मोतिहारी सदर अस्पताल में जख्म प्रतिवेदन (Injury Report) के हेर-फेर की गन्दी कहानी
उब कर चिकित्सक मनोज कुमार सिंह ने दिया त्यागपत्र
सागर सूरज
मोतिहारी : सदर हॉस्पिटल में पदस्थापित चिकित्सक डॉ मनोज कुमार सिंह ने कथित रूप से भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे उपाधीक्षक डॉ एसएन सिंह पर कई गंभीर आरोप लगाते हुये त्यागपत्र दे दिया है |
चिकित्सक के द्वारा दिए गये त्याग पत्र एवं आवेदन में अस्पताल के वरिय अधिकारी सह चिकित्सक पर लगाये गये आरोप ना केवल अस्पताल में खेले जा रहे जख्म प्रतिवेदन और पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट के गंदे खेल को उजागर करता है बल्कि गलत कार्य करवाने हेतु कनीय चिकित्सकों को किस तरह प्रताड़ित किया जाता है, इसकी भी कहानी खुल कर सामने आई है |
जख्म प्रतिवेदन में हेर- फेर के आरोप तो इस अस्पताल पर लगातार लगते ही रहे है, लेकिन आरोपों से यह स्पष्ट हो गया कि इस खेल में उपाधीक्षक ना केवल सम्मलित है, बल्कि इनके ही नेतृत्व में कर्मचारियों की एक बड़ी टीम भी इस खेल में सम्मलित है |
आवेदन में डॉ मनोज कुमार ने कहा कि ‘मेडिको लीगल’ मामले में सम्बंधित चिकित्सक एवं सम्बंधित किरानी के अलावा किसी की भी भागीदारी नहीं होनी चाहिय | लेकिन इसको लीक करवा कर उपाधीक्षक मोटी रकम वसूल वाने का कार्य करते है | नशामुक्ति में अनुबंध पर बहाल चतुर्थवर्गीय कर्मचारी भी पुलिस से पहले जख्म प्रतिवेदन उपाधीक्षक के कहने पर जानकारी लेने आ जाता है | उपाधीक्षक के मन के अनुसार अगर नहीं किया गया तो कनीय चिकित्सकों की नौकरी खा जाने की धमकी भी देते है |
डॉ मनोज ने कहा कि गलत करके नौकरी गंवाने से बेहतर है की त्यागपत्र ही दे दिया जाए और मैंने ऐसा ही किया |
सनद रहे कि डॉ एसएन सिंह इसके अलावा भी कई तरह के आरोपों से घिरे हुये है | आरोप है कि अपनी पुत्र बधू सुनीता कुमारी को चिरैया के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से दिनांक 15/12/2022 को यह कहते हुए डॉ एस एन सिंह ने मोतिहारी सदर अस्पताल में प्रतिनियुक्त करवा दिया कि मोतिहारी सदर अस्पताल में मरीजों की संख्या में बेतहासा बढ़ोतरी हुई है |
जबकि आरोप ये है कि अपने पदस्थापना काल से ही डॉ एसएन सिंह ने खुद तीन से अधिक ऑपरेशन ओपीडी में नहीं की | अस्पताल की हालत ये है कि यह रेफरल केंद्र के रूप में आज भी कार्य कर रही है, जबकि करोड़ों रूपये सरकार के आज भी इस अस्पताल पर खर्च हो रहे है |
उपाधीक्षक खुद और पुत्र बधू भी बिना छुट्टी के नेपाल यात्रा पर चली जाती है और लौटने के बाद उपस्थिति पंजी पर हस्ताक्षर भी कर दिया जाता है, जिसके प्रमाण के रूप में उपस्थिति पंजी के ओवर राइटिंग देखा जा सकता है |
चिरैया के उक्त अस्पताल की हालत ये है कि यहाँ वर्षों से कोई महिला चिकित्सक नहीं थी, डॉ सुनीता कुमारी की पदस्थापना तो हुई लेकिन वे सदर अस्पताल में प्रतिनियुक्ति पर चली गयी | ग्रामीण हरेन्द्र यादव, मलिदवा, चिरैया ने कहा कि डॉ एसएन सिंह अपने पद का दुरुपयोग करते हुए डॉ सुनीता को सदर अस्पताल बुलवा लिया, जबकि सदर अस्पताल में पांच एमएस और आठ डीएनबी छात्र पहले से उपलब्ध है |
बताया गया कि मोतिहारी सदर अस्पताल बिहार का एकलौता ऐसा अस्पताल है जहाँ छः सर्जन की पदस्थापना होते हुये भी सर्जरी ओपीडी बंद रहती है | सर्जरी के सभी मरीज निजी क्लीनिकों पर भेज दिए जाते है |
डॉ एसएन सिंह को फोन और मैसेज के माध्यम से पक्ष लेने के लिए संपर्क किया गया लेकिन वे उपलब्ध नहीं हो सके |
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