हरसिद्धि मामले मे चीफ जस्टिस लेंगे संज्ञान ? एसपी ने भी जांच टीम गठित की

हरसिद्धि मामले मे चीफ जस्टिस लेंगे संज्ञान ? एसपी ने भी जांच टीम गठित की

कहा मामला गंभीर किस्म का है दोषियों पर होगी कार्रवाई   

Reported By SAGAR SURAJ
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सागर सूरज

मोतिहारी : हरसिद्धि पुलिस के द्वारा कथित रूप से एक महिला को पुरुषों के साथ 30 घंटे तक एक कमरे मे बंद रखने के आरोपों और इससे संबंधित वायरल वीडियो को लेकर ‘बॉर्डर न्यूज मिरर’ के खबर का बड़ा असर हुआ है |

जिले के संवेदनशील पुलिस अधीक्षक काँतेश मिश्रा ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पूरे मामले को जांच करने का आदेश दिया है, वही बिहार के मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय से प्राप्त सूचना के अनुसार हाई कोर्ट इस मामले मे सो-मोटों संज्ञान लेने की तैयारी मे है |

उल्लेखनीय है कि पीड़ित परिजनों के अलवा समाजसेवी प्रभात कुमार ने पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के अलावा, राष्ट्रीय महिला आयोग एवं मानवधिकार आयोग दिल्ली को भी मेल और स्पीड पोस्ट से पत्र लिख कर गुहार लगाई थी |

एसपी ने यह स्पष्ट नहीं क्या कि जांच मे कौन अधिकारी शामिल है, लेकिन जांच की बात को स्वीकार किया है वही पटना हाई कोर्ट की खबर है की चीफ जस्टिस मामले मे संज्ञान ले सकते है |      

जांच और कार्रवाई की सूचना के बाद पुलिस महकमे मे हड़कंप मचा हुआ है वही हरसिद्धि थानाध्यक्ष लगातार खुद को बचाने को लेकर दलील पर दलील दे रहे है ताकि महिला एवं उनके परिजनों को झुठलाया जा सके |

खबर थी कि बैरिया पंचायत के एक गाँव की एक महिला को एक जमीनी विवाद मे बार -बार जेल भेजा जा रहा है और गत रविवार को हद तब हो गई जब उक्त महिला को थाने के महिला हाजत मे ना रख कर दूसरे मुकदमे मे गिरफ्तार आधा दर्जन पुरुषों के साथ अलग कमरे मे रात भर और दिन भर रखा गया गया |

फिर क्या था मामला तूल पकड़ने लगा और थाना प्रभारी के इस ज्यादती का विरोध भी होने लगा | 30 घंटे के गैरकानूनी कैद के बाद जब महिला को जेल भेजने से पहले मैजिस्ट्रैट के सामने पुलिस लाई तो महिला ने सभी आरोपों को रिकार्ड करवाया |

इधर पीड़ित पक्ष ने आरोप लगाया कि महिला को पूर्व मे भी जमीन के एक छोटे विवाद मे जान बुझ कर इसी थाना प्रभारी द्वारा जेल भेजा गया | पूर्व के मामले मे दो पक्षों के बीच विवाद हुआ और उसका विडिओ वायरल हुआ, जिसमे कुछ लोग एक महिला रीमा देवी को पीटते हुए दिख रहे है |

थाना प्रभारी ने रीमा देवी और दूसरे पक्ष को लाकर थाने मे बंद कर दिया, लेकिन बाद मे सिर्फ महिला रीमा देवी को थाना प्रभारी ने जेल भेजा जबकि ना कोई विशेष जख्म थे और ना ही सर मे चोट | आरोप है कि जब महिला जेल गई तो उसके जमीन पर विपक्षियों से झोपड़ी बनवा दिया गया |

इधर फिर उसी भूमि पर महिला अपना घर बनवा रही थी तो अचानक पुलिस उसी दिन पहुंची और दीवालों को तोड़ने लगी और उसी वक्त 144 का नोटिस भी थामा दिया गया | पुलिस का आरोप था कि महिला ने पुलिस बल पर हमला कर दिया |

 हालांकि पुलिस ने हमला का विडिओ अभी जारी नहीं किया है ताकि यह समझा  जा सके की क्या महिला ने जाति सूचक शब्दों का भी कोई इस्तेमाल किया था या नहीं और पुलिस का आरोप कितना सही है |

 

बताया गया कि थाना प्रभारी अपने कथित आदर्श पुलिस स्टेशन की दुर्गति कर रखी है | हाजत मे किसी को नहीं रखा जाता है, हाजत के बगल के एक कमरे मे सभी को रखा जाता है ताकि हाजत के सामने लगे सीसीटीवी कैमेरे से बचा जा सके |

दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, महिला को रविवार को 11 बजे गिरफ्तार किया गया और कोर्ट रिकार्ड के अनुसार सोमवार शाम 6.48 मे महिला को न्यायालय मे पेश किया गया यानि 30 घंटे के कस्टडी के बाद महिला को जेल भेज गया वो भी तब जब गैर पुरुषों के साथ एक कमरे मे महिला को रात मे भी रखने का आरोप लगा और विडिओ वायरल हुआ | आरोप है कि झूठे मुकदमे बना कर थाना प्रभारी खुद बचना चाहते थे |

अब सवाल है थाना प्रभारी महिला को गिरफ्तार कर अगर हाजत मे नहीं रखे तो कहाँ रखे और दूसरे जगह क्यों रखे | अगर रात्री मे महिला को हाजत मे भेज दिए गए तो क्या सीसीटीवी फुटेज दिखा सकेंगे।

ये सारी बाते जांच अधिकारी देखेंगे, लेकिन सवाल है थाना प्रभारी को सीसीटीवी वाला हाजत से डर क्यों लगता है | किस परिस्थिति मे महिला को अन्य पुरुषों के साथ दूसरे कमरे मे 30 घंटे रखे गए | कुछ पुरुष को भी जेल भेजा गया वे भी बता सकते है कि रात्री मे महिला कहाँ थी |  

विदित हो कि मानवधिकार आयोग ने राज्यों के पुलिस मुख्यालयों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि महिलावों को शाम 6 बजे के बाद और सुबह 6 बजे से पहले किसी मामले मे पुलिस गिरफ्तार तक नहीं कर सकती |

 

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