#bewafa chai wala: पत्नी ने छोड़ा तो बन गया 'बेवफा चायवाला': बेवफा के आंसू... ब्रेकअप चाय जैसी 20 वैरायटी
सबसे महंगी 'बेवफा का दर्द', कीमत- 250 रुपए

बेवफा का दर्द.... बेवफा के आंसू.... ब्रेकअप वाली.... घर वाली...। ये किसी दर्दभरी मूवी में हीरो को हिरोइन से मिली बेवफाई के डायलॉग नहीं । ये चाय के नाम हैं।
दरअसल, कोचिंग सिटी कोटा में यूथ के बीच पॉपुलर चाय की इस टी-स्टॉल का नाम ही दर्दभरा है। बेवफा चाय वाला। यहां चाय भी दर्दभरे नामों से ही बिकती है।
एमपी के रहने वाले दीपक ने पत्नी से जुदाई के गम में कोटा आकर 'बेवफा चाय' की स्टॉल लगाई थी। उस पर ऐसे स्लोगन लिखे जो यहां आने वाले ग्रहकों के दिल को छू गए। यहां आने वाले लोगों ने इसे टूटे दिल वालों का अस्पताल कहना शुरू किया तो अगले दिन यही स्टॉल का स्लोगन बन गया। आज यह नाम शहर में ब्रांड बन गया है। कई वीआईपी भी यहां चाय पीने आते हैं।
इसकी शुरुआत एक स्टॉल से हुई, लेकिन आज कोटा शहर में चार प्राइम जगहों पर बेवफा चाय वाला की स्टॉल हैं। चाय की स्टॉल से दीपक का सालाना टर्न ओवर लाखों रुपए है। टारगेट है इसे करोड़ों रुपए तक पहुंचाना।
बेवफा नाम से आपको कई शहरों में चायवाले-पकोड़ीवाले मिल जाएंगे, लेकिन आज राजस्थानी जायका की इस कड़ी में असली बेवफा चाय वाले से मिलवाते हैं... आपको चाय के जायका के बारे में भी बताएंगे साथ ही इसके ब्रांड बनने और बेवफाई वाली असली कहानी से भी रूबरू करवाएंगे.....
रोचक कहानी : वेटर से मालिक बनने तक का सफर

हम जवाहर नगर बाजार स्थित बेवफा चाय वाला टी-स्टाल पर पहुंचे। कोचिंग एरिया होने के चलते यहां हरदम स्टूडेंट्स की भीड़ रहती है।
'किसी के जाने से जिंदगी खत्म नहीं होती' बस जीने का तरीका बदल जाता है'
27 साल के दीपक ने कुछ इस तरह की शायरी से अपनी बात शुरू की। बताया कि उन्होंने होटल मैनेजमेंट का डिप्लोमा किया। वर्ष 2012 में पंजाब के बठिंडा के एक होटल में वेटर की नौकरी की। इस दौरान उन्हें प्यार हो गया। दोनों के परिजनों की सहमति से अरेंज मैरिज की।
परिवार से दूर रहने के कारण भटिंडा छोड़कर दिल्ली आ गए। साल 2014 में दिल्ली के क्लब में सुपरवाइजर बने, फिर प्रमोशन से मैनेजर बने। नौकरी के कारण शादीशुदा जिंदगी में सुकून नहीं मिला। साल 2016-17 में इंदौर में कैफे लगाया। वहां भी संतुष्टि नहीं मिली तो वापस दिल्ली जाकर नौकरी की।
पत्नी ने साथ छोड़ा, लॉकडाउन ने तोड़ा... पर संघर्ष नहीं छोड़ा
साल 2019 में पारिवारिक परिस्थिति के कारण पत्नी अलग रहने लगी। पत्नी की जुदाई से ही जिंदगी की राह बदल गई। जिससे ज्यादा मोहब्बत की वहीं पत्नी बच्चे को लेकर अलग रहने लगी। दीपक को अपनी पत्नी का यही गम सालता था। अपना मन लगाने के लिए नई शुरुआत के बारे में सोचा।
कोटा से नई शुरू की नई पारी, मिला गमवालों का साथ
साल 2020 के नवंबर में दीपक कोटा आए । चाय की स्टॉल के लिए जगह ढूढ़ना शुरू किया। साल 2021 में शुरुआत में डेढ़ लाख का इन्वेस्ट कर लैंडमार्क सिटी इलाके में 'बेवफा चाय की स्टॉल शुरू की। स्टॉल का ये नाम भी अपने जीवन की रियल घटना से जुड़ा हुआ था। धीरे-धीरे सफलता मिलती गई। जनवरी 2023 में जवाहर नगर व फरवरी में कोरल पार्क इलाके में स्टॉल खोली । आज चार ब्रांच हैं।
दीपक अपनी चाय की स्टॉल को टूटे दिल का अस्पताल बताते हैं। उन्होंने अपनी स्टॉल का स्लोगन भी इसे ही बनाया है। इसका आइडिया ग्राहकों से ही मिला। अपनी टी-स्टॉल के बाहर चेतावनी भरा स्लोगन लिखवा रखा है 'धोखेबाजों का यहां आना सख्त मना है।
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