
मांझी की तरह मुकेश सहनी भी बदल सकते हैं अपना रास्ता
पटना। महागठबंधन में सहयोगी दलों को अपनी शर्तों पर चलने के लिए मजबूर करने वाले तेजस्वी यादव ने जीतनराम मांझी के बाद अब मुकेश सहनी की मुश्किलें बढ़ा दी है। राजद के सूत्र बताते हैं कि तेजस्वी यादव फिलहाल मुकेश सहनी को सीट बंटवारे में कोई तवज्जो देने को तैयार नहीं हैं। सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस और राजद के बीच अंदरखाने में जो खिचड़ी पक रही है, उसका अंदाजा न तो उपेंद्र कुशवाहा लगा पा रहे हैं और ना ही मुकेश सहनी। सहनी या तो राजनीतिक रूप से इतने अपरिपक्व हैं कि उन्हें खतरे का अंदाजा नहीं हो पा रहा या फिर अपने संभावित हश्र को छुपाने के लिए वे बड़बोलेपन को ढाल बना रहे हैं। अपने झूठे दावों की वजह से वह अपनी विश्वसनीयता भी खो चुके हैं।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने दावा किया था कि वे बिहार की 20 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे लेकिन जब महागठबंधन में सीटों की हिस्सेदारी लगी तो मुकेश सहनी के हिस्से में सिर्फ तीन सीटें आईं और तीनों सीटें वे हार गये। वे खुद भी चुनाव हार गए। बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर मुकेश सहनी दावा करते रहे हैं राजद से सीटों को लेकर उनकी बातचीत हो गयी है और सबकुछ क्लियर है। 20 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा करने वाले मुकेश सहनी को ‘मांझी’ की तरह महागठबंधन से बाहर जाने का रास्ता दिखाने का प्लान तेजस्वी ने सेट कर लिया है। वीआईपी और अपना पिछला हश्र देख चुके सहनी पर अब तेजस्वी दांव लगाने को तैयार नहीं है। अंदरखाने से जो खबर है उसके मुताबिक तेजस्वी ने मुकेश सहनी को भाव देना बंद कर दिया है। सहनी लगातार तेजस्वी से बात करने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन तेजस्वी ने अबतक सहनी से बात नहीं की है। हालांकि तेजस्वी के निजी सहायक से मुकेश सहनी की बातचीत हुई है लेकिन सहनी तेजस्वी से बातचीत नहीं होने के बाद बहुत बेचैन हैं। सहनी को यह डर सताने लगा है कि कहीं उनका हश्र भी मांझी जैसा न हो या फिर उससे भी बुरा न हो क्योंकि बिहार के सीएम रहे जीतनराम मांझी को किनारे लगाने में देर नहीं की और अब जो मुकेश सहनी को लेकर तेजस्वी के तेवर हैं , उससे साफ है कि तेजस्वी यादव मुकेश सहनी को औकात बता देना चाहते हैं।
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