बिगनी मलाहीन : दिल के अरमा आंसू बनकर मोतीझील मे बह गए ....

बिगनी मलाहीन : दिल के अरमा आंसू बनकर मोतीझील मे बह गए ....

Reported By SAGAR SURAJ
Updated By SAGAR SURAJ
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 कहती है साहब तीस साल से सीने पर चक्की पीस रहे है, तो फिर नौ साल का ही क्यूँ | छह बार सांसद रहे चीनी मिल, आयुर्वेदिक कॉलेज तो चबा ही गए अब फिर मोदी की पुंछ पकड़ कर बयतरिणी पार करेंगे क्या ? | मंत्री रविशंकर प्रसाद के समय एक एफएम का भी शिलान्यास किए थे शील मिट्ठी के साथ मिल गया, लेकिन रेडियो स्टेशन नजर नहीं आया |  

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सागर सूरज

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मोतिहारी : एक तो सूर्य की तपिश ऊपर से 2024 चुनाव को लेकर नेताओं द्वारा फैलाए जा रहे रायता दोनों ने ही बिगनी मलाहीन को थोड़ा चिड़चिड़ा बना दिया है | उम्र भी ऐसी नहीं रही की अपने बृधा पेंशन के लिए प्रखण्ड कार्यालय का चक्कर लगाती रहे | मोदी सरकार के नौ साल के उपलब्धियों पर साहब के जवाब पर तो बिगनी गुस्से से तम-तमा जाती है |

 कहती है साहब तीस साल से सीने पर चक्की पीस रहे है, तो फिर नौ साल का ही क्यूँ | छह बार सांसद रहे चीनी मिल, आयुर्वेदिक कॉलेज तो चबा ही गए अब फिर मोदी की पुंछ पकड़ कर बयतरिणी पार करेंगे क्या ? | मंत्री रविशंकर प्रसाद के समय एक एफएम का भी शिलान्यास किए थे शील मिट्ठी के साथ मिल गया, लेकिन रेडियो स्टेशन नजर नहीं आया |  

बिगनी के गुस्से का कारण बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी द्वारा साहब को मोतिहारी से सांसद प्रत्याशी के रूप मे नाम की घोषणा है | ई छोटका मोदी तो हदे कर दिया.. | ना राष्ट्रीय अध्यक्ष, ना ही संसदीय बोर्ड के चेयरमैन.. ना ही चुनाव समिति का चेयरमैन और ना ही बिहार बीजेपी का चेयरमैंन | फेर कौन हैसियत से साहबे लड़ेंगे बोल दिया पत्रकार जी ? |  बिगनी को जब कोई जवाब नहीं मिला तो अपना बीड़ी सुलगाई और जोर- जोर से कश लेने लगी |

बिगनी पूर्वी चंपारण के 80 लाख लोगों की एक प्रतीकात्मक चेहरा है, जो व्यवस्था से अजीज है ऊपर से नेताओं के द्वारा दिखाए जा रहे इंद्रधनुषी सपने | उस मरीज की तरह जो एक ही बीमारी का लंबे समय से इलाज करवाते -करवाते खुद उस बीमारी का डॉक्टर होने का भ्रम पाल लेती है |

काम पढ़ी लिखी होने के बावजूद बिगनी राजनीति पर सूक्ष्म नजर रखती है | कहती है..छोटका मोदी त बम पटक दिया, लेकिन इसमे सबसे ज्यादा जखमी मोतिहारी विधायक सह पूर्व मंत्री प्रमोद कुमार और कल्याणपुर के पूर्व विधायक सचिन्द्र प्रसाद सिंह हुए और भी लोग हुए लेकिन उनके जख्म थोड़े कम है | पिछला चुनाव मे साहब अंतिम चुनाव कह कर सीट तो निकाल लिए लेकिन साहब सुशील मोदी से बयान दिलवा कर सबका भ्रम तोड़ दिए |

इस वेवफ़ाई से मोतिहारी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने के सपने सजोने वाले सभी लोग आहत है, लेकिन बोलने की  हिम्मत नहीं है | एक तो साहब की “यस मैंन” की छवि प्रभावित होगी, दूसरी अगर साहब नाराज हो गए तो विधायिकी भी जाएगी | इनकी हालत पर एक शेर अर्ज है “झूठी हंसी से जख्म और बढ़ता गया, इससे बेहतर था खुल कर रो लिए होते” |

कल्याणपुर वाले पूर्व विधायक जी का विरोधी भूमिहारों को जवाब देने के लिए साहब ने खूब इस्तेमाल किया | विधायक जी खुद भूमिहार जाति से आते है | कांग्रेस नेता अखिलेश प्रसाद सिंह हो या अन्य कोई उनको जवाब दिलवाने का अस्त्र यही विधायक जी रहे है | यही कारण था कि विधायक जी को पूरा भरोसा था कि साहब उनको ही प्रत्याशी बनाएंगे |

इधर मोतिहारी के विधायक जी को बैशय होने का गुमान और पाँच बार मोतिहारी से एक सफल विधायक होने का भ्रम दोनों था | उनको लगता था मेरे अलावा दूसरा कोई साहब का पसंद हो ही नहीं सकता | लेकिन “लेकिन दिल के अर्मा आँशु बनकर मोतीझील मे बह गए” | साहब तो तीस साल से मोतीझील के विकास, फ्लोटिंग रेसटूरेंट, किनारे पर ड्राइविंग, रेगुलर मोटरबोट जैसे वादे करते दिखे लेकिन इस मोतीझील को दुधारू गए की तरह इस्तेमाल ही किया गया | पूर्व डीएम शीर्षात कपिल अशोक ने एक फाउन्टन लगा कर और कुछ अतिक्रमण हटा कुछ बेहतर प्रयास किया था | इधर बिगनी की बीड़ी खत्म -उधर बातें खत्म | रह गई बिगनी की कुछ अनुतरित सवाल ...              

 

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