
एसएनएस महाविद्यालय प्राचार्य नियुक्ति मामले में निबंधक और पूर्व प्राचार्य भी जाँच के घेरे में
सागर सूरज
मोतिहारी। श्री नारायण सिंह महाविद्यालय में नवनियुक्त प्राचार्य डॉ संजीव कुमार राम के प्राचार्य पद पर नियुक्ति का मामला अब तूल पकड़ने लगा है।
बाबा साहब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति के द्वारा गठित एक तीन सदस्यीय कमिटी जहाँ पहले से ही मामले की जाँच कर रही है वही कुलसचिव ने आरोपों को लेकर विश्वविद्यालय के निबंधक सहित एसएनएस के पूर्व प्राचार्य डॉ भोला सिंह एवं वर्तमान प्राचार्य डॉ संजीव के नाम तीन अलग-अलग पत्र जारी करते हुये कई विन्दुओं पर कारण प्रिक्छा जारी की है।
गौरतलब है कि पूर्व में बीआरए, बिहार विश्वविद्यालय के निबंधक ने अपने पत्र में विश्वविध्यालय के प्राध्यापक डॉ सीकेपी शाही, डॉ ममता रानी एवं डॉ अमिता शर्मा को मामले में तीन दिन के अन्दर आरोपों की जाँच कर रिपोर्ट देने की बात कही थी। इसी बीच तीनों के नाम कारण प्रिक्छा जारी होने से हडकंप मच गया है।
गत 31 जुलाई को विश्वविद्यालय ने एसएनएस महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ भोला सिंह को प्राचार्य का प्रभार महाविद्यालय के किसी सीनियर शिक्षक को दे देने का आदेश दिया, परन्तु सीनियर शिक्षक के रहते चकिया के एक महाविद्यालय से स्थानांतरिक एक शिक्षक संजीव कुमार को प्राचार्य का पदभार दे दिया गया उसके बाद ही उनके नियुक्ति पर कई तरह के सवाल उत्पन्न होने लगे।
कुलसचिव ने निबंधक से जहाँ शिक्षकों के स्थानांतरण के नियमावली की मांग करते हुये डॉ संजीव के चकिया आरएसएस महिला कॉलेज में पदस्थापना की संचिका एवं उनके स्थानांतरण की संचिका की मांग की है वही प्राचार्य डॉ भोला सिंह से पूछा गया कि नियम विरुद्ध जाकर किस परिस्थिति में डॉ संजीव को प्रभार दिया गाया तथा डॉ संजीव के स्थानांतरण की सुचना विश्वविद्यालय को क्यों नहीं दी गयी। सभी को तीन दिनों के भीतर जवाब देना अनिवार्य किया गया है।
कुलपति को भेजे अपने पत्र में श्री कृष्णनगर के रहने वाले अजय कुमार चौबे ने आरोप लगाया है कि संजीव कुमार को एसआरएपी, बारा चकिया महाविद्यालय से एसएनएस कॉलेज अवैध रूप से स्थान्तरित किया गया क्योकि चकिया में संजीव कुमार पदस्थापना पे थे, वे सीतामढ़ी के आरएसएस महिला कॉलेज में एक मात्र इतिहास विषय के शिक्षक थे। एक मात्र शिक्षक का स्थानांतरण प्रशासनिक दृष्टिकोण से अवैध माना जाता है दूसरी ओर तत्कालीन कुलपति ने किसी प्रभाव में गलत तरीके से डॉ संजीव की स्थायी नियुक्ति मोतिहारी में कर दी, जबकि 18 नवम्बर, 2019 को राजभवन तत्कालीन कुलपति के ऊपर आरोपों को देखते हुये उनको नीतिगत मामलों में निर्णय लेने पर रोक लगा दी थी वावजूद इसके गलत तरीके से डॉ संजीव का स्थानांतरण तत्कालीन कुलपति द्वारा किया गया। राजभवन ने उक्त कुलपति के कई निर्णयों को अवैध करार दिया था।
इधर एसएनएस के पूर्व-प्राचार्य डॉ भोला सिंह ने कहा कि डॉ संजीव को प्रभार विश्वविद्यालय के निबंधक से पूछ कर दिया गया है क्योंकि डॉ संजीव 96 बैच के है और बाकि लोग 2016-17 बैच के है। मै किसी भी कारण प्रिक्छा का जवाब नहीं दूंगा।
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