मोदी ने ‘परिक्रमा संस्कृति’ खत्म कर ‘परिश्रम और परिणाम’ को प्रमाणिक बनायाः नकवी

मोदी ने ‘परिक्रमा संस्कृति’ खत्म कर ‘परिश्रम और परिणाम’ को प्रमाणिक बनायाः नकवी

Reported By BORDER NEWS MIRROR
Updated By BORDER NEWS MIRROR
On
नई दिल्ली। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने राजनीति में ‘परिक्रमा संस्कृति’ पर चोट करते हुए कहा है कि सत्ता और सियासत के गलियारे में दशकों से ‘परिक्रमा’ को ही ‘पराक्रम’ समझने वाले लोग अब हाशिए पर आ गए हैं और ‘परिश्रम और परिणाम’ की कार्य संस्कृति को बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता के गलियारे […]

नई दिल्ली। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने राजनीति में ‘परिक्रमा संस्कृति’ पर चोट करते हुए कहा है कि सत्ता और सियासत के गलियारे में दशकों से ‘परिक्रमा’ को ही ‘पराक्रम’ समझने वाले लोग अब हाशिए पर आ गए हैं और ‘परिश्रम और परिणाम’ की कार्य संस्कृति को बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता के गलियारे से ‘परिक्रमा संस्कृति’ खत्म कर ‘परिश्रम और परिणाम’ को प्रामाणिक बनाया।

नकवी ने शुक्रवार को एक ब्लॉग में लिखा कि ‘परिणामी मंतर’ ने सत्ता के गलियारे से सत्ता के दलालों को ‘छू-मंतर’ किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से पहले एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री को छोड़ने जाना-लेने जाना, मंत्रिमंडल के सदस्यों का ‘कर्मकांड’ माना जाता था, दशकों की यह व्यवस्था अब खत्म हो गई है। लाल बत्ती सरकार की धमक-धाक का हिस्सा थी, अब वह इतिहास का हिस्सा बन चुकी है। सांसदों को सब्सिडी ‘जन्मसिद्ध अधिकार’ लगता था, एक झटके में खत्म हुई। मंत्री-सांसद न रहने के बावजूद कुछ लोगों को सरकारी बंगलों पर कब्ज़ा रखना ‘संवैधानिक अधिकार’ लगता था, उसे खत्म किया। मंत्रालयों को मार्च से पहले बजट को उल-जुलूल तरीके से ख़त्म करना सरकार की प्राथमिकता थी, जिसके चलते उपयुक्त खर्च का प्रयास नहीं होता था। यह काम चलाऊ, दकियानूसी व्यवस्था खत्म हुई। प्रधानमंत्री, मंत्रियों, अधिकारियों के एक दिन के विदेशी दौरे के काम के लिए दस दिन सैर सपाटे और करोड़ों खर्च करने की व्यवस्था को खुद प्रधानमंत्री ने स्वयं के दौरों पर, केवल काम की सफर सीमा तय कर, पूरी सरकार की सोच में व्यापक परिवर्तन लाने का काम किया।

नकवी ने कहा कि सरकारें बदलती थीं, मंत्री बदलते थे पर वर्षों से मंत्रियों के निजी स्टाफ वही रहते थे, जिसका नतीजा होता था कि सत्ता के गलियारे में घूमने वाले दलाल और बिचौलिए उस निजी स्टाफ के जरिये बरकरार रहते थे, दस वर्षों से जमें निजी स्टाफ को मंत्रालय में रखने पर रोक लगाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेशेवर बिचौलियों के पर कतरने का काम किया। पहले प्रधानमंत्री, सचिव और उसके नीचे के अधिकारियों से कभी संपर्क-संवाद नहीं करते थे, ग्राउंड रिपोर्ट की जानकारी से रूबरू नहीं होते थे। अब नरेन्द्र मोदी ने मंत्रियों के साथ-साथ अधिकारियों से ‘संवाद संस्कृति’ शुरू की, जिसके चलते नौकरशाही की जवाबदेही-जिम्मेदारी बढ़ी है, पदम् अवार्ड जैसे प्रतिष्ठित सम्मान जो पहले केवल सियासी सिफारिशों के जरिए दिए जाते थे, आज उन लोगों को यह सम्मान दिया जा रहा है जो वास्तव में इसके हक़दार हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हो सकता है कि यह सब बातें छोटी हों, पर ‘परिक्रमा के पराक्रम’ की जगह ‘परिश्रम एवं  परिणाम’ की कार्य संस्कृति को पैदा करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हुई हैं।

उन्होंने कहा कि कोरोना काल के संकट के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संवेदनशीलता, सक्रियता एवं इस संकट से देश को निजात दिलाने में अग्रिम भूमिका ने देश के लोगों में भरोसा बढ़ाया। एक तरफ कोरोना का कहर, दूसरी तरफ सीमाओं की सुरक्षा, तीसरी तरफ भूकंप- तूफान-बाढ़ जैसी प्राकृतिक चुनौती, इसी बीच टिड्डियों द्वारा फसलों की बर्बादी और ‘फ़िसड्डियों’ की बकवास बहादुरी भी चलती रही।

नकवी ने कहा कि भारत जैसे विशाल देश के लिए यह बड़ा संकट का समय रहा, पर देश के लोग इस संकट से कम से कम प्रभावित हों इसका भरपूर प्रबंधन-प्रयास मोदी की ‘परिश्रम-परफॉर्मेंस एवं परिणाम’ की कार्य संस्कृति का जीता-जागता सुबूत है।

Related Posts

Post Comment

Comments

राशिफल

Live Cricket

Recent News

Epaper

मौसम

NEW DELHI WEATHER