सागर सूरज
मोतिहारी : वैसे तो जिले भर के पैक्स और कोपरेटिव सोसाइटी के फसल सहायता राशि मे भारी बंदरबंट की जा रही है, लेकिन इसमे घोड़ासहन प्रखण्ड की हालत सबसे बुरी बताई जा रही है | अगर आरोपों पर भरोसा करें तो स्थानीय प्रखण्ड सहकारिता पदाधिकारी पारस कुमार पैक्स अध्यक्षों से मिल कर खुलेआम फसल सहायता राशि मे बंदरबाँट कर रहे है |
आरोप है कि वैसे ही लोगों के नाम फसल सहायता का आवेदन लिखा या अनुमोदित किया जाता है, जिनके नाम ना तो भूमि है और ना ही उक्त खाता खेसरा मे कोई खेती ही हुई है | मौखिक शर्तों मे यह भी शामिल होता है कि खाते मे भेजे गए राशि का 50 % या कही कही उससे ज्यादा सिस्टम के नाम वापस कर देना है | वैसे तो इस प्रखण्ड मे स्थित कमोवेश सभी पंचायतों की हालत ऐसी ही है परंतु कवैया पंचायत मे जिनके नाम भी यह राशि जारी की गई है सबों के खेतों के खाता खेसरा वेबसाईट पर सूचित है |
कई लोगों को तो यह भी पता नहीं कि यह राशि जो खाते मे आई है, किस योजना से संबंधित है | यही नहीं किस खाता खेसरा वाले भूमि पर किये गए खेती पर यह राशि निर्गत हुई है | इस पंचायत मे रवि फसल मे 2022- 2023 मे मक्का के लिए कई लोगों के नाम फसल सहायता राशि निर्गत की गई, लेकिन बॉर्डर न्यूज मिरर के द्वारा स्थानीय स्तर पर वेरीफाई करने पर जानकारी हुई इस पंचायत मे 2% लोगों ने भी मक्के की खेती नहीं की फिर इतने बड़े रकबे पर किस आधार पर फसल सहायता राशि जारी की गई यह जांच का विषय है |
इस पंचायत मे बिहार राज्य फसल सहायता खरीफ 2022 मे भी एक ही परिवार के नाम कई सदस्यों के खाते मे फसल सहायता राशि भेजी गई और आधा बाँट लिया गया | अगर स्थानीय अंचल के सहयोग से राशि निर्गत की गई भूमि की जांच किया जाए तो स्थानीय पैक्स अध्यक्ष के साथ- साथ प्रखण्ड सहकारिता पदाधिकारी की कलाई भी खुल सकती है और आरोपों के जड़ मे प्रखण्ड विकास पदाधिकारी भी आ सकते है | जाहीर सी बात है सहकारिता पदाधिकारी इस तरह के किसी भी आरोपों को एंटरटेन तक नहीं करेंगे |
आरोप लगाने वालों की फेहरिस्त मे इसी पंचायत के कॅवैया गाँव के रहने वाले रंजीत कुमार भी शामिल है | उनका कहना है कि उन्होंने मामले मे जांच को लेकर डीएम, सहकारिता मंत्री और मुख्यमंत्री तक को भेजा है | घोड़ासहन प्रखण्ड सहकारिता पदाधिकारी को आवेदन देने का प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं होने के बाद स्पीड पोस्ट से आवेदन भेज गया, लेकिन तब भी प्रखण्ड सहकारिता पदाधिकारी स्पीड पोस्ट को प्राप्त करने से ही इनकार कर दिए | जिसकी पुष्टि वापस किये गए स्पीड पोस्ट के लिफाफे पर लिखे गए रिमार्क से किया जा सकता है |
इधर प्रखण्ड सहकारिता पदाधिकारी पारस कुमार से जब 'बॉर्डर न्यूज मिरर' ने पक्ष लेने का प्रयास किया तो उन्होंने कहा प्रखण्ड विकास पदाधिकारी जिओ टैग के माध्यम से भूमि की जांच करके रिपोर्ट भेजते है, उसके बाद पटना से पेमेंट होता है | प्रखण्ड विकास पदाधिकारी से इस मामले मे बात करने का प्रयास किया गया लेकिन सफलता नहीं मिली |
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