#MNREGA SCAM in Dhaka: ढाका मनरेगा में भारी घोटाला, मास्टर रोल में अंकित लेबर एवं एनएमएमएस पर अपलोड की गई तस्वीर की पहचान से खुली पोल
अपलोड की गई तस्वीर में स्पष्ट दिख रहा है कि 5 या 7 मजदूर ही कार्य कर रहे
बीएनएम संवाददाता
मोतिहारी : ढाका के बरहरवा सिवान एवं बरहरवा लखन सेन पंचायत में कार्यरत पंचायत रोजगार सेवक अरविंद कुमार और पंचायत प्रतिनिधियों से मिलकर कथित रूप से मनरेगा मे किए गए राशि का वारा-न्यारा की खबरों के बाद प्रशासनिक अधिकारियों की संदेहास्पद चुप्पी अब सवालों में है।
आरोप है कि रोजगार सेवक एवं स्थानिय प्रतिनिधियों और अधिकारियों की मिलीभगत से मनरेगा को लेकर सरकार के सारे नियमों की धज्जियों उड़ाते हुए कागजी घोड़े को दौड़ा-दौड़ा कर खूब लूट मचाई है। आरोप है कि उनके इस कुकृत्य मे स्थानीय मुखिया सहित कार्यक्रम पदाधिकारी स्तर के लोग भी शामिल है और ऐसा सिर्फ उक्त पंचायत मे ही नहीं हुआ है बल्कि ढाका क्षेत्र के सभी पंचायतों से इसी तरह की खबर आ रही है। कार्यों मे नियमालियों की अनदेखा तो की ही गई साथ ही सारे नियमों को ताख पर रख दिया गया है।
आरोपों को अगर सही माने तो मनरेगा कार्यक्रम पदाधिकारी शाहिद अली उक्त पंचायत के मुखिया, पंचायत समिति सदस्य एवं पंचायत में कार्यरत पंचायत रोजगार सेवक अरविंद कुमार के कथित मिलीभगत से सरकार के करोड़़ों रुपया का वारा -न्यारा करने में जुटे हुए हैं।
बताया गया कि मनरेगा में एनएमएमएस एप पर मनरेगा में जिस भी योजना पर काम हो रहा होता है, उसकी लाइव अटेंडेंस भेजनी होती है, जिसके लिए मजदूर का काम करते हुए फोटो अपलोड किया जाता है। बरहरवा सिवान पंचायत में एनएमएमएस पर जो फोटो अपलोड की गई है इसमें सीधे फोटो खींचकर अपलोड कर दी गई है।
कागजों मे तो इन योजनाओं पर 70, 80 या 50 लेबर लगाया गया है, लेकिन एनएमएमएस पर अपलोड की गई तस्वीर में स्पष्ट दिख रहा है कि 5 या 7 मजदूर ही कार्य कर रहे है। (बीएनएम के पास तस्वीर उपलब्ध) ।
यही नहीं एक ही तस्वीर सभी मास्टर रोल पर अपलोड की गई है। और जो तस्वीर अपलोड की गई है वह भी फर्जी तरीके से की गई है, तस्वीर मोबाइल से ही पुरानी तस्वीर खींचकर एनएमएमएस पर अपलोड की गई है। एक ही तस्वीर को सभी मास्टर रोल पर अपलोड की गई है, जहां सरकार की नियमावली के अनुसार 80 लेबर लगाए जाने थे, वहां महज पांच लेबर से ही 80 लेबर के अटेंडेंस बनाकर संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत से पैसे के उठाव कर बंदरबांट कर लिया जाता है।
मामले मे अगर उच्च स्तरीय जांच हुई तो मनरेगा योजना में की गई लूट की पोल खुल जाएगी। अब देखना यह है कि ऐसे भ्रष्ट जनप्रतिनिधि एवं पदाधिकारियों पर सरकार कार्रवाई कर पाती है या नहीं। इधर कारवाई मे देरी को लेकर जिले के अधिकारियों पर भी सवाल उठाए जा जा रहे है।
गौरतलब है कि मनरेगा अर्थात महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अधिनियम इस योजना के अंतर्गत मजदूरों को 100 दिनों का रोजगार मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है। अगर योजनाओं मे डेढ़ फिट माटी काटनी है तो एक फिट काट कर, मजदूर की जगह जेसीबी का इस्तेमाल के आरोप तो इन पंचायतों मे आम है। मनरेगा योजना के तहत गरीब मजदूर तबके के लोगों को नियमित काम नहीं मिलने के कारण उनका पलायन बढ़ रहा है। रोज चौक चौराहा पर ग्रामीण क्षेत्रों से आकर मजदूर काम की तलाश में लगे रहते हैं। दूसरी और मनरेगा में जेसीबी मशीन के सहारे काम को पूरा कराया जा रहा है। जिस कारण मजदूर को परेशानी होती है। इतना ही नहीं पंचायत के मुखिया के सहयोग से पंचायत रोजगार सेवक के द्वारा वैसे लेबर का नाम दिया जाता है, जो घर से कभी निकलते ही नहीं या बाहर रहते हैं। खाते में पैसे डालने के बाद 5 परसेंट कमीशन देकर पैसे की निकासी कर लेते हैं। मास्टर रोल में अंकित लेबर की सूची की जांच एवं एनएमएमएस पर अपलोड की गई तस्वीर की पहचान कराई जाए तो इसकी पोल खुल खुल सकती है। ढाका मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी का पक्ष लेने के लिए की बार- बार फोन किया गया, लेकिन फोन पिक-अप नहीं हुआ।
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