मोतिहारी आयुर्वेदिक कॉलेज में कथित रूप से पदस्थापित प्राचार्य के विरुद्ध जिलाधिकारी ने दिया जांच का आदेश

मोतिहारी आयुर्वेदिक कॉलेज में कथित रूप से पदस्थापित प्राचार्य के विरुद्ध जिलाधिकारी ने दिया जांच का आदेश

डॉ नरेन्द्र कुमार दवारा प्राचार्य पद पर कब्ज़ा करने का आरोप

Reported By SAGAR SURAJ
Updated By RAKESH KUMAR
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जिलाधिकारी ने सिविल सर्जन के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम गठित कर आरोपों की बिंदु पर जांच करने का आदेश दिया है | प्रभारी सिविल सर्जन डॉ रणजीत कुमार राय ने जांच के आदेश की पुष्टि करते हुए कहा कि जिलाधिकारी द्वारा इस मामले में टीम बना कर जांच का आदेश मिला है | टीम जल्द ही मामले के जाँच को प्रारंभ करेगी |

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सागर सूरज

मोतिहारी : रविन्द्रनाथ मुख़र्जी आयुर्वेदिक कॉलेज मोतिहारी में कथित रूप से अवैध रूप से काबिज प्राचार्य डॉ नरेन्द्र कुमार पर लगे आरोपों की जाँच करने के जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक के आदेश के बाद अर्वेदिक कॉलेज माफियाओं की कलाई परत –दर – परत खुलने लगी है |

जिलाधिकारी ने सिविल सर्जन के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम गठित कर आरोपों की बिंदु पर जांच करने का आदेश दिया है | प्रभारी सिविल सर्जन डॉ रणजीत कुमार राय ने जांच के आदेश की पुष्टि करते हुए कहा कि जिलाधिकारी द्वारा इस मामले में टीम बना कर जांच का आदेश मिला है | टीम जल्द ही मामले के जाँच को प्रारंभ करेगी |

सनद रहे कि महाविद्यालय के छात्रों की एक टीम ने जिलाधिकारी सहित सरकार को एक आवेदन के माध्यम से तथाकथित प्राचार्य डॉ नरेन्द्र कुमार के डिग्री एवं उनपर दर्ज घोटाले की प्राथमिकी, यूनिवर्सिटी के मानकों के विरुद्ध शिक्षक होने का दावा एवं सिसिआईएम् के द्वारा शिक्षक होने से इंकार के बाद भी प्राचार्य के पद का दावा करने एवं जब्ररन प्राचार्य पद को हथियाने, महाविद्यालय की सम्पति को व्यक्तिगत इस्तेमाल करने, कोचिंग और ट्रेनिंग सेण्टर चालाने, किराया वसूलने एवं पेड़ को अवैध रूप से बेचने जैसे आरोपों को जाँच करने का मांग किया था |

आरोप है कि डॉ नरेन्द्र कुमार कामेश्वर सिंह महाविद्यालय से एक ही सत्र में बीएएम्एस और आचार्य की डिग्री ली थी, जो यह प्रमाणित करती है कि इन डिग्रियों में या तो दोनों फर्जी है या कोई एक | महाविद्यालय में शिक्षक होने के लिए यूनिवर्सिटी एवं सिसिआईएम् का जो मानक है, उसपर भी डॉ नरेन्द्र खरे नहीं उतरते यही कारण है की लिखित रूप से सिसिआईएम् इनको शिक्षक तक मनाने से इनकार कर दिया, यानि जो शिक्षक भी कानूनी तरीके से नहीं है वो प्राचार्य का पद पर कब्ज़ा किये हुआ है |

यही नहीं फर्जी हस्ताक्षर, राशि की निकासी एवं अन्य जालसाजी जैसे आरोपों में अध्यक्ष हरिशंकर सिंह ने 25 नवम्बर, 2021 को डॉ नरेन्द्र कुमार को सभी पदों से टर्मिनेट भी कर दिया बावजूद इसके वे अवैध रूप से इस पद पर बने हुए है | 16 जून, 2015 को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक कमेटी बन गयी, लेकिन महाविद्यालय के प्राचार्य बोर्ड पर डॉ नरेन्द्र कुमार फर्जी रूप से 16 जून, 2015 से ही खुद को प्राचार्य लिख कर लोगों एवं छात्रों को भ्रमित कर रहे है | और छात्रों से अवैध उगाही एवं परिसर में अवैध कार्यों को अंजाम दे रहे है |

न्यास में 2018 में गवाह के रूप में हस्ताक्षर, शपथ पत्र में शिक्षक प्रतिनिधि, अध्यक्ष द्वारा 2020 में डॉ राजेंद्र प्रसाद की प्राचार्य के रूप में नियुक्ति, अटेंडेंस रजिस्टर में डॉ नरेन्द्र का 2020 में उप प्राचार्य के रूप में हस्ताक्षर, उप प्राचार्य के रूप में नेम प्लेट, 2021 में चुनाव के समय रीडर अनुमंडल पदाधिकारी दवारा एक आरोप की जाँच के क्रम में इनका निष्कासन, महाविद्यालय प्रबंधक दवारा डॉ नरेन्द्र के विरुद्ध प्राथमिकी जैसे आरोपों को नजर अंदाज़ करते हुए डॉ नरेन्द्र कुमार उप विकास आयुक्त के एक आदेश के आधार पर खुद को प्राचार्य घोषित कर दिए है | डॉ नरेन्द्र कुमार का पक्ष कतिपय कारणों से नहीं लिया जा सका, परन्तु आवेदन में बर्णित सभी आरोपों की गहन जाँच के बाद ही मामले की सच्चाई सामने आ सकती है |

 
 
 

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