#चमत्कार: किसान के घर में उड़ी जनसैलाब, गाय ने दिया दो सिर और छः पैर वाले बछड़े की जन्म,  चमत्कार मानकर हुई पूजा-पाठ

#चमत्कार: किसान के घर में उड़ी जनसैलाब, गाय ने दिया दो सिर और छः पैर वाले बछड़े की जन्म, चमत्कार मानकर हुई पूजा-पाठ

मृत बछड़े की भी पूजा की गई, बछड़े का दर्शन नहीं होने पर अफसोस जताते रहे

Reported By BORDER NEWS MIRROR
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बिहार के जमुई से एक बहुत ही अद्भुत खबर आ रही है जहा एक किसान के घर में एक गाय ने दो सिर एवं 6 पैर वाले बछड़े को जन्म दिया। इस खबर को सुनते ही दूर दूर से चमत्कारी बछड़े को देखने के लिए किसान के घर में जनसैलाबो का भरमार लग गया।

OMG: बिहार के जमुई से एक बहुत ही अद्भुत  खबर आ रही है जहा एक किसान के घर में एक गाय ने दो सिर एवं 6 पैर वाले बछड़े को जन्म दिया। इस खबर को सुनते ही दूर दूर से चमत्कारी बछड़े को देखने के लिए किसान के घर में जनसैलाबो  का भरमार लग गया। ग्रामीणों ने इसे भगवान का चमत्कार मानकर  बछड़े की पूजा पाठ की तो पशुपालक किसान को बधाइयां दीं। हालांकि दुःख की बात यह है की गाय का बच्चा ज्यादा देर जिंदा नहीं रहा।

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यह अद्भुत मामला जमुई जिले चकाई प्रखंड के पेटारपहाड़ी पंचायत अंतर्गत कोलडीहा गांव की बताई जा रही है। जैसे ही दो सिर और छः  पैर वाला यहां बच्चा दुनिया में आया कि चारों और शोर मच गया। ग्रामीण एक दूसरे को यह बात बताने लगे और इसकी चर्चा आग की तरह फ़ैल गई। मौके पर पहुंचे लोग कहने लगे कि सावन महीने में यह देवो के देव भगवान महादेव का ही  चमत्कार  हो सकता है। भगवान खुद इस बच्चे के रूप में पधारे हैं। 

इसी के साथ बछड़े के पास अगरबत्ती जला दी गई और वहां पहुंचे लोग पूजा पाठ करने लगे। धीरे-धीरे चमत्कारी बच्चें को देखने के लिये लोगों का तांता लग गया। जो भी आता वह बछड़े को चढ़ावा जरूर चढ़ाता और अगरबत्ती दिखाकर पूजा करता ।

हालांकि बच्चे को ज्यादा देर नहीं बचाया जा सका। जन्म के 8 घंटे तक वह जिंदा रहा। उसके बाद उसकी मौत हो गई। बच्चे के मरने के बाद भी दूरदराज से लोग वहां आते रहे और मृत बछड़े की भी पूजा की गई। अजीबो गरीब बच्चे को देखने के लिए दूसरे जिलों के लोग भी पहुंच गए। बछड़े का दर्शन नहीं होने पर अफसोस जताते रहे।

बछड़े की मौत को लेकर कई तरह की बातें ग्रामीणों के द्वारा कहीं जाने लगी उसके बाद ग्रामीणों के सहयोग से किसान ने उसे दफन कर दिया। लेकिन अभी भी यह घटना जमुई जिले में चर्चा के केंद्र बना हुआ है। जिन्हें बच्चे के मौत की जानकारी नहीं है। वे अभी भी कोलडीहा गांव पहुंच रहे हैं और बछड़े के नहीं रहने पर गाय को प्रणाम कर आशीर्वाद ले रहे हैं।

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