयक अमित कुमार तिवारी ने भी दीपक कुमार की प्रतिनियुक्ति को अवैध करार दिया और सचिव को भेजे पत्र में आरोप लगाया कि पंचायतों पदस्थापना में भी वरीयता क्रम और नियमों की धज्जियाँ उड़ाया गयी |
इधर ना तो जिला कृषि अधिकारी इस मामले में बोलने को तैयार है और ना ही कृषि समन्वयक दीपक कुमार |
क्रमशः
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