(भाग 2) खेलो इंडिया खेलो : प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना की राशी का हो गया बंदरबांट

(भाग 2) खेलो इंडिया खेलो : प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना की राशी का हो गया बंदरबांट

Reported By SAGAR SURAJ
Updated By RAKESH KUMAR
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आरोपों पर अगर भरोसा करें तो इस गंदे खेल में जिले के सभी 27 प्रखंडों के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी सहित समग्र शिक्षा अभियान के चन्द अधिकारी, कर्मचारी एवं डाटा ऑपरेटर संलग्न बताये जाते है | विभाग के द्वारा स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के आईडी और पासवर्ड ले कर जबरन खुद से ‘पीएफएमएस’ जारी किया गया और प्रधानाध्यापकों को 25% कमीशन के आश्वासनों के बाद बिल पर हस्ताक्षर करवा कर इन्ही कर्मचारियों के घरों से खेल किट प्रधानाध्यापकों को ले जाने को मजबूर किया गया |

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सागर सूरज

मोतिहारी : प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना खेलो इंडिया खेलो पूर्वी चंपारण में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई | खबरों पर अगर भरोसा करे तो जिले के सरकारी स्कूलों में तक़रीबन 2.5 करोड़ की राशी आवंटित की गयी थी, ताकि छात्रों के बीच खेल समग्री उपलब्ध करवाई जा सके, परन्तु शिक्षा विभाग में सक्रीय माफियाओं ने प्रधानाध्यापकों को सामग्री खरीदने के अधिकारों से बंचित करते हुए घटिया किस्म की खेल सामग्रियों को स्कूलों को उपलब्ध करवा कर तक़रीबन 1 करोड़ से ऊपर की राशी की बंदरबांट कर ली गयी |

आरोपों पर अगर भरोसा करें तो इस गंदे खेल में जिले के सभी 27 प्रखंडों के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी सहित समग्र शिक्षा अभियान के चन्द अधिकारी, कर्मचारी एवं डाटा ऑपरेटर संलग्न बताये जाते है | विभाग के द्वारा स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के आईडी और पासवर्ड ले कर जबरन खुद से ‘पीएफएमएस’ जारी किया गया और प्रधानाध्यापकों को 25% कमीशन के आश्वासनों के बाद बिल पर हस्ताक्षर करवा कर इन्ही कर्मचारियों के घरों से खेल किट प्रधानाध्यापकों को ले जाने को मजबूर किया गया |

आरोपों पर अगर भरोषा करे तो इस खेल में समग्र शिक्षा अभियान कार्यालय का एक डाटा ऑपरेटर दिवेश कुमार, असिस्टेंट अकाउंटेंट सुबोध कुमार और शकील की भूमिका महत्वपूर्ण है | जहाँ प्रधानाध्यापक और उसकी कमिटी सामग्रियों की खरीदारी गुणवता के आधार पर करती वही ये लोग खुद से जुड़ी हुयी दूकान के नाम बिल बना कर बहुत ही कम की राशी की घटिया खेल सामग्री उपलब्ध करवा दी और बाकि रूपये का वारा-न्यारा कर दिया गया |

विभाग के बड़े अधिकारयों के मिलीभगत के कारण ज्यादातर प्रधानाध्यापक विभाग के 25% वाला ऑफर को स्वीकार करने में ही अपनी भलाई समझा और उक्त ‘घटिया खेलो किट’ को  स्वीकार कर लिया |

सबसे बड़ी बात यह कि खेल किट भी इन्ही कर्मियों के घरों से वितरित की गयी | जहाँ बीआरसी के डाटा ऑपरेटर और प्रखंड कार्यालय कर्मियों  के लोगों ने अपने घरों से ये किट वितरित किया वही समग्र शिक्षा अभियान के ये कर्मी पुरे जिले के स्कूलों में इन कीटों को वितरित करवाने का कार्य किया | सुचना के अनुसार पुरे मामले में बलि का बकरा स्कूलों के प्रधानाध्यापक बने और बाद में उपयोगिता के रूप में उनसे वसूली भी की जाएगी |

सनद रहे कि मोतिहारी बीआरसी में चंद्रशेखर नमक एक शिक्षक, डाटा ऑपरेटर एवं अधिकारी द्वारा इस गंदे खेल को खेला गया | बताया गया कि इस योजना अंतर्गत प्राथमिक विद्यालयों में 5000, मध्य विद्यालयों में 10,000 और उच्च विद्यालयों में 15,000 की राशि आवंटित की गयी थी और विद्यालयों की एक समिति उसकी खरीदारी करती, लेकिन इस योजना को आरोपों के अनुसार अपहरण कर लिया गया और शिक्षा विभाग के पैरवी पुत्रों के हवाले कर दिया गया |

बॉर्डर न्यूज़ मिरर ने तक़रीबन 10 प्रधानाधयापकों से बात की तो सभी ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि अगर जिला पदाधिकारी उच्च स्तरीय जाँच करवाए और टीम स्कूलों में जाकर शिक्षा विभाग के लोगों से हट कर ब्यान ले तो सारी बाते खुल कर सामने आ जाएगी | 5000 के बदले 2000 के कीमत की भी सामग्री नहीं उपलब्ध करवायी गयी |

आरोपों पर अगर भरोसा करे तो दिवेश कुमार एवं अन्य अपने परिवार के अलग-अलग नामों से कई फॉर्म को स्थापित करके वर्षों से स्कूलों को सभी तरह की सामग्रियों को उपलब्ध करवाता रहा है, परन्तु विभाग के वरीय अधिकारियों के आदेश के बाद भी दिवेश के विरुद्ध कई जाँच विभागीय लाल फीताशाही का शिकार हो गया है | मामले में कई आवेदन भी मंत्रालय में भेजा गया है |

मामले में पक्ष लेने के लिए सम्बन्धित डीपीओ हेमचन्द्र प्रसाद को जब फोन किया गया तो वे फोन पर उपलब्ध नहीं हो सके |

 

 

 

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