नई दिल्ली। गलवान घाटी में 15 जून को हुई खूनी झड़प के दौरान चीनी सेना ने चार भारतीय अधिकारियों समेत 10ु सैनिकों को बंधक भी बना लिया था, जिन्हें गुरुवार देर रात भारत को वापस लौटा दिया है। 1962 के चीन-भारत युद्ध के बाद यह पहला मौका था जब भारतीय सैनिकों को चीनी पक्ष ने […]
नई दिल्ली। गलवान घाटी में 15 जून को हुई खूनी झड़प के दौरान चीनी सेना ने चार भारतीय अधिकारियों समेत 10ु सैनिकों को बंधक भी बना लिया था, जिन्हें गुरुवार देर रात भारत को वापस लौटा दिया है। 1962 के चीन-भारत युद्ध के बाद यह पहला मौका था जब भारतीय सैनिकों को चीनी पक्ष ने हिरासत में लिया था।
यह भी खुलासा हुआ है कि गलवान घाटी के पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 पर 15 जून की शाम को चीनी सैनिकों के साथ हाथापाई से शुरू हुई झड़प आधी रात तक खूनी झड़प में बदल गई थी। करीब 4-5 सौ चीनी सैनिकों के मुकाबले भारतीय सेना के कर्नल संतोष बाबू के नेतृत्व में सैनिकों की संख्या महज 106 थी लेकिन फिर भी भारतीय सैनिक चीनियों पर भारी पड़ रहे थे। हालांकि इसी दौरान पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 पर भारतीय सेना की दूसरी टीम भी पहुंच गई थी। इसी दौरान 17 भारतीय सैनिक नदी में गिर गए और कर्नल संतोष बाबू, दो सैनिक हवलदार पलानी और सिपाही ओझा चीनियों के नुकीले हथियारों से किए गए हमले में शहीद हो गए।
इसी खूनी झड़प के दौरान ही चीनी सैनिकों ने भारत के चार सैन्य अधिकारियों समेत 10 सैनिकों को बंधक बना लिया। इनमें दो कैप्टन और दो मेजर रैंक के हैं, जबकि छह जवान थे। सुबह का उजाला होने पर भारतीय सेना के हेलीकॉप्टरों ने नदी में गिरे 17 सैनिकों को ढूंढ निकाला और एयरलिफ्ट करके अस्पताल पहुंचाया। इसके अलावा इस खूनी झड़प में घायल हुए 76 सैनिकों को भी एयरलिफ्ट किया गया लेकिन चीन के पास बंधक बने 10 भारतीय फौजी नहीं मिले।
दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच 16 जून से गुरुवार तक मेजर जनरल स्तर पर तीन दौर की वार्ता हुई। दोनों पक्षों के बीच हुई बातचीत के बाद बंधक बनाए गए 10 सैनिकों को चीनी सेना ने गुरुवार की रात भारत को सौंप दिया, जिसमें चार अधिकारी भी शामिल हैं। सेना के नियमों के अनुसार इन सैनिकों का चिकित्सकीय परीक्षण किया गया।
भारतीय सेना ने गुरुवार रात को एक आधिकारिक बयान जारी करके इस बात की पुष्टि की कि इस घटना के बाद अब कोई भी सैनिक लापता नहीं है, जिसका मतलब था कि झड़प में शामिल सभी सैनिकों का हिसाब था। सेना ने अपने इस बयान में चीनी हिरासत में लिए गए सैनिकों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी।
सेना ने यह भी बताया है कि गलवान हिंसा में घायल हुए 76 सैनिकों की हालत में काफी सुधार है और अब कोई भी गंभीर नहीं है। 18 सैनिक सेना के लेह अस्पताल में हैं, वे लगभग 15 दिनों में ड्यूटी पर जाने लायक हो जाएंगे। 58 सैनिक दूसरे अस्पतालों में भर्ती हैं जिन्हें एक सप्ताह के भीतर वापस ड्यूटी पर भेजा जा सकता है।
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