
हरसिद्धि मामले में अरेराज डीएसपी भी सवालों में, 30 घंटे तक थाने में बंद रखा पुरुषों के साथ अकेली महिला को
सागर सूरज

मोतिहारी : हरसिद्धि थाना के एक रूम मे तकरीबन 30 घंटे से ऊपर एक महिला को पुरुषों के साथ रखने के बाद विडिओ वायरल होने पर एक झूठा मुकदमा दर्ज कर महिला को जेल भेजने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है |
मामले में महिला के पति उपेन्द्र सिंह ने मुख्यमंत्री सहित महिला आयोग एवं अन्य को आवेदन भेज कर पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाई है | वही रिमांड के वक्त मोतिहारी कोर्ट में न्यायाधीश ने भी महिला के आरोपों को रिकॉर्ड किया है |
मामले में थानाध्यक्ष के बचाव में अरेराज आरक्षी उपाधीक्षक खुलेआम रूप से मीडिया के सामने आकर बेतुका सवाल करने लगे है | आरक्षी उपाधीक्षक रंजन कुमार का सवाल सीधे ‘बीएनएम’ से है कि महिला का जो वीडियो वायरल हो रहा है, वह जगह हरसिद्धि थाने के ‘हाजत’ का नहीं है | ‘बीनएम’ बताए विडिओ कहाँ की है |
जबकि वीडियो का अवलोकन करने एवं कमरे को देखने से ज्ञात हुआ कि महिला एवं अन्य को जिस कमरे मे रखा गया था, वह हरसिद्धि थाने के चौकीदार के कमरे के बगल का एक कमरा है, जिसका इस्तेमाल थानाध्यक्ष महेंद्र कुमार लंबे समय से हाजत के रूप में ही कर रहे है | लेकिन दुर्भाग्य से डीएसपी साहब को यह कमरा अभी तक नहीं मिला |
अगर थानाध्यक्ष गिरफ्तार लोगों सहित महिला को उक्त कमरे से हटा कर रात्री मे भी हाजत मे रखे है, तो हाजत के सामने लगे सीसीटीवी कैमरे मे दिखाए महिला को गिरफ्तार करके उन्होंने हाजत मे रखा या कहाँ रखा | वैसे पुलिस को खुद बतानी चाहिए गिरफ़्तारी के बाद महिला को हाजत मे नहीं रखकर अन्य पुरुषों के साथ बगल के कमरे मे 30 तक घंटे क्यों रखा गया |
पुलिस ने बताई की महिला की गिरफ़्तारी दिनांक 10,09,23 को 10 बजे की गई थी, जबकि 11,09,23 को शाम 5 बजे के बाद महिला को कोर्ट मे रिमांड किया गया यानि की कुल 30 घनटे तक महिला को अवैध रूप बंद रखा गया |
आरक्षी उपाधीक्षक रंजन कुमार अगर सही मायने में जांच करे तो यह इलीगल कॉनफिनेमेंट का मामला भी बनता है, लेकिन जिस तरीके से आरक्षी उपाधीक्षक थाना प्रभारी का बचाव कर रहे है, उससे रीमा देवी को न्याय मिलता नहीं दिख रहा है | रीमा देवी के पति ने एसपी कानतेश कुमार से मांग की है कि मामले की पूरी जांच सहायक एसपी श्री राजू से करवाए | एक आईपीएस से ही न्याय की उम्मीद है |
“बीनएम” ने अपने खबरों मे कहीं भी ‘हाजत’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है | ऐसे मे जब उक्त कमरे को ही थानाध्यक्ष हाजत के रूप मे इस्तेमाल कर रहे है तो फिर उसमे बाकी लोग क्या कर सकता है |
सवाल ये है कि सारी रात और दिन एक महिला को किस परिस्थिति मे एक कमरे मे पुरुषों के साथ रखा गया | अन्य कमरे को जहां कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं है, उसमे गिरफ्तार लोगों को रखने का आदेश क्या वरीय अधिकारियों से लिया गया था, अगर नहीं तो क्या यह नहीं मानी जाए गिरफ्तार लोगों से सीसीटीवी कैमरे से बच कर वसूली करना और कुछ लोगों को जेल भेज देना कारण रहा होगा |
सनद रहे कि विडिओ वायरल होने के बाद मोतिहारी एसपी ने संज्ञान लिया और अरेराज डीएसपी को हरसिद्धि भेजा, लेकिन अगर रीना देवी के पति के आरोपों पर भरोसा करें तो डीएसपी साहब ने न केवल बिना उचित जांच के थाना प्रभारी को क्लीन चीट देते हुए एसपी साहब को गलत सूचना दे डाली बल्कि महिला पर “हरिजन ऐक्ट” सहित पुलिस पर हमला जैसे प्राथमिकी दर्ज करवाने में भी सहयोगी रहे |
खबर है कि उसी भूमि को लेकर थाना प्रभारी ने पूर्व मे भी मारपीट के मामले मे महिला को जेल भेज दिया था जबकि घटना मे ना तो हेड इनजूरी थी और ना ही कोई ग्रीविऑस इंजूरी दी गई थी | आरोप है कि भू-माफियओं के प्रभाव मे थानाध्यक्ष बार बार महिला को जेल भेज रहे है ताकि महिला माफियाओं से समझौता कर ले |
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