मिजोरम में पाई गई उड़ने वाली छिपकली, इसकी खूबिया जानकर आप भी हो जाएँगे अचंभित
शोधकर्ताओं ने इसे गेको मिजोरमेनसिस नाम दिया है

वैज्ञानिकों ने मिजोरम में उड़ने वाली छिपकली की एक नई प्रजाति का पता लगाया है । यह छिपकली मिजोरम में पाई गई है, इसलिए इसका नाम राज्य के नाम पर 'मिजोरम पैराशूट गेको' या 'गेको मिज़ोरामेंसिस' रखा गया है। हालांकि, नई प्रजातियों का एक नमूना 20 साल से अधिक समय पहले एकत्र किया गया था, लेकिन इसके रिश्तेदारों के बीच अंतर का अब मूल्यांकन किया गया है।
संबंधित रपट पत्रिका 'सलामंद्रा' में प्रकाशित हुई है जिसका सह-लेखन शोध के छात्र जीशान मिर्जा ने किया है। मिर्जा ने एक बयान में कहा कि अतीत में अधिकतर खोजों में पक्षियों और स्तनधारियों जैसे करिश्माई जीवों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिससे सरीसृप प्रजातियों की खोज नहीं हुई है। इस क्षेत्र के मेरे अपने सर्वेक्षणों ने कई नयी प्रजातियों का खुलासा किया है, जिसमें सालाज़ार का पिट वाइपर भी शामिल है, जिसका नाम बच्चों की पसंदीदा फंतासी उपन्यास श्रृंखला हैरी पाटर के एक पात्र के नाम पर रखा गया है।
उन्होंने कहा कि घने जंगलों के कारण पूर्वोत्तर भारत के वन्यजीव उतने प्रसिद्ध नहीं हैं जितने कि हो सकते हैं। हालांकि हाल के घटनाक्रम ने पहुंच को खोल दिया है। माना जाता है कि गेकोस ( छिपकलियां) जल्द से जल्द विकसित होने वाले 'स्क्वामेट्स' समूह में से एक हैं। इस समूह में सभी छिपकलियां, सांप और उनके करीबी रिश्तेदार शामिल हैं, जिनके पूर्वज सैकड़ों-लाखों साल पहले जीवाश्म दस्तावेजों में पहली बार दिखाई दिए थे। शुरुआती 'गेकोस' ने 10 करोड़ साल पहले ही अपनी कुछ प्रमुख विशेषताओं को विकसित कर लिया था ।
वैज्ञानिकों ने कहा कि अन्य अनुकूलन, जैसे शिकारियों को विचलित करने या अंधेरे में अच्छी तरह से देखने के लिए अपनी पूंछ को छोड़ने जैसी विशिष्टताओं ने उन्हें सबसे सफल छिपकली समूहों में से एक बनने में मदद की है।
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