
भारत-चीन के सैन्य कमांडर आज फिर मॉल्डो में बैठेंगे आमने-सामने
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नई दिल्ली। भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच पांचवें दौर की अहम बैठक आज करीब 11 बजे से शुरू होगी। इस बार यह बैठक लद्दाख में चीन की ओर स्थित मॉल्डो में होगी। कॉर्प्स कमांडर स्तरीय इस बैठक में एलएसी की यथास्थिति बहाल करने पर चर्चा होनी है। भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच चौथे दौर की बैठक 14 […]
नई दिल्ली। भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच पांचवें दौर की अहम बैठक आज करीब 11 बजे से शुरू होगी। इस बार यह बैठक लद्दाख में चीन की ओर स्थित मॉल्डो में होगी। कॉर्प्स कमांडर स्तरीय इस बैठक में एलएसी की यथास्थिति बहाल करने पर चर्चा होनी है। भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच चौथे दौर की बैठक 14 जुलाई को भारतीय क्षेत्र के चुशूल में हुई थी जो करीब 14 घंटे तक चली थी।
पूर्वी लद्दाख के डेप्सांग मैदानी क्षेत्र, पैंगोंग झील और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स एरिया के विवादित मुद्दों को लेकर भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तरीय पांचवें दौर की बैठक में चर्चा होनी है। पूर्व की चार बैठकों के बाद दोनों देशों के सैन्य कमांडर हॉटलाइन पर एक-दूसरे के सम्पर्क में थे। मगर बात न बनने पर अब फिर आमने-सामने बैठकर रुकी हुई विघटन प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के साथ ही रणनीतिक रूप से यथास्थिति बहाल करने पर चर्चा करेंगे। भारत की ओर से सेना की 14वीं कॉर्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और चीन की तरफ से दक्षिण शिनजियांग के सैन्य जिला प्रमुख मेजर जनरल लियू लिन फिर आमने-सामने बैठेंगे। दोनों सैन्य अधिकारियों के सामने एलएसी के दोनों तरफ तैनात हजारों सैनिकों और हथियारों को पीछे करना असल चुनौती है।
चीन ने 14 जुलाई की पिछली बैठक के बाद पैंगॉन्ग झील में अतिरिक्त बोट और सेना की टुकड़ी को तैनात किया है। पैंगॉन्ग झील के उत्तरी किनारे पर चीन ने नए कैंप बनाने शुरू कर दिए हैं। पैंगॉन्ग झील में और बोट उतारे जाने की नई चीनी चाल सेटेलाइट में कैद हो गई है, जिसमें यह भी साफ दिख रहा है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की नौसेना फिंगर-5 और फिंगर-6 में डेरा जमाए हुए हैं। फिंगर-5 पर पीएलए की तीन बोट और फिंगर-6 पर पीएलए की 10 बोट दिखाई दी हैं। हर बोट में 10 जवान सवार हैं यानी फिंगर-4 के बेहद करीब 130 जवान तैनात हैं। इसलिए भारत और चीन के बीच पैंगोंग झील का उत्तरी तट मुख्य समस्या बना हुआ है। चीनी सैनिक अब तक सिर्फ फिंगर-4 से फिंगर-5 पर वापस गए हैं लेकिन पूरी तरह से रिज-लाइन को खाली नहीं किया है। चीनियों ने मई के बाद फिंगर-4 से फिंगर-8 तक 8 किलोमीटर के हिस्से पर कब्जा करने के बाद स्थायी ढांचों का निर्माण भी किया है।
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